Air India Plane Crash in Ahmedabad: एयर इंडिया प्लेन हादसे ने देश को जो जख्म दिया है, उसके घाव भरने में सालों लग जाएंगे. अहमदाबाद विमान हादसे की अब जो कहानियां निकल कर सामने आ रही हैं, जिसे जानकर हर कोई हैरान है. ऐसी ही एक कहानी है मणिपुर की दो बेटियों की जिनकी विमान हादसे में मौत हो गई है. जानें पूरी कहानी.
Trending Photos
Air India Ahmedabad plane crash Manipur Girls: अहमदाबाद विमान हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. वहीं इस हादसे में अपनों को खोने वाले परिवारों को जिंदगी भर न भूलने वाला दर्द दे गया है. इस हादसे में 265 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है, जिनमें 230 यात्री, दो पायलटों समेत 12 क्रू मेंबर शामिल हैं. इन मौतों ने पूरे देश को गमगीन कर दिया है. मणिपुर इस दर्द को और भी करीब से महसूस कर रहा है. 12 क्रू मेंबर में 2 मणिपुर की बेटिया थीं. इन दोनों की कहानी पढ़कर आप भी रो देंगे.
लामनुनथेम सिंगसन मणिपुर के कुकी समुदाय से आती थीं. वहीं नगनथोई शर्मा कोंगब्राईलटपम मैतेई समुदाय से थीं. यह दोनों एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 के केबिन क्रू सदस्यों में शामिल थीं. इस विमान हादसे ने दोनों को ही छीन लिया है.
अंतिम उड़ान में भी कायम रही मैतेई-कुकी की दोस्ती
जहां एक तरफ पिछले कुछ सालों से मणिपुर जातीय हिंसा में सुलग रहा है, वही इन दो बेटियों की दोस्ती सभी के लिए मिसाल के तौर पर अब सामने आई है. इन दो बेटियों का नाम है लामनुनथेम सिंगसन और गनथोई शर्मा कोंगब्राईलटपम. लामनुनथेम सिंगसन मणिपुर के कुकी समुदाय से आती थीं. वहीं नगनथोई शर्मा कोंगब्राईलटपम मैतेई समुदाय से थीं. यह दोनों एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 के केबिन क्रू सदस्यों में शामिल थीं. एयर इंडिया विमान हादसे ने दोनों को ही नहीं बल्कि दोनों की दोस्ती भी जिंदगी भर के ली छींन लिया. दोनों एक साथ एक ही प्लेन में मौत की नींद तो सो गई लेकिन उनकी कहानी, उनकी दोस्ती और मणिपुर के मैतेई-कुकी समुदायों के बीच का प्यार आज भी जिंदा करके गई हैं. जो पूरे देश को रुला रहा है. खासकर मणिपुर के लोगों के लिए.
जानें दोनों की कहानी
20 साल की नंथोई मैतेई समुदाय से थीं. उनके लिए बोइंग 787 ड्रीमलाइनर पर लंदन की उड़ान एक सपने जैसी थी. पहली बार इतनी लंबी यात्रा पर जा रही थीं. उनकी वर्दी में चमकती आंखें और चेहरे की खुशी सबको बता रही थी कि वह कितनी उत्साहित थीं. उनके साथ थीं 26 साल की सिंगसन, जो कुकी समुदाय से थीं. इम्फाल में पली-बढ़ी सिंगसन मैतेई भाषा में भी उतनी ही सहज थीं. दोनों की दोस्ती ऐसी थी, मानो बहनें हों. फ्लाइट में दोनों एक-दूसरे की भाषा में हंसी-मजाक करती थीं, जैसे मणिपुर की सारी दूरियां मिट गई हों. लेकिन उन्हें क्या पता था आज दोस्ती का आखिरी दिन है. इन दोनों की दोस्ती की कहानी भी बहुत रोचक है.
दोस्ती की कहानी बहुत रोचक
बीस साल की चंचल और हंसमुख नंथोई शर्मा कोंगब्राईलटपम के लिए बोइंग 787 ड्रीमलाइनर पर सवार होना एक सपने के सच होने जैसा था. यह उनका पहला लंबी दूरी का सफर था. लंदन की ओर उड़ान. वर्दी पहनने के बाद भी उनके चेहरे की खुशी छुप नहीं रही थी. नंथोई मणिपुर के मैतेई समुदाय से थीं.
कुकी-मैतेई की दोस्ती
इस उड़ान को और भी खास बना दिया उनकी साथी क्रू सदस्य लालनुनथियेम सिंगसन की मौजूदगी ने. जो उन्हीं की बड़ी बहन जैसी थीं. सिंगसन कुकी समुदाय से थीं लेकिन इम्फाल में ही पली-बढ़ी थीं, इसलिए मैतेई भाषा में भी निपुण थीं. दोनों ने विमान में एक-दूसरे की भाषा में खुलकर बातें कीं.
आखिरी दिन क्या हुआ
मणिपुर में भड़की जातीय हिंसा के बाद सिंगसन का परिवार कांगुई के राहत शिविर में शरण लिए हुए था. मगर इस संघर्ष का असर नंथोई और सिंगसन की मित्रता पर कभी नहीं पड़ा. यात्रियों के चढ़ने से पहले दोनों मोबाइल में वीडियो बनाने में व्यस्त थीं. इसी दौरान दोनों की अचानक आमने-सामने टक्कर हो गई. दोनों ने हंसते हुए मैतेई भाषा में एक-दूसरे पर चुटकी ली और फिर मोबाइल स्क्रीन पर ध्यान लगा लिया. उन्हें तब यह नहीं पता था कि यह तस्वीर उनकी आखिरी याद बन जाएगी. एयर इंडिया में कॉकपिट क्रू के तौर पर सिंगसन और नंथोई भी साथ मिलकर यात्रियों की सेवा करती थीं.
क्या है दोनों बेटियों की कहानी
सिंगसन का जन्म 1999 में हुआ था जबकि नंथोई 2005 में पैदा हुई थीं. उम्र में छोटी नंथोई को सिंगसन हमेशा बहन की तरह स्नेह देती थीं. लंदन जा रहे एआई 171 ड्रीमलाइनर विमान की इस दुर्भाग्यपूर्ण यात्रा में भी दोनों साथ ही रहीं. मणिपुर नंथोई शर्मा क्रोइशब्राइलाटपाम और लालनुनथियेम सिंगसन परिवार में मातम पसरा हुआ है. पिछले दो सालों में यह पहली बार हुआ कि दोनों समुदाय कुकी और मैतेई एक दोनों ही मणिपुरी बेटियों के लिए शोक जाता रहा है. नंथोई और सिंगसन अपने छोटे से करियर में जो मैत्री और सौहार्द का संदेश छोड़ गईं, वह शायद मणिपुर के पहाड़ और मैदानी इलाकों के बीच एक नया सेतु बन जाए.
अमर हो गई दोस्ती
दूसरी तरफ विमान दुर्घटना के बाद मणिपुर के पहाड़ और मैदानी इलाकों दोनों में मातम पसरा हुआ है. राज्य में जातीय संघर्ष और सांप्रदायिक तनाव के बावजूद कार्यस्थलों पर मैतेई और कुकी समुदाय के लोगों के बीच कभी भी दुश्मनी या रंजिश देखने को नहीं मिली. इसी दोस्ती की मिसाल पेश कर गईं ये दोनों बेटियां