शाहरुख-ताहिर जैसे दागी चेहरे... फिर भी AIMIM ने लगा दिया दांव! दिल्ली में कितना कमाल कर पाएंगे ओवैसी
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शाहरुख-ताहिर जैसे दागी चेहरे... फिर भी AIMIM ने लगा दिया दांव! दिल्ली में कितना कमाल कर पाएंगे ओवैसी

AIMIM in Delhi Assembly Elections: अब तक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के चुनावों से दूर रहने वाले असदुद्दीन ओवैसी ने इस बार विधानसभा चुनाव में डेब्यू करने जा रहे हैं. चुनाव में उनकी एंट्री से कई तरह के सवाल पैदा हो गए हैं. खास तौर पर जिस तरह के उम्मीदवार पार्टी चुन रही है, उसको लेकर सवाल उठ रहे हैं. 

शाहरुख-ताहिर जैसे दागी चेहरे... फिर भी AIMIM ने लगा दिया दांव! दिल्ली में कितना कमाल कर पाएंगे ओवैसी

AIMIM in Delhi Assembly Elections: केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली चुनाव की दहलीज पर है और सभी सियासी पार्टियां मैदान में उतरकर लोगों को अपनी तरफ खींचने में लग गई हैं. आम आदमी पार्टी (AAP) एक बार फिर से लोक लुभावनी स्कीमों का ऐलान कर रही है. आप की इन स्कीमों पर भारतीय जनता पार्टी तरह-तरह के सवाल उठा रही है, साथ ही कांग्रेस भी दिल्ली सरकार की इन स्कीमों को गलत बताने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. दिल्ली के पिछले कुछ चुनावों पर नजर डालें तो अब तक दिल्ली की राजनीति में आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस ही मुख्य पार्टियां हुआ करती थी लेकिन इस बार असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM भी राजधानी में अपने लिए सियासी जमीन तलाशने में लग गई है. 

विवादित चेहरों पर AIMIM का दांव?

ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) इससे पहले यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात जैसे राज्यों के विधानसभा में चुनाव में अपनी किस्मत आजमा चुकी है. कुछ राज्यों में पार्टी को उम्मीद के मुताबिक नजीते मिले हैं, जबकि कुछ राज्यों में तो सूपड़ा ही साफ हो गया. हालांकि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी अभी तक राष्ट्रीय राजधानी के चुनावों से दूर थी लेकिन इस बार उन्होंने इस दंगल में कूदने का इरादा बना लिया और उम्मीदवारों के नाम भी ऐलान करने शुरू कर दिए हैं. हालांकि AIMIM पर विवादत चेहरों की बदौलत दिल्ली में अपना दम दिखाने का आरोप लग रहा है. 

AAP ने छोड़ा, AIMIM ने अपनाया

ओवैसी की पार्टी ने दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में जेल में बंद आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद रहे ताहिर हुसैन को मुस्तफाबाद सीट से अपना उम्मीदवार बना दिया है. ताहिर हुसैन दिल्ली दंगों में आईबी कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या के आरोप में जेल में हैं. अपने पार्षद पर आरोप लगने के बाद आम आदमी पार्टी ने उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया था. बात सिर्फ एक चेहरे पर खत्म नहीं हो रही, क्योंकि एक और विवादित चेहरे को पार्टी की तरफ टिकट दिए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं. 

शाहरुख का नाम भी आया चर्चा में

कहा जा रहा है कि AIMIM शाहरुख को भी अपना उम्मीदवार बना सकती है. शाहरुख पर दिल्ली दंगों के दौरान पुलिसकर्मी पर पिस्टल तानने का आरोप था. हाल ही में AIMIM के दिल्ली इकाई के अध्यक्ष शोएब जामई से शाहरुख के परिवार वालों ने मुलाकात की थी. इसके बाद खुद AIMIM प्रदेश अध्यक्ष शोएब ने शाहरुख के परिवार से बात की थी. इस दौरान जामई ने संकेत दिए थे कि अगर उनका परिवार और स्थानीय लोग चाहते हैं तो हम उन्हें चुनाव लड़वा सकते हैं. ऐसे में AIMIM पर सभी यह सवाल उठा रहे हैं कि पार्टी विवादित चेहरों पर किस्मत आजमाकर साबित क्या करना चाहती है?

मुस्लिमों नेतृत्व क्यों नहीं?

बता दें कि राजधानी का मुस्लिम वोटर कभी कांग्रेस का हुआ करता था लेकिन पिछले कुछ चुनावों से ये वोट आम आदमी की तरफ हो गया है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर AIMIM को दिल्ली के चुनावी रण में अपनी जगह बनानी है तो ताहिर हुसैन और शाहरुख जैसे चेहरे अहम हो जाते हैं. इस तरह के चेहरों को मैदान में उतारकर AIMIM खुद को मुस्लिम समाज के बीच उनके सच्चे हितैषी के तौर पर पेश करने की कोशिश कर रही है. ताहिर हुसैन के समर्थन में रैली को संबोधित करते हुए ओवैसी ने भी कहा कि हर समुदाय के लिए राजनीतिक नेतृत्व है तो मुस्लिमों के लिए क्यों नहीं.

दिल्ली किसका खेल बिगाड़ेगी AIMIM?

राजधानी दिल्ली में AIMIM पहली बार चुनाव लड़ेगी. ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी हो जाता है कि आखिर वो किसके वोट काटने जा रही है. सबसे पहले बात करते हैं राज्य में मुस्लिम वोटों की. 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य में 12 फीसद मुस्लिम हैं. AIMIM मुस्तफाबाद, सीलमपुर, बाबरपुर, चांदनी चौक, ओखला, जंगपुरा और बल्लीमारान जैसी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है. ये सीटें लगभग आम आदमी पार्टी के खाते में हैं, ऐसे में जाहिर है कि AIMIM आम आदमी पार्टी के लिए नुकसानदह साबित होने जा रहे हैं. 

कितना कमाल करेगी AIMIM?

ये बता पाना तो थोड़ी मुश्किल है कि AIMIM कितना कमाल कर पाएगी. हालांकि उसके अन्य राज्यों के प्रदर्शन पर नजल डाली जा सकती है. हाल ही में महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव में ओवैसी ने 16 उम्मीदवार उतारे थे लेकिन 1 ही सीट जीत पाई. जबकि पिछली बार AIMIM ने 44 उम्मीदवार उतारे थे और सिर्फ 2 सीटें ही अपने नाम कर पाए थे. इसके अलावा बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में AIMIM ने 20 उम्मीदवार मैदान उतारे थे और यहां उसे 5 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. इससे भी पहले गुजरात के चुनावों की तरफ देखें तो वहां AIMIM को NOTA से भी कम वोट मिले थे. आंकड़ों के मुताबिक ओवैसी की पार्टी AIMIM को 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में 0.29 फीसद वोट शेयर मिला है. यह आंकड़ा नोटा को मिले वोट प्रतिशत से भी कम है. गुजरात चुनाव में 1.58 प्रतिशत वोट शेयर NOTA मिला है.

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