Plane Crash Vishwas Kumar Ramesh: जाको राखे साइयां मार सके न कोय... विश्वास कुमार रमेश के प्लेन क्रैश में बच निकलने के बाद दुनियाभर के लोग यही बोल रहे थे. अब पता चल गया कि उस दिन ये करिश्मा कैसे हुआ था. वहां विश्वास की जान किसने बचाई थी.
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Air India Crash: विश्वास कुमार रमेश, ये नाम भारत ही नहीं पूरी दुनिया में आजकल सुर्खियों में है. 12 जून को अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ा एयर इंडिया का प्लेन 33 सेकेंड बाद ही क्रैश हो गया था. प्लेन में बैठे 241 लोगों की जान चली गई लेकिन विश्वास जीवित बच निकले. जख्मी हालत में जब इनकी तस्वीर टीवी पर आई तो लोग दंग रह गए. इतनी भयानक आग में प्लेन के पुर्जे-पुर्जे जल गए थे लेकिन दीव से ताल्लुक रखने वाले ब्रिटिश नागरिक विश्वास के लिए जैसे किसी ने गद्दा बिछा दिया हो. वो चीज क्या थी, अब पता चल गया है.
जी हां, उस घटना की कल्पना कीजिए तो कुछ ऐसा ही हुआ था. भाई के निधन से भीतर से टूट चुके विश्वास को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है. अब उन्होंने जांच अधिकारियों को बताया है कि 11A सीट के पास इमर्जेंसी गेट था और क्रैश के बाद उनकी सीट झटके से उखड़ी और बाहर निकल गई. इसके बाद जो हुआ, वह ईश्वर का करिश्मा ही था. दरअसल, पूरी सीट निकलकर एक मिट्टी के ढेर पर जा गिरी थी. ये भुरभुरी मिट्टी हॉस्टल और मेस की बिल्डिंग के बीच इकट्ठा की गई थी.
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कमाल की बात यह थी कि इस मिट्टी को जानबूझकर वहां रखा गया था. अधिकारियों को पता चला कि जिस मिट्टी के ढेर पर विश्वास मलबे के हिस्से के साथ गिरे थे, उसे लैंडस्केप तैयार करने के लिए वहां रखा गया था. कई दिन से पूरे इलाके का मेंटेनेंस काम चल रहा था. इसी मिट्टी के कारण विश्वास को ज्यादा चोट नहीं आई और उस जगह ने कुशन का काम किया.
विश्वास ने जांच अधिकारियों को बताया कि शुरू में उन्हें लगा कि वह मर चुके हैं लेकिन तभी उन्हें एहसास हुआ कि प्लेन के ट्यूब वाले हिस्से के पास एक गैप था. मैंने अपना सीटबेल्ट खोला और पैरों से धक्का देकर खुद को आगे बढ़ाया. घिसटते हुए कुछ दूर तक गए. फिर उठ खड़े हुए. इसके बाद का वीडियो लोगों ने देखा है.
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उधर, एयर इंडिया प्लेन क्रैश पर अहमदाबाद पुलिस कमिश्नर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में घटना के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने आज कहा कि 12 जून को 1:42 बजे पुलिस को सूचना मिली. 1:44 बजे उन्हें सूचना मिली. उन्होंने तुरंत गृहमंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया.
1:55 से 2 बजे तक पुलिस कमिश्नर घटनास्थल पर पहुंचे. पहले से डीसीपी क्राइम और जोन 4 डीसीपी पहुंच चुके थे. SDRF, NDRF, पैरा मिलिट्री और आर्म्ड फोर्स के जवान पहुंच चुके थे. उस समय सबसे बड़ा चैलेंज यह था कि 19 फायर स्टेशन हैं और फायर व एम्बुलेंस वाहनों के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाए रखना था. घटनास्थल और अस्पताल में पुलिस बंदोबस्त किया गया.
तुरंत जांच भी शुरू कर दी गई. स्टेशन डायरी में एंट्री और ए.डी. दर्ज की गई. क्रैश ठीक 1:40 बजे हुआ. रात 12:19 बजे मृतकों के सैंपल पहुंचा दिए गए. 200 पुलिसकर्मियों को काम पर लगाया गया. सुबह 8:30 बजे रिश्तेदारों के सैंपल भेज दिए गए. FSL नवीनतम तकनीक से सुसज्जित है. मृत देह सौंपने का कार्य भी किया जा रहा है. जिन मृतकों की पहचान हो गई थी, उनके मृतदेह अगले दिन सुबह परिवारों को सौंप दिए गए. मृत देह के साथ मिले सामान को भी सौंपा जा रहा है.