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नई दिल्ली: चीन (China) की हरकतों का करारा जवाब देने के लिए भारत (India) ने ऐसे कदम उठाए हैं कि ड्रैगन की धड़कनें तेज हो जाएंगी. भारत ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर कई अत्याधुनिक हथियारों की तैनाती कर दी है. चिनूक हेलिकॉप्टर, अल्ट्रा लाइट टोड हॉवित्जर और राइफल्स के साथ ही भारत में बने सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल और अल्ट्रामॉडर्न सर्विलांस सिस्टम बॉर्डर पर लगाए गए हैं. बता दें कि भारतीय सेना ने हाल ही में कहा था कि माउंटेन स्ट्राइक कोर पूरी तरह से चालू है.
‘ब्लूमबर्ग’ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने सेना (Indian Army) की एक बड़ी टुकड़ी अरुणाचल प्रदेश भेजी है. पिछले एक साल में कम से कम 30 हजार से अधिक सैनिकों को अरुणाचल में तैनात किया गया है. ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में सेंटर फॉर सिक्योरिटी, स्ट्रैटेजी एंड टेक्नोलॉजी के निदेशक राजेश्वरी पिल्लई राजगोपालन का मानना है कि चीन के साथ बातचीत में प्रगति की कमी के कारण नई दिल्ली बॉर्डर पर तैनाती पर जोर दे रही है. यह लगातार दूसरी सर्दी है जब दोनों देशों के सैनिक सीमा पर जमा हैं. ऐसे में भारत को अमेरिका जैसे देशों से और अधिक इक्विपमेंट खरीदने की जरूरत है.
वहीं, एक सीनियर सैन्य कमांडर ने ब्लूमबर्ग से बातचीत में बताया है कि भारत अब जरूरत पड़ने पर चीन को माकूल जवाब देने के लिए तैयार है. अरुणाचल का क्षेत्र भारत के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसकी सीमा म्यांमार तक फैली हुई है. कमांडर ने कहा कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर चीनी सेना की गतिविधि थोड़ी बढ़ी है, लेकिन हमारे पास पर्याप्त सैनिक उपलब्ध हैं.
तवांग से करीब 300 किलोमीटर दूर दक्षिण में भारतीय सेना की नई एविएशन ब्रिगेड इस प्लान में अहम स्थान रखती है. तवांग को जोड़ने वाली सेला सुरंग की बात करें तो इसके वक्त से पहले ही तैयार होने की उम्मीद है. मौजूदा वक्त में बर्फ को हटाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और इसके बावजूद बमुश्किल कुछ ही गाड़ियां यहां से वहां जा पाती हैं. सुरंग के बनने से तवांग पहुंचने में आसानी होगी और समय भी पहले से कम लगेगा. इससे साल भर सैनिकों की तेज और निर्बाध आवाजाही हो सकेगी.
भारतीय एयरफोर्स अब चिनूक जैसे हेलिकॉप्टर से लैस है जो अमेरिकी होवित्जर और सैनिकों को आसानी से और तेजी से पहाड़ों के पार ला सकता है. कई इजरायल निर्मित मानव रहित विमान भी हैं, जो हर वक्त दुश्मनों की रियल-टाइम तस्वीरें भेजते हैं. गौरतलब है कि चीन की तरफ से लगातार सीमा विवाद को हवा देने वाली हरकतें की जा रही हैं. भारत शुरुआत से ही विवाद का शांतिपूर्ण हल निकालने का पक्षधर रहा है, लेकिन उकसावे की कार्रवाई से बाज नहीं आ रहा.