अपने फैसले में हाईकोर्ट ने कहा था कि जिन शिक्षकों के ट्रेनिंग का परिणाम उनके टीईटी के परिणाम के बाद आया है, उनकी नियुक्ति मान्य नहीं है.
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नई दिल्ली: बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत 50 हजार शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को निरस्त कर दिया है, जिसमें हाईकोर्ट ने कहा था कि जिन शिक्षकों के ट्रेनिंग का परिणाम उनके टीईटी के परिणाम के बाद आया है, उनकी नियुक्ति मान्य नहीं है.
दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 मई के अपने आदेश में बेसिक शिक्षा अधिकारियों से कहा था कि जिन शिक्षकों के प्रशिक्षण का परिणाम उनके टीईटी रिजल्ट के बाद आया है, उनका चयन निरस्त कर दें. हालांकि इस मसले पर अब तक सरकार ने अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है.
हाईकोर्ट के आदेश की वजह से 2012 से 2018 के बीच प्राथमिक स्कूलों के लिए हुई 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती, 74478 सहायक अध्यापक व उर्दू भर्ती के अलावा उच्च प्राथमिक स्कूलों के लिए हुई विज्ञान व गणित विषय के 29334 सहायक अध्यापक भर्ती में चयनित शिक्षक प्रभावित हो रहे थे.
एक अनुमान के मुताबिक, ऐसे शिक्षकों की संख्या 50,000 से अधिक है, जिनका ट्रेनिंग का परिणाम टीईटी के बाद घोषित हुआ था. इस आदेश का असर वर्तमान में चल रही 68,500 सहायक अध्यापक भर्ती पर भी पड़ने वाला था. इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से प्रभावित शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
चयनित शिक्षकों का कहना था कि उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपी-टीईटी) के लिए 4 अक्तूबर 2011 और 15 मई 2013 को जारी शासनादेश में इस बात का जिक्र नहीं था कि जिनके प्रशिक्षण का परिणाम टीईटी के बाद आएगा, उन्हें टीईटी का प्रमाणपत्र नहीं मिलेगा.