धारा 377 पर SC का फैसला न्याय के लिए संघर्षरत लोगों के लिए उम्मीद की किरण : एमनेस्टी
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धारा 377 पर SC का फैसला न्याय के लिए संघर्षरत लोगों के लिए उम्मीद की किरण : एमनेस्टी

सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को आईपीसी की धारा 377 के तहत 158 साल पुराने औपनिवेशिक कानून के एक हिस्से को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया.

(प्रतीकात्मक फोटो)

नई दिल्ली: सहमति से समलैंगिक संबंध बनाने को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रशंसा करते हुए एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने बृहस्पतिवार को कहा कि इस फैसले ने न्याय और समानता के लिए संघर्ष कर रहे सभी लोगों के लिए उम्मीद पैदा की है.

सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को आईपीसी की धारा 377 के तहत 158 साल पुराने औपनिवेशिक कानून के एक हिस्से को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया. यह सहमति से समलैंगिक यौन संबंध बनाने को अपराध करार देता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह समानता के कानून का उल्लंघन करता है.

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया की कार्यक्रम निदेशक अमिता बासु ने कहा,'फैसला भारतीय इतिहास के एक काले अध्याय का द्वार बंद करता है. यह भारत के लाखों लोगों के लिए समानता के नये युग का प्रतीक है.' उन्होंने कहा, ‘आज की यह उल्लेखनीय जीत भारत में एलजीबीटीआई समुदाय और उनके सहयोगियों के तीन दशक के संघर्ष में एक मील का पत्थर है.' 

उन्होंने कहा कि शादी, गोद लेने, उत्तराधिकार समेत अपने अधिकारों के लिए एलजीबीटी समुदाय का संघर्ष जारी रहेगा. एमनेस्टी ने कहा कि यह ऐतिहासिक फैसला न केवल एलजीबीटीआई लोगों के लिए बल्कि न्याय एवं समानता के लिए संघर्षरत सभी लोगों के लिए उम्मीद का संदेश देता है .

(इनपुट - भाषा)

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