उत्तर प्रदेश के पूर्व काबीना मंत्री गायत्री प्रजापति की जमानत के लिए 10 करोड़ रुपये का सौदा हुआ था. यह जमानत उन्हें रेप के आरोप से जुड़े एक मामले में 25 अप्रैल को मिली थी. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक रिपोर्ट के हवाले से दावा किया है कि प्रजापति को साजिश के तहत जमानत दिलाई गई थी, जिसमें एक वरिष्ठ जज भी शामिल थे.
Trending Photos
नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के पूर्व काबीना मंत्री गायत्री प्रजापति की जमानत के लिए 10 करोड़ रुपये का सौदा हुआ था. यह जमानत उन्हें रेप के आरोप से जुड़े एक मामले में 25 अप्रैल को मिली थी. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक रिपोर्ट के हवाले से दावा किया है कि प्रजापति को साजिश के तहत जमानत दिलाई गई थी, जिसमें एक वरिष्ठ जज भी शामिल थे.
10 में से पांच करोड़ वकीलों को
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जमानत देने के बदले 10 करोड़ रुपये का लेनदेन किया गया था. इस रकम में से पांच करोड़ रुपये उन तीन वकीलों को दिए गए जो मामले में बिचौलिए की भूमिका निभा रहे थे, बाकी के पांच करोड़ रुपये पोक्सो जज (ओपी मिश्रा) और उनकी पोस्टिंग संवेदनशील मामलों की सुनवाई करने वाली कोर्ट में करने वाले जिला जज राजेंद्र सिंह को दिए गए थे.
और पढ़ें: ढहा दिया जाएगा यूपी के पूर्व खनन मंत्री गायत्री प्रजापति का अवैध आशियाना!
जांच के आदेश दिए थे
इस खुलासे के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस दिलीप बी भोसले ने प्रजापति को जमानत मिलने की जांच के आदेश दिए थे. जांच में संवेदनशील मामलों की सुनवाई करने वाली अदालतों में जजों की पोस्टिंग में हाई लेवल करप्शन की बात सामने आई है. इस तरह की अदालतें रेप और हत्या जैसे जघन्य अपराधों के मामलों की सुनाई करती हैं.
और पढ़ें: अमेठी सीट पर गैंगरेप मामले के आरोपी गायत्री प्रजापति को गरिमा सिंह ने धूल चटाई
25 अप्रैल को मिली थी जमानत
जस्टिस भोसले ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अतिरिक्त जिला और सेसन जज ओपी मिश्रा को 7 अप्रैल को उनके रिटायर होने से ठीक तीन सप्ताह पहले ही पोक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस) जज के रूप में तैनात किया गया था. जज ओपी मिश्रा ने ही गायत्री प्रजापति को 25 अप्रैल को रेप के मामले में जमानत दी थी.
और पढ़ें: गिरफ्तारी के बाद रेप के आरोपी गायत्री प्रजापति ने क्या कहा? 14 दिनों की न्यायिक हिरासत
नियमों की अनदेखी कर हुई थी तैनाती
ओपी मिश्रा की नियुक्ति नियमों की अनदेखी करते हुए और अपने काम को बीते एक साल से 'उचित रूप से करने वाले' एक जज को हटाकर हुई थी. इंटेलिजेंस ब्यूरो ने जज की पोक्सो पोस्टिंग में घूसखोरी की बात कही है. घूस की रकम मामले में बिचौलिए की भूमिका निभा रहे थे तीन वकीलों, पोक्सो जज (ओपी मिश्रा) और जिला जज राजेंद्र सिंह के बीच बांटी गई थी.
जिला जज राजेंद्र सिंह से पूछताछ की जा चुकी है. राजेंद्र सिंह को पदोन्नत कर हाई कोर्ट में तैनात किया जाना था लेकिन इस मामले के सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने उनका नाम वापस ले लिया है और आगे की प्रक्रिया लंबित है.