नई दिल्ली:  भारतीय जनता पार्टी(BJP)  ने निजी कंपनी एबीजी शिपयार्ड (ABG Shipyard) द्वारा कथित तौर पर बैंकों के साथ 22,842 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी किए जाने के मामले में कांग्रेस पर पलटवार करते हुए रविवार को कहा कि ये ऋण संप्रग के शासन काल में दिए गए थे, जबकि मोदी सरकार ने घोटालेबाज प्रवर्तकों (प्रोमोटर्स) के खिलाफ कार्रवाई की है. भाजपा के प्रवक्ता एवं राज्यसभा सदस्य सईद ज़फर इस्लाम ने कहा कि इस मामले में कांग्रेस का केंद्र सरकार पर हमला करना ‘उल्टे चोर कोतवाल को डांटे’ जैसा है.


2014 से पहले दिए गए थे लोन


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इस्लाम ने कहा कि ये सभी ऋण भाजपा के 2014 में सत्ता में आने से पहले दिये गये थे. उन्होंने आगे कहा कि वास्तविकता तो यह है कि इन्हें भाजपा से पहले की सरकार ने ही गैर-निष्पादित परिसम्पत्तियां (एनपीए) घोषित कर दिया था. उन्होंने कहा कि भाजपा के सत्ता में आने के बाद जरूरी प्रक्रियाओं का अनुसरण किया गया है और इन धांधलियों की पहचान की गयी. उन्होंने कहा, ‘इसलिए हमने कार्रवाई की और इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिये गए’ भाजपा नेता ने कहा, ‘कांग्रेस इसका खुलकर विरोध कर रही है. उसी की सरकार ने वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ 'फोन बैंकिंग' घोटाला किया था, जिसके तहत बैंकों को इन प्रवर्तकों से कमीशन लेने के बाद ऋण मंजूर करने के लिए मजबूर किया गया.


कांग्रेस की है मिलीभगत


आगे कहा कि वे धोखाधड़ी के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार हैं क्योंकि सभी प्रवर्तकों साथ उनकी मिलीभगत थी. हमारी सरकार ने इन धोखाधड़ी का पता लगाया है. कांग्रेस ने रविवार को मोदी सरकार पर गुजरात स्थित एबीजी शिपयार्ड द्वारा 22,842 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी में मिलीभगत का आरोप लगाया है और इस धोखाधड़ी को भारत की सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी करार दिया है. विपक्षी दल ने सवाल किया कि एबीजी शिपयार्ड के परिसमापन की कार्यवाही के बाद सरकार ने 28 बैंकों की कथित धोखाधड़ी के संबंध में प्राथमिकी दर्ज करने में पांच साल क्यों लगाए.


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