महाराष्ट्र में अब शरद पवार बने 'पावर सेंटर'! शिवसेना और कांग्रेस नेताओं ने की मुलाकात
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महाराष्ट्र में अब शरद पवार बने 'पावर सेंटर'! शिवसेना और कांग्रेस नेताओं ने की मुलाकात

महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना के बीच सत्ता के लिए सियासी घमासान जारी है. शिवसेना 50-50 फॉर्मूले पर अडिग है.

अब सभी की नजरें एनसीपी-कांग्रेस के रुख पर टिकी हैं...(फाइल फोटो)

मुंबई: महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना के बीच सत्ता के लिए सियासी घमासान जारी है. शिवसेना 50-50 फॉर्मूले पर अडिग है. मुंबई में विधायक दल की बैठक में अनौपचारिक रूप से उद्धव ठाकरे ने कहा कि बीजेपी की तरफ से कोई ऑफर नहीं आया है. हम मित्र दलों को शत्रु नहीं मानते हैं. मुझे विश्वास है कि सब सही होगा. इसी बीच, शिवसेना नेता संजय राउत ने एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से मुलाकात की. शरद पवार के मुंबई के आवास पर दोनों नेताओं की मुलाकात हुई. हालांकि, संजय राऊत ने कहा कि इस मुलाकात में कोई राजनैतिक चर्चा नहीं हुई. राउत ने इसे शिष्टाचार मुलाकात बताया. 

उधर, मुंबई में एक और महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुआ है. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण व पृथ्वीराज चव्हाण ने गुरुवार को एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार से मुलाकात की. महाराष्ट्र कांग्रेस इकाई के प्रमुख बालासाहब थोराट ने भी पवार से मुलाकात की. कांग्रेस खुद के लिए एक मौका भांप रही है, लेकिन कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन शिवसेना से समर्थन के मुद्दे पर अभी अपने पत्ते नहीं खोल रहा है. कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, बैठकें किसानों के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए थीं. कांग्रेस-एनसीपी फिलहाल राजनीतिक स्थिति को भांप रही हैं. कांग्रेस का मानना है कि जब तक बीजेपी-शिवसेना की लड़ाई जारी रहती है, उसे अपनी रणनीति उजागर नहीं करनी चाहिए.

कांग्रेस हालांकि कोई भी बड़ा निर्णय लेने के लिए एनसीपी पर अधिक निर्भर है. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि एनसीपी हमारी गठबंधन की सहयोगी है और पवार के साथ विचार-विमर्श के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा. कांग्रेस नेताओं को शिवसेना की ओर से गठबंधन तोड़े जाने की उम्मीद है. पार्टी प्रवक्ता मीम अफजल ने कहा कि बीजेपी के लिए शिवसेना सख्त साबित हो रही है लेकिन बीजेपी उसकी रोटेशनल मुख्यमंत्री पद की मांग को स्वीकार नहीं करेगी."

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राज्य में कांग्रेस 2014 से सत्ता से बाहर है. पार्टी के एक धड़े का विचार है कि पार्टी को शिवसेना को बिना शर्त समर्थन देने की घोषणा करनी चाहिए. लेकिन, पार्टी जल्दबाजी में नहीं है और बीजेपी-शिवसेना के बीच फैसले का इंतजार कर रही है. एक नेता ने कहा कि कांग्रेस, एनसीपी की रणनीति से भी सावधान है. एनसीपी ने 2014 में बीजेपी सरकार को तब तक बाहर से समर्थन दे दिया था, जब तक कि शिवसेना गठबंधन में शामिल नहीं हुई थी.

(इनपुट: IANS से भी)

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