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नई दिल्ली: लोकसभा में पास हुए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Council Bill) विधेयक 2019 के खिलाफ देशभर के डॉक्टर्स आज भी हल्ला बोल करेंगे. डॉक्टरों की हड़ताल के कारण देशभर में मरीजो को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसी बीच दिल्ली स्थिति एम्स और सफदरजंग अस्पताल में आज से इमरजेंसी सेवाएं दोबारा खोल दी गई हैं.
एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने कहा कि AIIMS की गवर्निंग बॉडी मीटिंग में, URDA, FORDA & AIIMS RDA के अधिकारियों ने संयुक्त रूप से अनिश्चितकालीन हड़ताल (नेशनल मेडिकल कमिशन बिल के खिलाफ) जारी रखने का फैसला किया है. इससे पहले एम्स, आरएमएल अस्पताल, सफदरजंग अस्पताल और एलएनजेपी समेत कई सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों ने काम का बहिष्कार किया, मार्च निकाला और राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) विधेयक के विरोध में नारे लगाए.
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29 जुलाई को लोकसभा में पारित हुआ था बिल
बता दें NMC बिल सोमवार, 29 जुलाई को लोकसभा में पारित किया गया. सरकार ने इस फैसले को दूरदर्शी सुधारों में से एक बताया है लेकिन इस बिल के विरोध में डॉक्टर्स सडकों पर उतर आए है.
क्या है एनएमसी बिल
1- एनएमसी बिल के सेक्शन 32 में 3.5 लाख नॉन मेडिकल शख्स को लाइसेंस देकर सभी प्रकार की दवाइयां लिखने और इलाज करने का कानूनी अधिकार दिया जा रहा है. 6 महीने का एक ब्रिज कोर्स करने के बाद देश के आयुर्वेद और यूनानी डॉक्टर भी एमबीबीएस डॉक्टर की तरह एलोपैथी दवाएं लिख सकेंगे.
2- मेडिकल कोर्स यानी ग्रेजुएशन के बाद भी प्रैक्टिस करने के लिए एक और एग्जाम देना होगा. ये एग्जाम कंप्ल्सरी होगी. इसे पास करने के बाद ही प्रैक्टिस और पोस्ट ग्रेजुएशन की इजाजत मिलेगी. अभी एग्जिट टेस्ट सिर्फ विदेश से मेडिकल पढ़कर आने वाले छात्र देते हैं.
3- एनएमसी प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की 40 फीसदी सीटों की फीस भी तय करेगी. बाकी 60 फीसदी सीटों की फीस तय करने का अधिकार कॉलेजों का होगा.4- मेडिकल संस्थानों में एडमिशन के लिए सिर्फ एक परीक्षा NEET (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेस टेस्ट) ली जाएगी.