BJP के ‘हिंदुत्व’ का अखिलेश ने निकाला तोड़ा, सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा के साथ जता दिया अपना इरादा
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BJP के ‘हिंदुत्व’ का अखिलेश ने निकाला तोड़ा, सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा के साथ जता दिया अपना इरादा

Akhilesh Yadav News: अखिलेश का अगला लक्ष्य अब 2024 है. यूपी की राजनीति पर नजर रखने वालों का कहना है कि अखिलेश यह मानकर चल रहे हैं कि ब्राह्मण और ठाकुरों का लगभग सारा वोट बीजेपी को ही मिलेगा.

BJP के ‘हिंदुत्व’ का अखिलेश ने निकाला तोड़ा, सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा के साथ जता दिया अपना इरादा

UP Politics: समाजवादी पार्टी (सपा) ने रविवार को अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा की है. पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा से यह स्पष्ट हो गया है कि सपा ने अब बीजेपी के हिंदुत्व को मात देने के लिए ओबसी, दलित, मुस्लिम गठजोड़ पर जोर देने का फैसला कर लिया है. राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल नामों से साफ है कि पार्टी में अब पूरी तरह से मुस्लिम, यादव, ओबीसी का वर्चस्व रहेगा. ब्राह्ण और ठाकुर के लिए पार्टी में अब कोई जगह नहीं बची है.

सपा के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से पार्टी के 62 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सूची साझा की गई है. सूची के अनुसार, अखिलेश यादव को फिर से राष्ट्रीय अध्यक्ष, किरणमय नंदा को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, राम गोपाल यादव को राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव बनाया गया है.

पार्टी ने जिन 14 राष्ट्रीय महासचिवों के नामों का ऐलान किया है उसमें एक भी ब्राह्मण या ठाकुर नहीं है.  सिर्फ एक मुस्लिम (आजम खान) को राष्ट्रीय महासचिव के तौर पर चुना गया है. राष्ट्रीय महासचिवों की सूची में कई ओबसी नाम शामिल हैं जैसे रवि प्रकाश वर्मा, स्वामी प्रसाद मौर्य, विश्वंभर प्रसाद निषाद, लालजी वर्मा, राम अचल राजभर हरेंद्र मलिक नीरज चौधरी.

दलित जातियों को भी दी गई जगह
राष्ट्रीय संगठन में न सिर्फ ओबीसी जातियों बल्कि पासी, जाटव जैसी दलित जातियों को भी जगह दी गई है. इस बार की राष्ट्रीय  कार्यकारिणी की  खास बात यह है कि बाहर से आए नेताओं को विशेष तौर पर जगह दी गई है.

अखिलेश की नई रणनीति बढ़ा सकती है बीजेपी की दिक्कतें
सपा के ओबीसी, मुस्लिम और दलितों पर जोर देने की रणनीति बीजेपी के लिए मुशकिल खड़ी कर सकती है. माना जा रहा है कि अखिलेश का अगला लक्ष्य अब 2024 है. यूपी की राजनीति पर नजर रखने वालों का कहना है कि अखिलेश यह मानकर चल रहे हैं कि ब्राह्मण और ठाकुरों का लगभग सारा वोट बीजेपी को ही मिलेगा. इसलिए अब पूरा ध्यान मुस्लिम, यादव, ओबीसी, दलित वर्ग पर देना होगा.

बीजेपी शायद यह समझ भी रही है. इसकी एक झलक यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की टिप्पणी में देखने को मिली. उन्होंने स्‍वामी प्रसाद को सपा में राष्‍ट्रीय महासचिव बनाये जाने के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए रविवार को ट्वीट किया, ‘मानसिक रूप से विक्षिप्त हो चुकी है समाजवादी पार्टी ने अपना हिंदू विरोधी चरित्र उजागर कर दिया है. श्रीरामचरितमानस को अपमानित करने वाले को सपा बहादुर अखिलेश यादव ने राष्ट्रीय महासचिव बनाकर खुद सपा के ताबूत में आखिरी कील ठोक दी है. “विनाशक काले विपरीत बुद्धि.’

राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शिवपाल को भी मिली जगह
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल सिंह यादव को भी राष्ट्रीय महासचिव बनाया है. भतीजे और सपा अध्यक्ष अखिलेश के साथ शिवपाल के खट्टे-मीठे रिश्ते रहे हैं. लेकिन मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद शिवपाल सिंह यादव ने पिछले साल के आखिरी महीने में मैनपुरी में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव के लिए जमकर चुनाव प्रचार किया और चुनाव में सपा की भारी जीत के बाद उन्होंने पार्टी का झंडा थाम लिया.

बता दें शिवपाल ने 2018 में अपनी अलग प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) का गठन किया और 2019 का लोकसभा चुनाव लड़े. हालांकि 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव से नजदीकी होने के बाद शिवपाल ने सपा के ही निशान पर विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन जसवंत नगर से विधायक बनने के बाद फिर से अखिलेश यादव से उनकी दूरी हो गई थी.

मुलायम सिंह के छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच की दूरी मैनपुरी उपचुनाव में चौथी बार खत्म हुई और तबसे चाचा-भतीजा के रिश्ते मजबूत हुए हैं.

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