इजरायल और ईरान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है, इजरायल ईरान पर और ईरान इजरायल पर हवाई हमले कर रहा है. इस बीच हम आपको बताने जा रहे हैं कि अब युद्ध मैदान नहीं बल्कि आसमानों में लड़े जाने लगे हैं.
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भारत में तेल मिलने की खबर पर चर्चा इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया में एक ऐसा महायुद्ध छिड़ चुका है, जिसकी वजह से दुनिया में तेल की सप्लाई पर बड़ा असर पड़ने वाला है. इजरायल और ईरान का युद्ध खतरनाक होता जा रहा है. जिसे पिछले पांच वर्षों का सबसे खतरनाक युद्ध कहा जा रहा है. आज आप भी सोच रहे होंगे कि पिछले साढ़े तीन साल से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है. दो परमाणु शक्ति संपन्न देश भारत और पाकिस्तान के बीच आपरेशन सिंदूर के दौरान संघर्ष हुआ, लेकिन ईरान और इजरायल के बीच जारी जंग क्यों सबसे खतरनाक है? आज आपको इसकी वजह भी समझनी चाहिए.
ईरान और इजरायल के बीच जंग शुरू हुए अभी दो दिन भी नहीं गुजरे हैं, लेकिन दोनों देशों की राजधानियों पर मिसाइलें और बम बरस रहे हैं. शुक्रवार को इजरायल ने शुरूआत तेहरान पर सीधे हमलों से की तो ईरान की मिसाइलों ने तेलअबीब में कुछ इलाकों को खंडहर बना दिया. तेहरान और तेब अवीव के बीच दूरी लगभग 1900 किलोमीटर है, फिर भी हमलों में कमी नहीं आ रही.
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— Zee News (@ZeeNews) June 14, 2025
अब तक इजरायल के हमलों में ईरान के 138 लोग मारे जा चुके हैं, इनमें 9 परमाणु वैज्ञानिक और 20 से ज्यादा मिलिट्री कमांडर शामिल हैं. इसके जवाब में ईरान ने इजराइल पर 150 से ज्यादा मिसाइलें दागीं. दुनिया के सबसे अच्छे एयर डिफेंस सिस्टम होने के बावजूद 6 मिसाइलें राजधानी तेल अवीव में गिरीं. इस हमले में 3 लोगों की मौत हुई हैं और 90 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है. इजरायल ने ईरान के परमाणु और मिलिट्री ठिकानों पर हमला किया. अब ईरान का दावा है कि उसकी मिसाइल भी इजराइल के रक्षा मंत्रालय पर गिरी है. यानि युद्ध में दोनों देशों के निशाने पर हाई वैल्यू टारगेट हैं. ईरान के हमलों के बाद इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को सुरक्षित ठिकाने पर शिफ्ट कर दिया गया है. इसका मतलब है इस युद्ध में दोनों देश सीधे दुश्मन देश के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों को निशाना बना रहे हैं.
ये युद्ध सिर्फ ताकत का युद्ध नहीं एक दूसरे से बेपनाह नफरत का युद्ध है. दो ऐसे देशों के बीच युद्ध शुरू हुआ है. जो किसी इलाके या वस्तु के लिए नहीं लड़ रहे. बल्कि ईरान और इजरायल एक दूसरे को अपने अस्तित्व के लिए खतरा समझते हैं. एक दूसरे से नफरत के अलावा इनके पास मौजूद बराबरी की ताकत और समर्थन इस युद्ध को सबसे ज्यादा खतरनाक बनाता है. आज आपको इस ताकत का विश्लेषण भी देखना चाहिए. हमने आपको डीएनए में एक दिन पहले ही दोनों देशों की सैन्य ताकत का विश्लेषण दिखाया था. आज हम दूसरे क्षेत्रों में इन देशों की ताकत का विश्लेषण करेंगे.
इजरायल तकनीक के मामले में अव्वल है, इसे आप ऐसे समझ सकते हैं, जैसे इजरायल जैसे छोटे देश में हर 10 लाख लोगों पर लगभग 600 से ज्यादा स्टार्टअप हैं. ये अनुपात किसी भी देश से कई गुना ज्यादा है. वहीं ईरान दुनिया में चौथा तेल उत्पादक है जो उसकी इकोनॉमी की रीढ़ है.
इज़रायल को एक परमाणु शक्ति माना जाता है. जिसके पास 80-90 परमाणु हथियार हैं लेकिन इजरायल ने कभी खुलकर इस बात को स्वीकार नहीं किया. वहीं ईरान के बारे में कहा जा रहा है. युद्ध छिड़ने के बाद वो कभी भी परमाणु परीक्षण कर सकता है. उसके पास भी 8 से 9 परमाणु हथियार बनाने की क्षमता मौजूद है.
इजरायल दुनिया की टॉप 5 साइबर ताकतों में शामिल है, जिसका आधुनिक युद्ध में बहुत महत्व है. वहीं ईरान भले इजरायल से इस मामले में कमजोर हो लेकिन अमेरिका सऊदी अरब और इजरायल पर सफल साइबर अटैक करके अपनी ताकत दिखा चुका है.
इजरायल के पास प्रॉक्सी नेटवर्क की संख्या सीमित है वहीं ईरान ने हिज़्बुल्लाह, हमास और हूती के अलावा ईराक और सीरिया में भी शिया मिलिशिया का नेटवर्क बना रखा है. जो उसके मददगार हैं. इन देशों की ये ताकत ही इस युद्ध को सबसे खतरनाक युद्ध बनाती है
इसके अलावा किसी भी वक्त ये युद्ध पूरे मिडिल ईस्ट को वॉर जोन बना सकता है. इस वक्त ईरान, इजरायल के अलावा इराक और जॉर्डन के एयरस्पेस बंद हैं. मिडिल ईस्ट वॉर जोर बना तो पूरी दुनिया में तेल सप्लाई पर असर पड़ेगा. क्योंकि मिडिल ईस्ट में दुनिया के कुल तेल भंडार का लगभग 48% हिस्सा है और दुनिया को 30 फीसदी तेल इसी इलाके से मिलता है. ये वजह भी इजरायल और ईरान की जंग को सबसे ज्यादा खतरनाक बनाती है. क्योंकि इससे सीधे पूरी दुनिया प्रभावित होगी.
हमने आपको थोड़ी देर पहले बताया कि ईरान और इजरायल की राजधानियों के बीच की दूरी लगभग 1900 किलोमीटर है. इसके बावजूद दोनों देशों के बीच भीषण युद्ध चल रहा है. इस युद्ध में अभी तक इजरायल का पलड़ा भारी लग रहा है, तो इसकी सबसे बड़ी वजह इजरायल की वायुसेना की ताकत है. इस युद्ध ने एक बार फिर से साबित किया, जिसके पास हवा की ताकत है, उसी के पास युद्ध का नियंत्रण है.
आज आपको भी समझना चाहिए कि क्यों आज का दौर हवाई युद्ध का दौर हो चुका है. यानी पहले युद्ध को लेकर कहा जाता था कि हार-जीत का फैसला युद्ध के मैदान में होगा लेकिन अब आप कह सकते हैं कि हार-जीत का फैसला युद्ध के आसमान में होगा. क्योंकि अब आसमान ही युद्ध का मैदान है. इजरायल की सेना ने एलान किया है वो ईरान पर हमले जारी रखेगी और ऑपरेशन राइजिंग लॉयन के अगले चरण में ईरान के एयर डिफेंस को पूरी तरह नष्ट कर दिया जाएगा. जिससे इजरायल को तेहरान पर बिना किसी बाधा के हमला करने की क्षमता हासिल हो जाएगी है. आज भी इजरायल ने ईरान के एयर डिफेंस ठिकानों पर 100 से ज्यादा हमले किए हैं.
इस युद्ध की शुरुआत में इजरायल ने 200 फाइटर जेट से 330 मिसाइलें दागीं, जिसके जवाब में ईरान ने 100 ड्रोन इजरायल पर दागे.
शुक्रवार शाम इजरायल ने फिर फाइटर जेट्स से हमला किया, जिसके जवाब में ईरान ने 150 मिसाइलें दागीं.
आज भी इजरायल ने फाइटर जेट्स और ड्रोन से ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया, जिसका जवाब ईरान मिसाइल से ही दे सकता है.
इसका मतलब ये है कि अब तक इस युद्ध में सिर्फ फाइटर जेट्स, मिसाइलें और ड्रोन इस्तेमाल हुए हैं, यानि सिर्फ हवाई हमला किया गया और इन हमलों से सुरक्षा का एकमात्र साधन एयर डिफेंस सिस्टम साबित हुए. इन दोनों ही मामलों में मजबूत इजरायल इस युद्ध में अब तक आगे नजर आ रहा है.
इससे पहले भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष में भी फाइटर जेट्स, ड्रोन और मिसाइलों से ही दोनों देशों ने एक दूसरे पर हमला किया. सिर्फ बॉर्डर पर अर्टिलरी का इस्तेमाल हुआ. भारत का एयर डिफेंस मजबूत होने की वजह से इस संघर्ष में भारत ने पाकिस्तान पर बढ़त हासिल की और यही वजह है कि दुनिया के देश अपनी वायुसेना, मिसाइल और ड्रोन पावर को बढ़ाने में सबसे ज्यादा पैसा खर्च कर रहे हैं. आज आपको इस आंकड़े के बारे में भी जानना चाहिए.
दुनिया के देशों ने सिर्फ 2024 में वायुसेना को मजबूत करने के लिए 500–600 बिलियन डॉलर खर्च किए
अपने शस्त्रागारों में मिसाइलों को शामिल करने के लिए 150 से 200 बिलियन डॉलर का खर्च किया गया
ड्रोन के लिए दुनिया ने 30 से 50 बिलियन डॉलर खर्च किए गए जबकि एयर डिफेंस सिस्टम के लिए 100 से 150 बिलियन का खर्च किया गया.
इस तरह से सिर्फ मिसाइल, वायुसेना और ड्रोन पर 800 से 1000 बिलियन डॉलर यानि 80 से 90 लाख करोड़ रुपये सालाना खर्च किए जा रहे हैं.
2024 में वैश्विक रक्षा खर्च 2.4 ट्रिलियन डॉलर यानि 199 लाख करोड़ रुपये रहा.
यानि दुनिया में रक्षा पर कुल खर्च का 40 प्रतिशत सिर्फ हवाई युद्धक्षमता पर खर्च किया जा रहा है.