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DNA on Air Pollution: World Health Organization यानी WHO की हाल में एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें उसने भारत में कोविड से 47 लाख मौतें होने का दावा किया था. तब भारत सरकार ने WHO की इस रिपोर्ट पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी और कहा था कि भारत में कोविड से पिछले दो वर्षों में सवा पांच लाख मौतें हुई हैं. बड़ी बात ये है कि जब कोविड से होने वाली मौतों को लेकर ये अलग अलग आंकड़े आए तो सबने चिंता जताई.
अब जब एक नई रिपोर्ट में ये बताया गया है कि वर्ष 2019 में अलग अलग तरह के प्रदूषण से भारत में 24 लाख लोगों की मौतें हुईं. तो इस पर कोई कुछ नहीं कह रहा है. जबकि ये आंकड़ा कोविड से मरने वाले लोगों की तुलना में लगभग पांच गुना ज्यादा है. आप कोरोना वायरस की तरह इसे प्रदूषण (Air Pollution) का वायरस भी कह सकते हैं, जो हर साल लाखों लोगों की जान ले रहा है.
#DNA: कोरोना से ख़तरनाक है प्रदूषण का वायरस
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— Zee News (@ZeeNews) May 18, 2022
मशहूर Medical Journal, The Lancet की ओर से जारी की गई इस रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2019 में पूरी दुनिया में अलग अलग तरह के प्रदूषण (Air Pollution) से 90 लाख लोगों की मौतें हुई. जिनमें सबसे ज्यादा 24 लाख मौतें भारत में हुईं, जबकि दूसरे नम्बर पर चीन में इससे 22 लाख मौतें हुईं.
इनमें भी सबसे ज्यादा मौतें वायु प्रदूषण से हुईं. 2019 में भारत में 17 लाख लोग केवल वायु प्रदूषण (Air Pollution) की वजह से मर गए. सोचिए, कोविड से दो साल में सवा पांच लाख मौतें हुईं. जबकि अकेले वायु प्रदूषण से एक साल में 17 लाख लोग भारत में मर गए. इसके बावजूद जो चिंता कोरोना वायरस को लेकर हमारे देश में दिखाई जाती है, वो चिंता प्रदूषण के इस वायरस को लेकर नहीं दिखाई जाती है. जबकि ये एक ऐसा वायरस है, जिसकी कोई वैक्सीन भी नहीं है.
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चिंताजनक बात ये है कि पहले केवल सर्दियों के मौसम में ही वायु प्रदूषण (Air Pollution) का स्तर खतरनाक होता था. लेकिन अब एक नई रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि अब भारत के ज्यादातर शहरों से वायु प्रदूषण पूरे साल रहता है. दिल्ली में एक अप्रैल से 6 अप्रैल के बीच Air Quality Index इतना था, जितना नवम्बर और दिसम्बर के महीने में होता है. इसलिए एक ही चीज़ है कि जो आपको इस नए वायरस से बचा सकती है और वो है आपका मास्क. हो सकता है कि भविष्य में कोविड पूरी तरह चला जाए लेकिन आपको इसके बाद भी प्रदूषण से बचने के लिए ये मास्क पहनना पड़े.