चारों तरफ अंधेरा, लाल-नीले पत्थर, रहस्यमयी चीजें...'स्त्री' वाली जगह से भी डरावनी है भारत की ये गुफा
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चारों तरफ अंधेरा, लाल-नीले पत्थर, रहस्यमयी चीजें...'स्त्री' वाली जगह से भी डरावनी है भारत की ये गुफा

Andhra Pradesh Borra Caves: भारत एक ऐसा देश है, जहां प्रकृति और आस्था का गहरा रिश्ता है. यहां कई प्राकृतिक स्थानों को चमत्कारी माना जाता है और उन्हें पूजा जाता है. ऐसा ही एक चमत्कार आंध्र प्रदेश में अराकू घाटी की अनंतगिरी पहाड़ियों में छिपा है, जिसे बोर्रा गुफाओं के नाम से जाना जाता है.

चारों तरफ अंधेरा, लाल-नीले पत्थर, रहस्यमयी चीजें...'स्त्री' वाली जगह से भी डरावनी है भारत की ये गुफा

Borra Caves: पूरी दुनिया में वक्त-वक्त पर ऐसे रहस्यमय मंजर सामने आए हैं, जिन्हें लोग दैवीय शक्ति का प्रतीक मानते हैं. चाहे वह दीवार पर बनने वाली देवता की छवि हो, पवित्र प्रतीक जैसा आकार वाला पेड़ हो, या दैवीय आकृति जैसी प्राकृतिक रूप से नक्काशीदार संरचना हो. इन सभी रहस्यमय घटनाओं को अक्सर कई तरह के संकेत के रूप में देखा जाता है. दुनिया के कई हिस्सों में कुदरत की फनकारी को न सिर्फ खूबसूरती के रूप में बल्कि दैवीय मौजूदगी के रूप में भी माना जाता है. ऐसे कुदरती 'चमत्कारों' का सम्मान किया जाता है तो कभी-कभी उन्हें तीर्थस्थान मानकर उनकी पूजा भी की जाती है. 

खास तौर पर भारत, जो एक ऐसा देश है जहां प्रकृति और आस्था का गहरा रिश्ता है. यहां कई प्राकृतिक स्थानों को चमत्कारी माना जाता है और उन्हें पूजा जाता है. ऐसा ही एक चमत्कार आंध्र प्रदेश में अराकू घाटी की अनंतगिरी पहाड़ियों में छिपा है, जिसे बोर्रा गुफाओं के नाम से जाना जाता है. इन्हें बोर्रा गुहालू भी कहा जाता है. चूना पत्थर से बनी ये गुफाएं न केवल भूवैज्ञानिक चमत्कार हैं, बल्कि माना जाता है कि इनमें प्राकृतिक रूप से निर्मित दिव्य प्रतीक भी हैं, जो हर साल हज़ारों टूरिस्ट्स को आकर्षित करते हैं.

इस गुफा की खोज कब हुई थी? 
माना जाता है कि यह गुफा दस लाख साल से भी ज़्यादा पुरानी है. हालांकि, आधिकारिक तौर पर इसकी खोज 1807 में ब्रिटिश जियोलॉजिस्ट विलियम किंग जॉर्ज ने की थी. गोस्थनी नदी के किनारे सदियों से बनी ये गुफाएं कुछ अद्भुत स्टैलेक्टाइट्स और स्टैलेग्माइट्स की भूलभुलैया हैं.

इनमें से कई स्ट्रक्चर्स ने ऐसे आकार ले लिए हैं जिन्हें स्थानीय लोग पवित्र प्रतीक मानते हैं. इनमें से विजिटर्स ने शिव-पार्वती, एक मां और बच्चे, एक मानव मस्तिष्क, एक ऋषि की दाढ़ी, यहां तक कि एक मगरमच्छ और एक गाय के थन जैसी आकृतियां देखी हैं. जबकि वैज्ञानिकों का मानना है कि ये स्ट्रक्चर्स पानी और समय के अलावा किसी और चीज़ से नहीं बनी हैं, लेकिन आस्था रखने वालों के लिए ये गुफाएं मिथकों और किंवदंतियों से कम नहीं हैं.

खुदाई में मिले ये सबूत
वहीं, आंध्रा यूनिवर्सिटी द्वारा की गई कुछ खुदाई में 30,000 से 50,000 साल पुराने कुछ पत्थर के औजार भी मिले हैं, जिससे पता चलता है कि इन गुफाओं में कभी आदिमानव रहा करते थे. इसका सबसे अहम पहलू गुफा के भीतर गहराई में मौजूद प्राकृतिक रूप से निर्मित शिव लिंगम है. स्थानीय आदिवासी किंवदंती के मुताबिक, एक बार एक गाय गुफा की छत के छेद से गिर गई थी. इसे खोजते वक्त चरवाहे को गुफा में एक शिवलिंग जैसी चट्टान मिली. इसके बाद इस संरचना के पास एक छोटा मंदिर बनाया गया.

 बोर्रा गुफाएं 
बोर्रा गुफाओं की यात्रा के लिए सबसे अच्छा वक्त नवंबर से फरवरी तक सर्दियों के महीनों के दौरान माना जाता है. इस वक्त के दौरान अराकू घाटी में मौसम ठंडा और आरामदायक होता है, जिससे यह गुफाओं और उनके आस-पास के खूबसूरत नजारों की खोज के लिए एकदम सही है. बोर्रा गुफाएं विशाखापत्तनम शहर से लगभग 91 किमी दूर हैं. ट्रेन से सफर करने के लिए नजदीकी स्टेशन बोर्रा गुहालू है, जो गुफाओं से थोड़ी ही दूरी पर है. वहीं,  सबसे नजदीक का हवाई अड्डा विशाखापत्तनम में है, जो लगभग 83 किमी दूर है.

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