आखिर कैसे हुआ अहमदाबाद विमान हादसा? ब्लैक बॉक्स बताएगा असली वजह
Advertisement
trendingNow12799903

आखिर कैसे हुआ अहमदाबाद विमान हादसा? ब्लैक बॉक्स बताएगा असली वजह

एयर इंडिया का 787 ड्रीमलाइनर गुरुवार की दोपहर 1 बजकर 39 मिनट पर अहमदाबाद एयरपोर्ट के रनवे संख्या 23 से टेकऑफ हुआ. CCTV की कैमरे में विमान के आखिरी 60 सेकंड रिकॉर्ड हुए हैं. जिसमें देखा जा सकता है कि जमीन को छोड़ने के 27 सेकंड बाद विमान आग का गोला बन गया.

आखिर कैसे हुआ अहमदाबाद विमान हादसा?  ब्लैक बॉक्स बताएगा असली वजह

Ahmedabad plane crash: एयर इंडिया का 787 ड्रीमलाइनर गुरुवार की दोपहर 1 बजकर 39 मिनट पर अहमदाबाद एयरपोर्ट के रनवे संख्या 23 से टेकऑफ हुआ. CCTV की कैमरे में विमान के आखिरी 60 सेकंड रिकॉर्ड हुए हैं. जिसमें देखा जा सकता है कि जमीन को छोड़ने के 27 सेकंड बाद विमान आग का गोला बन गया. लेकिन विमान में ऐसा क्या हुआ की ये एक उड़ता श्मशान बन गया. अबतक जो जानकारी निकलकर सामने आई है उसके मुताबिक टेकऑफ के तुरंत बाद ही फ्लाइट के कैप्टन सुमित सभरवाल और फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर ने MAYDAY का कॉल दे दिया था, ATS या कोई कुछ कर पाता उससे पहले ही विमान क्रैश हो चुका था.

ब्लैक बॉक्स खोलेगा राज!

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर विमान में ऐसी क्या गड़बड़ी हुई की टेकऑफ के 27 सेकंड में ही क्रैश हो गया. लेकिन अगर इसका सटीक जवाब अगर कोई डिवाइस दे सकती है तो उसका नाम है ब्लैक बॉक्स. एयर इंडिया की उस फ्लाइट का ब्लैक बॉक्स बरामद कर लिया गया है. ये बताया जा रहा है कि ये प्लेन जिस हॉस्टल बिल्डिंग से टकराई उसकी छत से ब्लैक बॉक्स को रिकवर किया गया है. क्रैश के बाद सबसे पहले लोगों को रेस्क्यू किया गया और उसके बाद एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इनवेस्टिगेशन ब्यूरो यानी AAIB की टीम ब्लैक बॉक्स की तलाश में जुटी. करीब 40 लोगों की टीम को ब्लैक बॉक्स के सर्च ऑपरेशन में लगाया गया था. क्योंकि ब्लैक बॉक्स में क्रैश के हर अनसुलझे सवाल कैद हैं.

ब्लैक बॉक्स से क्या क्या जानकारी मिलती है. इसे समझने के लिए, पहले ये जानना जरूरी है कि इसमें होता क्या है. इसके कितने हिस्से होते हैं. और इसमें क्या क्या जानकारियां रिकॉर्ड होती हैं.

ब्लैक बॉक्स क्या होता है?

ब्लैक बॉक्स (Black Box) में 2 हिस्से होते हैं. कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) CVR पायलट्स की बातचीत, रेडियो ट्रांसमिशन, और कॉकपिट की बाकी आवाजों, जैसे अलार्म या मैकेनिकल शोर को रिकॉर्ड करता है. इससे ये समझने में मदद मिलती है कि क्रैश से पहले पायलट क्या कर रहे थे और क्या आपात स्थिति थी.

FDR विमान के प्रदर्शन से संबंधित डाटा जैसे ऊंचाई, गति, इंजन थ्रस्ट, फ्लैप सेटिंग्स, और सिस्टम वार्निंग को रिकॉर्ड करता है. ये दुर्घटना के तकनीकी कारणों को समझने में बेहद अहम है। ये ब्लैक बॉक्स का सबसे अहम हिस्सा होता है क्योंकि इसमें 80 अलग अलग तरह का डाटा रिकॉर्ड होता है.

ब्लैक बॉक्स से जो जानकारियां इकट्ठा होती हैं. उसके जरिए जांच एजेंसियां पूरे हादसे को RECONSTRUCT करती हैं. जिससे विमान के क्रैश की असल वजह का पता चलता है.

एयर इंडिया की जो फ्लाइट क्रैश हुई. उसके टेकऑफ से लेकर क्रैश तक. यानी आखिरी दो मिनट में क्या हुआ. उसकी हर एक डीटेल इसके ब्लैक बॉक्स से रिकवर की जा रही है.

बोइंग का जो 787 ड्रीमलाइनर क्रैश हुआ है. उसमें 23 लाख से ज्यादा छोटे बड़े पार्ट्स थे. लेकिन इन 23 लाख पार्ट्स में से ब्लैक बॉक्स एक ऐसा पार्ट है जिसकी तलाश क्रैश के बाद सबसे ज्यादा की जाती है. क्योंकि इसी से क्रैश की असल वजह का पता चलता है. प्लेन क्रैश के पीछे के मूल कारण खोजने में ब्लैक बॉक्स काफी हद तक विश्वसनीय है, लेकिन इसकी भी अपनी कुछ सीमाएं हैं.

29 दिसंबर 2024 को 181 लोगों को लेकर बैंकॉक से साउथ कोरिया जा रहा जेजू एयर का प्लेन उतरते समय क्रैश हो गया था, जिससे उसमें सवार 179 लोगों की मौत हो गई. इसका ब्लैक बॉक्स बरामद कर लिया गया, लेकिन जांच में पता चला की इसमें उड़ान के आखिरी कुछ मिनटों का महत्वपूर्ण डेटा मिट चुका था

मई 2020 में पाकिस्तान एयरलाइंस की फ्लाइट कराची में क्रैश कर गई थी. इसमें 97 लोगों की मौत हो गई थी. इस प्लेन के ब्लैक बॉक्स क्रैश के 4 मिनट पहले ही काम करना बंद कर दिया था.

इसी तरह मार्च 2014 में मलेशियन एयरलाइंस की फ्लाइट 370 गायब हो गयी. जिसका मलबा आज तक नहीं मिला. विमान का ब्लैक बॉक्स तो मिला लेकिन इसके सिग्नल को डीकोड नहीं किया जा सका

जून 2012. नाइजेरिया में डाना एयरलाइंस का विमान क्रैश हुआ था. इस हादसे में 159 लोगों की मौत हुई थी. इस हादसे के बाद विमान का ब्लैक बॉक्स तो मिला था. लेकिन वो बुरी तरह से टूट गया था. कोई भी डाटा रिट्रीव नहीं किया जा सका था.

हालाकि ब्लैक बॉक्स 99 प्रतिशत मामलों में क्रैश की वजह का पता लगाने में मदद करता है. आज हर कमर्शियल प्लेन. मिलिट्री प्लेन. और हेलीकॉप्टर में ब्लैक बॉक्स मौजूद होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ब्लैक बॉक्स का आविष्कार किसने और क्यों किया था.

1954 में दुनिया की पहली जेट पावर्ड कमर्शियल जेट क्रैश हुई थी.
रिसर्च वैज्ञानिक डेविड वारेन इसकी जांच टीम का हिस्सा थे.
भविष्य में क्रैश की वजह का पता लगाने के लिए उन्होंने एक छोटी रिकॉर्डिंग डिवाइस बनाई.
इसी डिवाइस को ब्लैक बॉक्स का नाम दिया गया.

आज का ब्लैक बॉक्स कुछ ऐसा दिखता है. गहरे ऑरेंज कलर का. आप सोच रहे होंगे की जब रंग ब्लैक नहीं है तो ब्लैक बॉक्स क्यों है. तो आपको बता दें की पहले ब्लैक बॉक्स के अंदर फिल्म होती थी. जिसमें रिकॉर्डिंग होती थी. उस फिल्म को बचाने के लिए बाक्स को काले रंग से पेंट किया जाता था. समय के साथ साथ ब्लैक बॉक्स का रंग तो बदल गया है. लेकिन नाम नहीं बदला गया.

ब्लैक बॉक्स के अलावा भी प्लेन में कई ऐसी डिवाइस होती है. जो क्रैश इनवेस्टिगेशन का हिस्सा होती हैं. हादसे वाली जगह पर मौजूद टीमें इन्हीं की तलाश कर रही हैं. जांच टीमों को फ्लाइट का डीवीआर भी मिल गया है. जिसमें कॉकपिट. और केबिन के कैमरों की रिकॉर्डिंग है. इसके जरिए भी क्रैश की वजह का पता लगाने की कोशिश की जाएगी.

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news

;