नई दिल्ली: लद्दाख (Ladakh) में जारी भारत-चीन (Indo- China) सीमा विवाद के बीच भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के शीर्ष कमांडर की अहम बैठक शुरू हो चुकी है. ये बैठक देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित की गई है. इस बैठक में चीन के साथ लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर चल रहे तनाव को लेकर चर्चा की जाएगी. इसके साथ ही लद्दाख में रफाल की तैनाती को लेकर भी चर्चा के कयास लगाए जा रहे हैं.


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इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) भी मौजूद रहे. इस दौरान उन्होंने बैठक को संबोधित करते हुए सबसे चुनौतीपूर्ण हालात में वायुसेना की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया. सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक ये तीन दिवसीय बैठक होगी जो 22 जुलाई से 24 जुलाई के दरम्यान होगी जिसमें सातों कमांडर इन चीफ मौजूद रहेंगे. इस बैठक का नेतृत्व वायुसेनाध्यक्ष एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया (Air Chief Marshal RKS Bhadauriya) करेंगे. जिसका मुख्य एजेंडा चीन के साथ लगती सीमाओं की तनाव पूर्ण स्थिति में मसले को सुलझाने के साथ के साथ-साथ पूर्वी लद्दाख में बल द्वारा की गई फॉरवर्ड तैनाती होगा.


बताते चलें कि मौजूदा सीमा विवाद के बाद भारतीय सेना अब और ज्यादा मुस्तैद होने जा रही है. आए दिन चीन की तरफ से सीमा पर घुसपैठ को रोकने के लिए सेन कड़े कदम उठाने पर विचार कर रही है. भारतीय वायुसेना के शीर्ष कमांडर आज से शुरू हो रहे तीन दिवसीय सम्मेलन में देश की वायु रक्षा प्रणाली की व्यापक समीक्षा करेंगे. इसमें चीन के साथ सीमा विवाद के मद्देनजर लद्दाख क्षेत्र में राफेल (Rafael) लड़ाकू विमानों के पहले बेड़े की संभावित तैनाती पर भी चर्चा की जाएगी. 


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सूत्रों ने बताया कि कमांडरों के लद्दाख सेक्टर में अगले महीने की शुरूआत तक करीब छह राफेल विमानों के प्रथम बेड़े को तैनात करने पर विशेष रूप से चर्चा करने की भी उम्मीद है. ये विमान भारतीय वायुसेना के लड़ाकू बेड़े में जुलाई के अंत तक शामिल किए जाने वाले हैं. वायुसेना पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में पिछले कुछ हफ्तों से रात के समय में लड़ाकू हवाई गश्त कर रही है.


इसका उद्देश्य संभवत: चीन को यह संदेश देना है कि वह इस पर्वतीय क्षेत्र में किसी भी अकस्मात स्थिति से निपटने के लिये बखूबी तैयार है. रक्षा मंत्री के क्षेत्र के दौरे के दौरान शुक्रवार को पूर्वी लद्दाख के स्ताकना में एक सैन्य अभ्यास में वायुसेना की कई हथियार प्रणालियों ने भागीदारी की. इस अभ्यास में काफी ऊंचाई वाले क्षेत्र में जटिल सुरक्षा परिदृश्य से निपटने में थल सेना (Army) और वायुसेना की समन्वित लड़ाकू क्षमता का प्रदर्शन किया गया है.


वायुसेना ने सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर, मिराज 2000 जैसे अग्रिम मोर्चे के अपने लगभग सभी तरह के लड़ाकू विमान पूर्वी लद्दाख में अहम सीमांत वायुसेना ठिकानों और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगे स्थानों पर तैनात किये हैं. वायुसेना ने अपाचे हमलावर हेलीकॉप्टर और विभिन्न अग्रिम स्थानों पर सैनिकों को पहुंचाने के लिये चिनूक हेलीकॉप्टर तैनात किये हैं. 


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