गंगा की मैपिंग के लिए विमान का उपयोग किए जाने की संभवना
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गंगा की मैपिंग के लिए विमान का उपयोग किए जाने की संभवना

गंगा के बेसिन को प्रदूषण और अतिक्रमण से मुक्त करने के उद्देश्य से हाई रिजोल्यूशन के कैमरों वाला विशेष उद्देशीय विमान जल्द ही गंगा नदी और पांच राज्यों में उसकी धाराओं के उपर से उड़ान भरेगा ताकि इसके बेसिन की जियोस्पैशियल मैपिंग की जा सके। जियोस्पैशियल मैपिंग में सांख्यिकी आंकड़ों और अन्य जानकारी आधारित प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाता है।

नयी दिल्ली : गंगा के बेसिन को प्रदूषण और अतिक्रमण से मुक्त करने के उद्देश्य से हाई रिजोल्यूशन के कैमरों वाला विशेष उद्देशीय विमान जल्द ही गंगा नदी और पांच राज्यों में उसकी धाराओं के उपर से उड़ान भरेगा ताकि इसके बेसिन की जियोस्पैशियल मैपिंग की जा सके। जियोस्पैशियल मैपिंग में सांख्यिकी आंकड़ों और अन्य जानकारी आधारित प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाता है।

राजग सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम ‘नमामि गंगे’ के तहत यह जियोस्पैशियल सर्वे किया जाएगा जिसका उद्देश्य अत्यंत प्रदूषित हो चुकी इस पवित्र नदी में नयी जान डालना है। गंगा की सफाई के लिए राष्ट्रीय मिशन (एनएमसीजी) से जुड़े सूत्रों ने बताया कि विशेष उद्देशीय विमान का उपयोग नदी की मैपिंग के लिए किया जाएगा ताकि इसके बाढ़ वाले मैदानी भागों की तस्वीरें ली जा सकें। गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने की योजनाओं के लिए आंकड़े तैयार करने की खातिर ऐसा करना आवश्यक है।

एनएमसीजी के सूत्रों ने बताया, गंगा की धाराएं उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से हो कर गुजरती हैं और उनका हवाई सर्वे किया जाएगा। (नदी से संबंधित) योजनाएं बनाने के लिए यह डाटाबेस जरूरी है। उन्होंने बताया कि तस्वीरें लेने के लिए डॉर्नियर के आकार का विमान करीब 500 मीटर की उंचाई पर उड़ान भरेगा।

कुल 3892 मीटर की उंचाई पर स्थित गोमुख के गंगोत्री ग्लेशियर से निकलने वाली गंगा की मुख्य धारा भागीरथी है। बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले अपने 2525 किमी लंबे सफर में गंगा पांच राज्यों से हो कर गुजरती है। एक अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के तहत आने वाले नदी विकास एवं गंगा जीर्णोद्धार विभाग के अंतर्गत काम करने वाला एनएमसीजी इस बारे में सर्वे ऑफ इंडिया और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के साथ विचारविमर्श कर रहा है।

प्राधिकारी एक अत्याधुनिक लेजर प्रौद्योगिकी एलआईडीएआर का उपयोग करने पर भी विचार कर रहे हैं। यह एक विजुअल प्रणाली है जिसमे सर्वे के लिए मैदानी भाग की मैपिंग की खातिर लेजर के परावर्तनों (रिफ्लैक्शनों) का उपयोग किया जाता है। एक अधिकारी ने बताया, यह हवाई सर्वे नदी के किनारों पर स्थित विभिन्न ढांचों के बारे में सटीक तौर पर बताएगा। इस मैपिंग से बाढ़ वाले मैदानी इलाकों के मानकों का उल्लंघन कर निर्मित किए गए ढांचों की लोकेशन की स्पष्ट तस्वीर मिल पाएगी जो अतिक्रमण हटाने में मददगार होगी।

 

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