13X5 मीटर मोटी दीवार के पीछे सुरक्षित है आधार का डाटा, केंद्र सरकार ने SC को बताया
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13X5 मीटर मोटी दीवार के पीछे सुरक्षित है आधार का डाटा, केंद्र सरकार ने SC को बताया

सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से सवाल किया कि यदि आपको सिर्फ नागरिकों की पहचान करनी है तो आधार योजना के अंतर्गत उनके व्यक्तिगत आंकड़ों को केन्द्रीकृत और एकत्र करने की क्या आवश्यकता है.

आधार डाटा पर उठे सवाल पर केंद्र सरकार ने सुरक्षा का दिया भरोसा.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से सवाल किया कि यदि आपको सिर्फ नागरिकों की पहचान करनी है तो आधार योजना के अंतर्गत उनके व्यक्तिगत आंकड़ों को केन्द्रीकृत और एकत्र करने की क्या आवश्यकता है. इस सवाल के जवाब में केन्द्र ने प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ से अनुरोध किया कि विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अजय भूषण पाण्डे को आधार योजना को लेकर किसी भी प्रकारकी आशंकाओं को दूर करने के लिये न्यायालय में पावरप्वाइंट प्रेजेन्टेशन की अनुमति दी जाये.

  1. आधार के डाटा की सुरक्षा पर उठ रहे हैं सवाल
  2. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को सुरक्षा का दिया भरोसा
  3. कहा, आधार का डाटा 13 मीटर ऊंची व 5 मीटर चौड़ी दीवार के पीछे सुरक्षित

केंद्र सरकार ने आधार डाटा की सुरक्षा का दिया भरोसा
केंद्र सरकार ने देश की सबसे बड़ी अदालत को बताया कि आधार का डाटा 13 मीटर ऊंची और 5 मीटर चौड़ी दीवार के पीछे सुरक्षित रखा है. केंद्र ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यह डाटा सेंट्रल आईडेंटिटीज रिपॉजिटरी में सुरक्षित है. आधार डाटा की सुरक्षा को लेकर तमाम आशंकाओं को खारिज करते हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि यह भ्रष्टाचार खत्म करने का एक गंभीर प्रयास है. 

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आधार सुरक्षा को लेकर सिंगापुर का दिया गया उदाहरण
अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने केन्द्र की ओर से बहस शुरू करते हुये कहा कि मुख्य कार्यकारी अधिकारी निगरानी, आंकड़ों की सुरक्षा और उन्हें अलग रखने जैसे सभी मुद्दों पर पीठ के सवालों का जवाब देंगे. उन्होंने कहा कि इसलिए कल पावरप्वाइंट प्रजेन्टेशन की अनुमति दी जाये. संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एके सिकरी, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण शामिल हैं.

संविधान पीठ ने वेणुगोपाल से कहा कि इसे पेश करने संबंधी विवरण वर्ड प्रारूप में दाखिल किया जाये और इस बारे में वह कल निर्णय करेगी. पीठ ने केन्द्र से सवाल किया, ‘अगर आपका लक्ष्य पहचान करना है, तो पहचान सुनिश्चित करने के लिये इससे कम दखल वाले तरीके हैं. आंकड़ों का संग्रह करने और उनको केन्द्रीकृत करने की क्या आवश्यकता है.'

पीठ ने इसके बाद सिंगापुर का उदाहरण दिया और कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को चिप आधारित पहचान पत्र लेना होता है और उसकी निजी जानकारी सरकारी प्राधिकारियों के पास नहीं बल्कि उसके ही पास रहती है .

अटार्नी जनरल ने तकनीकी शंकाओं को दूर करने का दिया भरोसा
अटार्नी जनरल ने कहा, ‘इस सबके बारे में विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अपने प्रेजेन्टेशन में स्पष्ट करेंगे और वैसे भी आधार में आंकड़ों को संग्रह करना संभव नहीं है.' इससे पहले, वेणुगोपाल ने, जिनका नंबर आधार योजना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर चल रही सुनवाई के 20 वें दिन आया, ने कहा कि मुख्य कार्यकारी अधिकारी का प्रेजेन्टेशन आधार योजना के बारे में तकनीकी मुद्दे सहित सारी शंकाओं का समाधान करेगा.

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हालांकि, पीठ ने कहा कि वह इस बारे में निर्णय करेगी और अटार्नी जनरल से कहा कि वह आधार से निजता के मौलिक अधिकार का हनन होने सहित विभिन्न मुद्दों पर अपना जवाब देना शुरू करें. पीठ ने कहा, ‘याचिकाकर्ताओं ने निजता, गुमनामी, गरिमा, निगरानी, संग्रह, संभावित अपराधिता, असंवैधानिक शर्तें, कानून का अभाव, सुरक्षा के मुद्दे उठाये हैं.' 

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सेवाओं और कल्याणकारी योजनाओं को आधार से जोड़ने की समय सीमा बढ़ी
वेणुगोपाल ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 ( जीने का अधिकार) के दो पहलू हैं. पहला भोजन के अधिकार और शिक्षा के अधिकार जैसे अधिकारों के बारे में है जबकि दूसरा विवेक की आजादी और निजता के अधिकार के बारे में है. उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि किस पहलू को प्राथमिकता मिलेगी और साथ ही कहा कि विवेक और निजता के अधिकार पर जीने के अधिकार को प्राथमिकता मिलनी चाहिए.

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कई फैसलों का हवाला देते हुये उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था दी गयी है कि जीने के अधिकार का मतलब सिर्फ पशु की तरह जीना नहीं है बल्कि गरिमा के साथ जीने का है. उन्होंने कहा कि आधार से पहले फर्जी राशन कार्ड और अज्ञात लाभाकारियों के माध्यम से बड़े पैमाने पर हेरा फेरी हो रही थी. उन्होंने कहा कि कुछ गैर सरकारी संगठनों और व्यक्तियों द्वारा निजता के जिस अधिकार की वकालत की जा रही है उससे ज्यादा महत्वपूर्ण समाज के निचले तबके का गरिमा के साथ जीने का अधिकार है. अटार्नी जनरल की बहस आज अधूरी रही. वह कल भी बहस करेंगे. न्यायालय पहले ही विभिन्न सेवाओं और कल्याणकारी योजनाओं को आधार से जोड़ने की समय सीमा 31 मार्च से आगे बढ़ा कर इस मामले का फैसला होने तक कर चुका है.

इनपुट: भाषा

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