#ZeeNewsWorldExclusive: अबकी बार अक्‍साई चिन पर आर-पार
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#ZeeNewsWorldExclusive: अबकी बार अक्‍साई चिन पर आर-पार

अक्साई चिन भारत का हिस्सा है लेकिन अभी चीन के कब्ज़े में है.

#ZeeNewsWorldExclusive: अबकी बार अक्‍साई चिन पर आर-पार

नई दिल्‍ली: पूर्वी लद्दाख में चीन वास्‍तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर लगातार हरकतें क्‍यों रह रहा है? गलवान घाटी पर कभी दोनों देशों के बीच कोई विवाद नहीं था. लेकिन चीन वहां अपना दावा अचानक क्‍यों करने लगा? इसके पीछे की वजह ये कही जा रही है कि दरअसल चीन को अक्साई चिन गंवाने का डर सता रहा है. अक्साई चिन भारत का हिस्सा है लेकिन अभी चीन के कब्ज़े में है. अक्साई चिन के लिए हिंदुस्तान ने बड़ी तैयारी की है. भारत की जबर्दस्‍त तैयारियों से चीन डर गया है. दरअसल जब पिछले साल 5 अगस्‍त को भारत ने लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश घोषित किया तब से ही चीन अक्‍साई चिन को लेकर चिंतित है. उसको लगने लगा है कि भारत फिर से अक्‍साई चिन को हासिल करने के मंसूबे रखता है और बड़ी तैयारी कर रहा है. लद्दाख के मौजूदा घटनाक्रम को चीन की उस चिंता से जोड़कर देखा जा रहा है.लिहाजा अक्साई चिन गंवाने के डर से चीन वास्‍तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैनिक बढ़ा रहा है.

अक्साई चिन?
केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख का हिस्सा है
काराकोरम पर्वत शृंखला के बीच है
समुद्र तल से ऊंचाई 17 हजार फीट
कश्मीर के कुल क्षेत्रफल का करीब 20% 
क्षेत्रफल करीब 38 हजार वर्ग किलोमीटर
अक्साई चिन पर चीन का अवैध कब्जा

अक्साई चिन विवाद क्या है? 
-  अक्साई चिन लद्दाख का हिस्सा है
-  क्षेत्रफल  37,244 किलोमीटर
-  अक्साई चिन पर चीन का अवैध कब्जा
-  1947 के बाद चीन ने शुरू की घुसपैठ 
-  1957 में चीन ने सड़क बनाई
- 1958 में चीन ने अपने नक्शे में दिखाया
- 1962 युद्ध के बाद चीन का कब्जा
- 1963- पाकिस्तान ने चीन को अक्साई चिन दिया

VIDEO...

अक्साई चिन का इतिहास
1947 से पहले कश्मीर रियासत का हिस्सा
1947- राजा हरि सिंह ने विलय का समझौता किया
1947- कानूनी तौर पर अक्साई चिन भारत का हिस्सा बना
1947 के बाद चीन ने घुसपैठ शुरू की 
नेहरू सरकार चीन की घुसपैठ रोक नहीं पाई
1957 तक चीन ने सड़क बना ली
1962 की लड़ाई के बाद चीन ने कब्जा किया
भारत, चीन से कब्ज़ा खाली करने को कह चुका है

रणनीतिक महत्व
चीन पर निगरानी के लिए अहम
चीन के शिनजियांग और तिब्बत को जोड़ता है 
मध्य एशिया की सबसे ऊंची जगह 
ऊंचाई पर होने से सामरिक दृष्टि से अहम
चीन की सेना भारत पर नज़र रख सकती है
1950 के दशक में चीन ने सड़क बनाई
शिनजिंयाग और तिब्बत को जोड़ने वाली सड़क

भारत के अक्साई चिन को क्षेत्रफल के लिहाज से समझिए
क्षेत्रफल - 37, 244 किलोमीटर
कई राज्यों से बड़ा है आकार
गोवा से करीब दस गुना बड़ा है 
सिक्किम से करीब 5 गुना बड़ा है
मणिपुर से करीब डेढ़ गुना बड़ा है
आकार में कई देशों के मुकाबले भी बड़ा
ताईवान से ज्यादा अक्साई चिन का क्षेत्रफल
भूटान से थोड़ा ही छोटा है अक्साई चिन
बेल्जियम से काफी बड़ा है अक्साई चिन

अक्साई चिन चीन के कब्ज़े में नहीं होता अगर...
1. 1950 के दशक में नेहरू सरकार सावधान हो जाती 
2. नेहरू सरकार चीन की घुसपैठ को समय रहते रोक देती
3. नेहरू सरकार चीन को सड़क नहीं बनाने देती
4.  नेहरू सरकार सैन्य शक्ति की अहमियत समझती
5. 1962 में भारत की सेना चीन से बेहतर होती

चीन पर नेहरू की 10 गलतियां 
1- सेना को महत्व नहीं दिया, ना युद्ध की तैयारी की
2- चीन से ख़तरे को अनदेखा कर दिया
3- तिब्बत पर चीन के कब्ज़े को मान्यता दे दी 
4- पंचशील पर चीन का छल समझ नहीं  पाए 
5- अक्साई चिन में चीन की हरकतों की अनदेखी की
6- हिंदी-चीनी भाई-भाई के नारे लगाए जा रहे थे
7- जब तक खतरा समझते, तब तक देर हो गई थी
8- सीमा पर सैन्य ताकत चीन के सामने कमज़ोर थी
9- युद्ध में वायुसेना को उतारने की अनुमति नहीं दी
10- युद्ध के हालात में नेता विदेश दौरे पर थे

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