नोबेल पुरस्कार विजेता Amartya Sen का आरोप, विरोधियों को जेल भेज रही है Narendra Modi सरकार
केंद्र सरकार के खिलाफ पहले भी बयानबाजी कर चुके नोबेल विजेता अमर्त्य सेन (Amartya Sen) ने एक बार फिर नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा है. अमर्त्य सेन ने कहा कि सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों को देशद्रोह के आरोप में जेल भेजा जा रहा है.
नई दिल्ली: नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन (Amartya Sen) के बयान ने एक नए विवाद को हवा दे दी है. एक न्यूज एजेंसी को ई-मेल के जरिए दिए गए इंटरव्यू में अमर्त्य सेन ने दावा किया है कि देश में असहमति की गुंजाइश कम हो गई है. मनमाने तरीके से लोगों को देशद्रोह के आरोप में जेल भेजा जा रहा है.पर सवाल ये है कि क्या ये वाकई सच है या फिर महज विचारधारा की लड़ाई है.
'पसंद न आने वाले लोगों को जेल भेज रही है सरकार'
कभी किसानों के नाम पर, कभी CAA और NRC के विरोध में और कभी असहिष्णुता के बहाने देश में एक बड़ा तबका केंद्र सरकार की नीतियों को कठघरे में खड़ा करता आया है. इस बार कुछ इसी तरह की बहस को जन्म दिया है अमर्त्य सेन के इंटरव्यू ने. एक न्यूज एजेंसी को ई-मेल के जरिए दिए गए इंटरव्यू में अमर्त्य सेन (Amartya Sen) ने दावा किया कि कोई व्यक्ति जो सरकार को पसंद नहीं आ रहा है. उसे सरकार द्वारा आतंकवादी घोषित किया जा सकता है और जेल भेजा सकता है. लोगों के प्रदर्शन के कई अवसर और मुक्त चर्चा सीमित कर दी गई है या बंद कर दी गई है.असहमति और चर्चा की गुंजाइश कम होती जा रही है. लोगों पर देशद्रोह का मनमाने तरीके से आरोप लगा कर बगैर मुकदमा चलाए जेल भेजा जा रहा है.
'कन्हैया, शेहला, उमर के साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार'
अमर्त्य सेन (Amartya Sen) का ये भी कहना है कि कन्हैया कुमार, शेहला राशिद और उमर खालिद जैसे युवाओं के साथ दुश्मन जैसा व्यवहार किया जा रहा है. अब सवाल ये है कि उमर खालिद को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दिल्ली में हुए दंगों का मास्टरमाइंड बताया है और अभी अदालत का फैसला आना बाकी है. लेकिन अमर्त्य सेन अदालत के फैसले पहले ही उन्हें बेगुनाह साबित क्यों कर देना चाहते हैं. अगर वाकई देश में असहमति की गुंजाइश नहीं रह गई है तो अमर्त्य सेन को उनकी बात रखने का अधिकार कैसे मिला हुआ है.
अपने बयानों से कई बार विवाद खड़ा कर चुके हैं अमर्त्य सेन
देश में कृषि कानूनों के विरोध में कई किसान संगठन आंदोलन कर रहे हैं. इस आंदोलन में कई बार देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ भी आपत्तिजनक बातें कही जा रही हैं. उन पर अमर्त्य सेन (Amartya Sen) को ऐतराज क्यों नहीं होता. कभी जय श्रीराम के नारों पर आपत्ति और कभी देश में असहिष्णुता की दुहाई. अमर्त्य सेन की बातों से कई बार विवाद बढ़ चुका है. इस बार भी उनका बयान तब आया है, जब अमर्त्य सेन का नाम विश्व भारती यूनिवर्सिटी (Vishwabharati University) के अवैध भूंखड धारकों की विवादित सूची में आया है.
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क्या अवैध भूखंड बचाने की रणनीति तो नहीं?
दरअसल विश्वभारती विश्वविद्यालय (Vishwabharati University)ने ममता बनर्जी सरकार को एक चिट्ठी लिखी थी. उसमें आरोप गया था कि कुछ लोग उनकी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा जमाए हुए हैं. इस चिट्ठी में अमर्त्य सेन (Amartya Sen) का नाम भी शामिल था. अभी ये विवाद गरमाया हुआ है और इसको लेकर ममता बनर्जी भी बीजेपी पर हमलावर हैं. सवाल ये है कि क्या अमर्त्य की लड़ाई वैचारिक है. जिसमें वो मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए इस तरह की बातों को हवा दे रहे हैं या फिर ऐसा करके वो अवैध भूखंड को बचाए रखने के लिए ये सब बयानबाजी कर रहे हैं.
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