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नई दिल्ली : रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा है कि पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सरकार जल्द ही विदेशी कंपनियों को एजेंट नियुक्त करने की अनुमति देगी, लेकिन कंपनियों को पहले से उल्लेख करना होगा कि वे उन्हें उचित पारिश्रिमिक का भुगतान किया करेंगी और उन्हें ‘खरात में’ कोई बोनस या सफलता शुल्क प्रदान करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
एजेंटों और बिचौलियों में अंतर को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ‘धोखाधड़ी’ के लिए कोई गुंजाइश नहीं छोड़ेगी। पर्रिकर ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘एजेंटों का मतलब बिचौलिया नहीं है। इस बात की गुंजाइश होगी कि कंपनी अपना प्रतिनिधित्व करने या तकनीकी खामियों को दूर करने के लिए उचित शुल्क का भुगतान कर एजेंट की नियुक्ति कर सके जिसका उल्लेख पहले से करना होगा।’ उन्होंने कहा कि नयी रक्षा खरीद प्रक्रिया पूरी होने के अंतिम चरण में है और यह एजेंटों की भूमिका को स्पष्ट रूप से परिभाषित करेगी।
रक्षा मंत्री ने इस बात पर सहमति जताई कि एजेंटों के लिए कानूनी रूप से पहले से ही एक प्रावधान मौजूद है, लेकिन कहा, ‘लघु रूप में, एजेंट शब्द वहां था, किन्तु यह स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं था कि उसकी भूमिका क्या होगी। यह अच्छी तरह से परिभाषित नहीं था। उसे उचित तरह से परिभाषित किया जा रहा है।’
रक्षा मंत्री ने कहा कि एजेंटों की नियुक्ति का मतलब यह नहीं है कि कमीशन या ऐसी कोई चीज देने के लिए रक्षा कंपनियों को अनुमति दी जाएगी। पर्रिकर ने कहा, ‘कई बार आप कार्यालय नहीं खोल सकते क्योंकि व्यवसाय का अनुपात कार्यालय रखने को उचित नहीं ठहराता। इसलिए आप यहां कैसे काम करेंगे?
आप हर समय यहां विदेश से किसी व्यक्ति को नहीं भेज सकते। इसलिए यह प्रावधान है, लेकिन यह किसी धोखेबाजी की अनुमति नहीं देता।’ उन्होंने कहा कि एजेंट के शुल्क के बारे में पहले से उल्लेख करना होगा और सफलता शुल्क, बोनस या इस तरह के किसी अन्य भुगतान की इजाजत नहीं दी जाएगी।
पर्रिकर ने कहा, ‘यहां तक कि विफलता के लिए कोई अर्थदंड भी नहीं होगा। कई बार पहले से आप कुछ दे देते हैं और फिर काम नहीं होने पर अर्थदंड के जरिए उसे वापस ले लेते हैं।’ रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार के कदम से बहुप्रतीक्षित पारदर्शिता आएगी।