मुंबई: गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के बाद कमजोर पड़ रहे किसान आंदोलन (Farmers Protest) के बीच अन्ना हजारे ने अनशन का ऐलान किया है. समाजसेवी अन्‍ना हजारे (Anna Hazare) ने कहा है कि वह केंद्र सरकार के खिलाफ 30 जनवरी से आमरण अनशन (Hunger Strike) करने जा रहे हैं. हजारे का कहना है कि वह पिछले चार सालों से किसानों से जुड़ी कई मांगों पर सरकार का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं, लेकिन सरकार असंवेदनशील बनी बैठी है. इसलिए अब उन्होंने 30 जनवरी से आमरण अनशन का फैसला किया है. 


‘PM ने भी नहीं सुनी’ 


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अन्ना हजारे (Anna Hazare) ने बताया कि उनका ये अनशन रालेगण सिद्धि (Ralegan Siddhi) के यादव बाबा मंदिर में होगा. उन्होंने अपने समर्थकों से भी अपने-अपने स्थान पर अनशन करने की अपील की है. अन्ना ने कहा कि उन्होंने किसानों से जुड़ी मांगों से कई बार सरकार को अवगत कराया. पिछले तीन महीनों में उन्होंने पांच बार प्रधानमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री को पत्र लिखे, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. सरकार के प्रतिनिधि इस मामले पर चर्चा करते हैं, मगर अभी तक कोई उचित समाधान नहीं निकाल पाए हैं.


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आज होने वाली Meeting अहम


हजारे ने आगे कहा कि उन्होंने 23 मार्च, 2018 को दिल्ली में भूख हड़ताल की थी, जिसके बाद पीएमओ ने 29 मार्च को MSP की मांग सहित अन्य मुद्दों पर लिखित आश्वासन दिया था. वहीं, सूत्रों के मुताबिक अन्‍ना हजारे को मनाने के लिए सरकार ने अभी से प्रयास शुरू कर दिए हैं. हजारे को आमरण अनशन से रोकने की जिम्मेदारी केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री को सौंपी गई है. राज्य मंत्री आज अन्ना से मुलाकात करेंगे, यदि यह मुलाकात सफल होती है तो अन्ना अपना फैसला बदल भी सकते हैं. 


Delhi हिंसा पर जताया दुख


महाराष्ट्र विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष हरीभाऊ बागडे, पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सहित कुछ अन्य भाजपा नेता भी अन्ना को मनाने के प्रयास में लगे हुए हैं. हालांकि अन्‍ना ने साफ कर दिया है कि जब तक सरकार उनकी मांगों को स्वीकार नहीं करती, वो अपना रुख बदलने वाले नहीं हैं. कृषि कानूनों पर किसानों के आंदोलन के बीच सरकार नहीं चाहेगी कि अन्ना का अनशन शुरू हो, इसलिए उसकी तरफ से हर संभव प्रयास किया जा रहा है कि अन्ना किसी तरह अनशन न करें. वहीं, अन्ना ने किसान और सरकार की भूमिका की लेकर Zee News संवाददाता लैलेश बार्जे से बातचीत में दिल्ली हिंसा पर दुख जताया. उन्होंने कहा कि मैं हमेशा अहिंसात्मक और शांतिपूर्ण आंदोलन चाहता हूं.