कोरोना को हराने वाले बुजुर्ग परिवार से हारे, ना कोई फोन उठाता, ना घर ले जाता
रिश्तों को दगा देने के कई मामले अस्पतालों से भी सामने आए हैं. इनमें कई बुजुर्ग (Senior Citizens) ऐसे हैं जिन्होंने कोरोना को तो मात दे दी लेकिन अपनों से ही हार गए.
Written ByKavita Sharma|Last Updated: Jul 20, 2020, 10:16 PM IST
कोरोना को मात दे चुके बुजुर्गों का दर्द
परिजन घर ले जाने के लिए तैयार नहीं
कोरोना मुक्त होने के बाद भी अस्पताल में रहने को मजबूर हैं बुजुर्ग
नई दिल्ली:कोरोना महामारी (COVID-19 Pandemic) ने बहुत कुछ बदल दिया है. यहां तक कि रिश्तों पर भी इसका गहरा असर पड़ा है. कोरोना संक्रमण के डर से कई लोग अपनों से ही ऐसा बर्ताव कर रहे हैं, जो इंसानियत को शर्मसार कर दे. कई मामले ऐसे भी आए जिनमें लोगों ने अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करने तक से इंकार कर दिया.
रिश्तों को दगा देने के कई मामले अस्पतालों से भी सामने आए हैं. इनमें कई बुजुर्ग (Senior Citizens) ऐसे हैं जिन्होंने कोरोना को तो मात दे दी लेकिन अपनों से ही हार गए. ये बुजुर्ग इलाज के बाद ठीक हो गए हैं लेकिन फिर भी अस्पताल में रहने को मजबूर हैं.
दरअसल, इन बुजुर्गों के परिवार वाले इन्हें लेने ही नहीं आ रहे. यहां तक कि कई बुजुर्गों के घर के लोग तो उनका फोन भी नहीं उठा रहे. दिल्ली के एलएनजेपी (LNJP) अस्पताल में भर्ती 73 साल के विनोद जेजे कॉलोनी में रहते हैं. बीते 18 दिनों से उन्हें अपने बच्चों के आने का इंतजार है. वे अब कोरोना से पूरी तरह ठीक हो चुके हैं. अस्पताल ने भी उनके परिवार से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन परिवार के सदस्यों ने अस्पताल का फोन उठाना भी बंद कर दिया है. यही नहीं जिस पते का वे जिक्र कर रहे है वहां ताला लगा हुआ है पूरा परिवार गायब है.
कोई शव लेने तक नहीं आया
एलएनजेपी की डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ.रितु सक्सेना बताती हैं कि इसी तरह एक 65 साल के शख्स की कोविड-19 के कारण मौत हो गई तो उनके परिवार वाले उनकी बॉडी लेने तक नहीं आए. आखिरकार लंबे इंतजार के बाद हॉस्पिटल ने ही उनका अंतिम संस्कार कराया.
इस बीमारी ने मानवता के एक ऐसे दर्दनाक पहलू को उजागर किया है जो बेहद चिंताजनक है. अपनों की बेरूखी के कारण परिवार के आने का इंतजार करते-करते अस्पताल में ही बुजुर्ग का दम तोड़ना पूरे समाज के लिए शर्मसार करने वाला है.