केरल के इडुक्की ज़िले में एक महिला ने शादी से इनकार करने पर एक पुरुष पर एसिड से हमला (Acid Attack) कर दिया. इस हमले में उस व्यक्ति की आंखों की रोशनी चली गई और चेहरा भी लगभग पूरी तरह जल गया.
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नई दिल्ली: केरल के इडुक्की ज़िले में एक महिला ने शादी से इनकार करने पर एक पुरुष पर एसिड से हमला (Acid Attack) कर दिया. इस हमले में उस व्यक्ति की आंखों की रोशनी चली गई और चेहरा भी लगभग पूरी तरह जल गया. अक्सर इस तरह की ख़बरों में हमला करने वाले पुरुष होते हैं और पीड़ित महिला होती है.
पिछले दिनों देश की राजधानी दिल्ली में जब एक महिला ने एक व्यक्ति के शादी के प्रस्ताव को ठुकराया तो उसने उस महिला पर एसिड से हमला (Acid Attack) कर दिया था. इस ख़बर को तब देश के सभी अख़बारों और न्यूज़ चैनलों पर प्रमुखता से दिखाया गया और इसमें कुछ गलत भी नहीं है. ये सच है कि एसिड अटैक के ज़्यादातर मामलों में महिलाएं ही पुरुषों का शिकार बनती हैं.
हालांकि ये भी सच है कि जब इसी तरह की कोई भयानक घटना किसी पुरुष के साथ होती है और आरोप किसी महिला पर लगता है तो हमारे देश का मीडिया और समाज इस खबर को ज्यादा महत्व नहीं देते. हमारा मानना है कि अपराध को महिला और पुरुषों के चश्मे से नहीं बल्कि अपराध को अपराध के चश्मे से ही देखना चाहिए.
केरल (Kerala) के इडुक्की ज़िले में 35 साल की शीबा नाम की एक महिला, 27 साल के अरुण कुमार से शादी करना चाहती थी. दोनों की मुलाक़ात Facebook पर हुई थी. पुलिस का कहना है कि इस लड़के ने महिला से शादी करने का वादा भी किया था.
कुछ दिनों पहले उसे पता चला कि जिस महिला से वो शादी करना चाहता है, वो तलाकशुदा है और उसके दो बच्चे भी हैं. इसके बाद लड़के को लगा कि उसके साथ धोखा हुआ है क्योंकि इस महिला ने अपनी पहली शादी और बच्चों के बारे में उसे कुछ नहीं बताया था. इस बात से आहत होकर उसने शादी करने से इनकार कर दिया. ये बात इस महिला को इतनी बुरी लगी कि उसने उससे बदला लेने की ठान ली.
पुलिस का कहना है कि इसके बाद महिला ने उसे ब्लैकमेल किया और पुलिस में केस दर्ज नहीं कराने के बदले में कुछ पैसों की भी मांग की. घटना वाले दिन अरुण कुमार नाम का ये व्यक्ति इस महिला को पैसे देने ही आया था. जैसे ही पानी लेने के लिए वो दूसरी तरफ़ गया, तभी उस महिला ने अपने बैग से एसिड निकाल कर उसके मुंह पर फेंक (Acid Attack) दिया.
इस हमले में 27 साल के इस लड़के की आंखों की रोशनी चली गई और उसका चेहरा भी पूरी तरह ख़राब हो गया है. हमले के दौरान एसिड की कुछ बूंदे इस महिला के चेहरे और शरीर पर भी पड़ी, जिससे वो भी घायल हो गई. हालांकि पुलिस ने अब उसे गिरफ़्तार कर लिया गया है और पीड़ित लड़के का इलाज अब भी अस्पताल में चल रहा है.
अगर आप किसी व्यक्ति से कहेंगे कि एक महिला ने प्रेम संबंध में किसी पुरुष पर एसिड से हमला (Acid Attack) कर दिया है तो शायद वो व्यक्ति इस बात पर कुछ देर के लिए यकीन नहीं करेगा. वहीं अगर आप उसी व्यक्ति से ये कहेंगे कि किसी पुरुष ने प्रेम संबंध में किसी महिला पर एसिड अटैक किया है तो वो व्यक्ति पूरी घटना को जाने बिना भी उस पर यकीन कर लेगा. ऐसे मामलों में अपनी एक धारणा बना लेगा. जबकि ऐसे मामलों में आंकड़े अलग ही कहानी बयां करते हैं.
वर्ष 2018 में देश में एसिड अटैक की 240 घटनाएं हुई थीं. इनमें 57 प्रतिशत घटनाएं महिलाओं के खिलाफ़ और 43 प्रतिशत घटनाएं पुरुषों के ख़िलाफ़ हुई थीं. ये बात सही है कि ऐसे मामलों में ज़्यादातर महिलाओं को ही शिकार बनाया जाता है. लेकिन ये भी सच है कि पुरुषों के खिलाफ भी हमारे देश में अपराध की बड़ी बड़ी घटनाएं होती हैं. बस फर्क इतना है कि इनके बारे में ज़्यादा बात नहीं होती.
एसिड यानी तेजाब से किया गया हमला, एक ऐसा हमला होता है, जो जिस्म ही नहीं ज़हन को भी अंदर तक छलनी कर देता है. वर्ष 2013 में एसिड हमले रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कुछ गाइडलाइंस बनाई थीं, जिसके तहत दुकानों पर एसिड की बिक्री नहीं जा सकती. जिन चुनिंदा दुकानों पर तेजाब बेचा भी जाता है, वहां खरीदार के बारे में सभी जानकारी रिकॉर्ड में रखना ज़रूरी है.
ये गाइडलाइंस इसलिए हैं ताकि देश में एसिड अटैक (Acid Attack) ना हों. लेकिन इसके बावजूद वर्ष 2014 से 2018 के बीच देश में इस तरह की 1 हज़ार 483 घटनाएं हुईं. एक कड़वा सच ये भी है कि गाइडलाइंस चाहे कुछ भी हों, लेकिन भारत में लोगों के लिए तेजाब खरीदना ज्यादा मुश्किल नहीं है.
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इस ख़बर का दूसरा पहलू भी है. एसिड अटैक की ये घटना केरल (Kerala) जैसे राज्य में हुई, जहां पूरे देश में सबसे ज़्यादा साक्षरता दर है. केरल में हर 100 में से 96 लोग पढ़े लिखे हैं. अक्सर हम कहते हैं कि अगर समाज में ज्यादातर लोग पढ़ लिखे हों तो वहां अपराध अपने आप खत्म हो जाता है. लेकिन केरल के मामले में ऐसा नहीं है.
वर्ष 2017 में क्राइम रेट के मामले में केरल (Kerala) पूरे देश में दिल्ली के बाद दूसरे स्थान पर था. इससे ये पता चलता है कि शिक्षा आपराधिक मानसिकता को Detox नहीं कर सकती. इसके लिए समाज का जागरुक होना और संवेदनशील होना भी जरूरी है.
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