Ahmedabad Plane Crash: गुजरात के अहमदाबाद में हुए भीषण हवाई हादसे ने पूरे देश को दहला दिया है. हादसे की वजह से पूरा देश का माहौल गमगीन है. इसमें एक व्यक्ति के बचने की बात पुलिस कमिश्नर ने कही है. ऐसे में हम जानते हैं कि क्या इमरजेंसी गेट खोला जा सकता है?
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Ahmedabad Plane Crash: गुजरात के अहमदाबाद में हुए भीषण हवाई हादसे ने पूरे देश को दहला दिया है. हादसे की वजह से पूरा देश का माहौल गमगीन है. हादसे का शिकार हुए विमान में 242 लोग सवार थे. इसमें ज्यादातर लोगों की जान चली गई है. वहीं पुलिस कमिश्नर ने बताया है कि 11 ए सीट पर सवार एक व्यक्ति की जान बच गई है. ये किसी चमत्कार से कम नहीं माना जा रहा है. जिसके बाद बड़ा सवाल उठ रहा है कि क्या उड़ते हुए विमान का इमरजेंसी गेट खोला जा सकता है? आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से.
क्या खोल सकते हैं गेट?
अमेरिकन एयरलाइंस के फर्स्ट ऑफिसर स्टीव स्कीबनर के मुताबिक उड़ान के दौरान विमान का इमरजेंसी गेट खोलना असंभव है. क्योंकि उड़ते हुए विमान का केबिन दबाव में होता है और जिसकी वजह से एमरजेंसी गेट को खोलने के लिए 25,000 पाउंड से अधिक एनर्जी चाहिए. जो एक इंसान के बस की बात ही नहीं है. अधिकांश विमान जब 80 नॉट (लगभग 92 मील/घंटा) की रफ्तार पकड़ते हैं तो विमान के दरवाजे अपने आप ही लॅाक हो जाते हैं और ये मैन्युअल रूप से नहीं खुल सकते हैं.
पैसेंजर करते हैं प्रयास
Yahoo की रिपोर्ट के मुताबिक इमरजेंसी गेट को खोलना भले ही असंभव हो लेकिन हर साल कोई न कोई यात्री ऐसा करने की कोशिश जरूर करता है. टोक्यो से ह्यूस्टन जाने वाली ऑल निप्पॉन एयरवेज की एक फ्लाइट को सिएटल की ओर मोड़ दिया गया था. इसके पीछे की वजह थी कि एक यात्री लगातार आपातकालीन दरवाज़े खोलने की कोशिश कर रहा था. उसे रोकने के लिए केबिन क्रू और साथी यात्रियों ने जिप टाई का उपयोग किया था.
एशियाना फ्लाइट में हुआ ऐसा
आपातकालीन गेट खोलने के मामले में अक्सर लोगों के हाथ असफलता लगी है. हालांकि साल 2023 में दक्षिण कोरिया के डेगू में उतरने वाली एशियाना फ्लाइट के एक यात्री ने कथित तौर पर अपने बगल में बैठे आपातकालीन गेट खोल दिया था. उस समय विमान 700 फीट से अधिक ऊंचाई पर था. हालांकि इसकी वजह से कोई हादसा नहीं हुआ न ही कोई घायल हुआ.
हो सकती है ये सजा
अगर कोई गेट को खोलने की कोशिश करता है तो उस यात्री को गिरफ्तार किया जा सकता है. दोषी पाए जाने की वजह से उसे 20 साल तक की जेल भी हो सकती है. यात्रा में व्यवधान पड़ने की वजह से उसे नजदीकी एयरपोर्ट पर उतारा जा सकता है और उस यात्री को नो-फ्लाई सूची में डाला जा सकता है.