अब्दुल बासित ने की भारत-पाकिस्तान के बीच वार्ता की वकालत
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अब्दुल बासित ने की भारत-पाकिस्तान के बीच वार्ता की वकालत

भारत-पाकिस्तान शांति प्रक्रिया 2016 में पठानकोट आतंकवादी हमले के बाद रुक गई थी. उसके बाद द्विपक्षीय संबंध खराब हुए हैं.

बासित ने कहा, ‘वार्ता जरूरी है. बातचीत हमारी समस्याओं को सुलझाने के लिए एक पूर्वापेक्षा और एक जरूरत है.' (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: निवर्तमान पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने शनिवार (29 जुलाई) को कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंध सुधारने के लिए एक ‘‘पूर्वापेक्षा’’ और एक ‘‘आवश्यकता’’ है. उन्होंने कहा कि इसमें दोनों पक्षों की तरफ से ‘‘आदान- प्रदान’’ की जरूरत है. बासित ने कश्मरियों के ‘‘आत्मनिर्णय’’ की अपनी वकालत के साथ ही दोनों देशों के बीच बातचीत पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि वास्तविक प्रगति के लिए जम्मू कश्मीर मुद्दे का हल होना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘दोनों देशों को इसका निर्णय करने की जरूरत है कि उन्हें किन मुद्दों पर बातचीत करने की जरूरत है....जैसा कि शर्म अल शेख में निर्णय हुआ था, जहां हमने वार्ता को आतंकवाद से अलग करने का निर्णय किया था. हमें उन ताकतों का बंधक नहीं बनना चाहिए जो प्रगति नहीं चाहते.’’

बासित ने यह टिप्पणी एक कार्यक्रम में की जो कि संभवत: पद छोड़ने से पहले नयी दिल्ली में उनका आखिरी सार्वजनिक कार्यक्रम था. इस कार्यक्रम का आयोजन ‘साउथ एशिया फोरम फॉर आर्ट एंड क्रिएटिव हेरीटेज’ द्वारा किया गया था. पाकिस्तान का कहना है कि मिस्र के शहर शर्म अल शेख में 2009 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के बीच हुई बातचीत के बाद जारी संयुक्त बयान में बातचीत को आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई से अलग रखने की सहमति बनी थी. उन्होंने कहा, ‘‘ वार्ता जरूरी है. बातचीत हमारी समस्याओं को सुलझाने के लिए एक पूर्वापेक्षा और एक जरूरत है. हो सकता है कि बातचीत से तत्काल परिणाम नहीं निकले.’’ यह पूछे जाने पर कि क्या पाकिस्तान कुछ रियायतें करने को तैयार है, उन्होंने कहा ‘‘समाधान में हमेशा ही आदान -प्रदान शामिल होता है.’’ 

भारत-पाकिस्तान शांति प्रक्रिया 2016 में पठानकोट आतंकवादी हमले के बाद रुक गई थी. उसके बाद द्विपक्षीय संबंध खराब हुए हैं और नवाज शरीफ को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के तौर पर देश की शीर्ष अदालत द्वारा अयोग्य करार दिये जाने के बाद यह फिर से अनिश्चितता पैदा हो गई है. बासित ने कहा, ‘‘पठानकोट या पठानकोट नहीं, हमें इसका निर्णय करना होगा कि हम वार्ता प्रक्रिया को बाधित नहीं करेंगे. हम जहां पठानकोट मुद्दे पर सहयोग कर रहे थे, हम वार्ता प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकते थे. उससे मदद मिलती.’’ बासित को 2014 में भारत में पाकिस्तान का उच्चायुक्त नियुक्त किया गया था. अब उनका स्थान सोहेल महमूद लेंगे जिनके अगले महीने पदभार संभालने की उम्मीद है.

बासित को दो बार पाकिस्तान के विदेश सचिव पद के लिए नजरअंदाज किया गया. उन्होंने कहा कि संबंध सुधारने की प्रक्रिया के सवाल पर ‘‘वास्तविक होने’’ की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘‘यदि हम राजनीतिक इच्छाशक्ति जुटा लें तो हम अपनी समस्याओं का हल खोज सकते हैं. हम जब भी बातचीत में शामिल हुए हैं, हमें अच्छे परिणाम मिले हैं. हमें एक वार्ता प्रक्रिया शुरू करने की जरूरत है और यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि सीबीएम :विश्वास बहाली उपाय: का अक्षरश: पालन हो. हमें दोनों देशों के बीच बनावटी अवरोध नहीं आने देने चाहिए.’’

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