प्रतिबंधित संगठन SIMI का नेता अब्दुल्ला दानिश गिरफ्तार, 19 साल बाद पकड़ा गया
अब्दुल्ला दानिश (Abdullah Danish) सिमी (SIMI) का काफी पुराना सदस्य है. जिसने पिछले 25 वर्षों के दौरान कई मुस्लिम युवकों को भड़काया. पुलिस को उसकी 19 वर्षों से तलाश थी.
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस (Delhi Police) स्पेशल सेल ने पिछले 19 सालों से फरार चल रहे सिमी (SIMI) के सदस्य को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपी अब्दुल्ला दानिश (Abdullah Danish) साल 2001 से ही फरार चल रहा था, जब भारत सरकार ने सिमी को बैन किया था. अब्दुल्ला दानिश सिमी का सबसे अहम सदस्य है और पिछले 25 सालों में कई मुस्लिम युवकों को देश के खिलाफ भड़का चुका है. आतंकी सफदर नागोरी को भी अब्दुल्ला दानिश ने ही सिमी में शामिल किया था.
1988 में सिमी में शामिल हुआ
पुलिस के मुताबिक अब्दुल्ला दानिश (Abdullah Danish) ने साल 1985 में अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी (AMU) से अरेबिक में MA किया था और उसके बाद साल 1988 में सिमी (SIMI) में शामिल हुआ था. अलीगढ़ उस दौरान सिमी का सेंटर बना हुआ था. शामिल होने के बाद अब्दुल्ला ने सिमी के कार्यक्रमों में हिस्सा लेना शुरु किया और मुसलमानों को जेहाद के लिये उकसाने लगा. उस दौरान सिमी के अध्यक्ष अशरफ जाफरी ने अब्दुल्ला के काम से खुश होकर सिमी की साप्ताहिक पत्रिका ‘Islamic Movement’ का एडिटर बना दिया था.
ब्रेनवॉश करने में है माहिर
सिमी की पत्रिका का एडिटर रहने के दौरान अब्दुल्ला ने मुसलमानों पर अत्याचार के नाम पर खूब सारे लेख लिखे और मुसलमानों को भड़काया, जिसके बाद दिल्ली के जाकिर नगर के सिमी के हेडक्वार्टर में रहने के लिये कमरा भी दे दिया गया. अब्दुल्ला दानिश ब्रेनवॉश करने में माहिर था और इसी ने सिमी के आतंकी सफदर नागौरी, अब्दुश सुभान कुरैशी, नौमान बदर, शहनाज हुसैन, सैफ नाचेन और मोहम्मद खालिद को सिमी में शामिल किया था. भारत सरकार (Government Of India) ने सितंबर 2001 में सिमी की आतंकी गतिविधियों (Terrorist Activity) को देखते हुये इसे बैन कर दिया था जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने जाकिर नगर में सिमी के हेडक्वार्टर में छापेमारी की थी और कई सिमी के सदस्यों को गिरफ्तार किया था, लेकिन अब्दुल्ला दानिश तब से ही फरार था.
यह भी पढ़ें: सीता पर विवादित बयान के बाद Saif Ali Khan ने मांगी माफी, बोले- 'मेरा इरादा कभी...'
19 सालों से थी तलाश
अब्दुल्ला दानिश (Abdullah Danish) कितना खतरनाक है इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सिमी (SIMI) के बैन होने के बाद ज्यादातर सदस्य गिरफ्तार हो गये लेकिन ये पिछले 19 सालों से लगातार छिपता रहा और मुसलमानों को देश के खिलाफ भड़काता रहा.
2008 अहमदाबाद धमाकों में भूमिका
दिल्ली पुलिस के छापे के बाद अब्दुल्ला अलीगढ़ गया और वहां से आजमगढ़. लगातार ठिकाने बदलने के दौरान भी अब्दुल्ला आतंकी मंसूबे पूरे करने में लगा हुआ था. आतंकी अब्दुस सुभान कुरैशी उर्फ तौकिर को आतंकी अबू बशर से अब्दुल्ला ने ही मिलवाया था और फिर साल 2008 में गुजरात के अहमदाबाद में सीरियल बम धमाके (Serial Bomb Blast) किये गये. इन धमाकों को अब्दुल्ला दानिश ने प्लान किया था और जिम्मेवारी इंडियन मुजाहिदीन (Indian Mujahideen) और सिमी (SIMI) के इन दोनों आतंकियों को सौंपी गयी थी.
यह भी पढ़ें: Mahaparinirvan Diwas: डॉ बीआर आंबेडकर के जीवन से जुड़ी ये 6 बातें नहीं जानते होंगे आप
आतंकी अबू बशर को दी थी पनाह
अहमदाबाद के धमाकों (2008 Ahmedabad Blast) के बाद आतंकी अबू बशर अलीगढ़ में अब्दुल्ला दानिश के घर पर ही रुका था. अब्दुस सुभान कुरैशी उर्फ तौकीर ने अब्दुल्ला के कहने पर ही केरल और कर्नाटका में सिमी के आतंकी सदस्यों के लिये ट्रेनिंग कैंप चलाये थे. खुद अब्दुल्ला भी मुसलमानों को भड़काने और सिमी में शामिल करने के लिये उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और गुजरात में घूम रहा था.
क्या है सिमी?
बता दें, SIMI यानी Student Islamic Movement of India प्रतिबंधित आतंकी संगठन है. सिमी का गठन अप्रैल 1977 में अलीगढ़ में किया गया था और इसका मुख्य उद्देश्य देश में ‘इस्लामीकरण’ करना था. सिमी कट्टरपंथी संगठन था और लगातार मुसलमानों को देश के खिलाफ भड़का रहा था. अमेरिका में सिंतबर 2001 में हुये आतंकी हमले के बाद सिमी को बैन कर दिया गया. सिमी से जुड़े कई आतंकी 2008 में बने इंडियन मुजाहिदीन आतंकी संगठन में शामिल हो गये और देश के कई राज्यों में आतंकी हमले किये.
LIVE TV