Vikram Misri on Ceasefire: भारत और पाकिस्तान के बीच हुई जंगबंदी में अमेरिका किरदार पर खूब चर्चा हो रही थी, हालांकि अब खबर आ रही है कि इस सीजफायर में अमेरिका का कोई रोल नहीं है.
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Vikram Misri: भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर का ऐलान भले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने किया हो लेकिन उसमें अमेरिका का कोई रोल नहीं है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से दावा किया जा रहा है कि विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा है कि दोनों देशों के बीच हुए सीजफायर में अमेरिका को कोई किरदार नहीं है. यह युद्धविराम भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच हुई बातचीत के बाद हुआ है. यह जानकारी संसदीय समिति की बैठक में दी है.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 10 मई को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लिखा,'अमेरिका की मध्यस्थता में एक लंबी बातचीत के बाद मुझे यह ऐलान करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं. दोनों देशों को कॉमन सेंस और बुद्धिमत्ता का उपयोग करने के लिए बधाई. इस मामले पर आपके ध्यान के लिए धन्यवाद!'
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) May 10, 2025
रिपोर्ट्स के मुताबिक विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को संसदीय समिति को बताया कि भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम कराने में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी. उन्होंने बताया कि सैन्य कार्रवाई रोकने का फैसला दोनों देशों (भारत-पाकिस्तान) के बीच दो तरफा स्तर पर लिया गया था. विदेश सचिव ने दावों का खंडन करते हुए कहा कि भारत-पाकिस्तान युद्धविराम में किसी तीसरे पक्ष की भागीदारी नहीं थी. बल्कि यह समझौता डीजीएमओ के बीच हुई बातचीत के बाद हुआ है.
उन्होंने बताया कि दोनों देशों के DGMO के बीच 10 मई को सभी सैन्य कार्रवाइयां रोकने पर सहमति बनी. विदेश सचिव के मुताबिक 10 मई की दोपहर को पाकिस्तान की तरफ से युद्धविराम (सीजफायर) की अपील की गई थी. पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) ने भारत के DGMO से संपर्क किया और संघर्ष रोकने की अपील की. भारत ने यह अपील इसलिए मानी क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर के सभी लक्ष्य पूरे हो चुके थे.
इसके अलावा विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने यह भी दोहराया कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष पारंपरिक युद्ध की सीमा के भीतर ही रहा और इस्लामाबाद की तरफ से किसी भी तरह के परमाणु हमले या संकेत का कोई सबूत नहीं मिला.
खबरों के मुताबिक इसी बैठक में विदेश मिस्त्री ने यह भी बताया कि भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया टकराव एक 'पारंपरिक युद्ध' था और इसमें चीन से मिले हथियारों का कोई खास असर नहीं पड़ा. उन्होंने साफ कहा,'हमें फर्क नहीं पड़ता कि उन्होंने चीनी HQ-9 मिसाइल डिफेंस सिस्टम लगाया था, क्योंकि हमने उनके एयरबेस पर सीधा और बड़ा हमला किया.'
हालांकि, जब समिति ने पूछा कि क्या भारत के कोई फाइटर जेट पाकिस्तान ने गिराए हैं, तो उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि पाकिस्तान ने पांच भारतीय लड़ाकू विमानों को गिराया, जिनमें 3 राफेल शामिल थे लेकिन सरकार ने इन खबरों को झूठा बताया है.