अनिल कुमार सिन्हा ने सीबीआई निदेशक का पदभार संभाला
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अनिल कुमार सिन्हा ने सीबीआई निदेशक का पदभार संभाला

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के नए निदेशक नियुक्त किए गए 1979 बैच के आईपीएस अधिकारी अनिल कुमार सिन्हा ने आज पदभार संभाल लिया। यह जिम्मेदारी उन्होंने ऐसे वक्त संभाली है कि जब कोयला आंवटन और 2जी घोटालों की जांच के तरीके को लेकर जांच एजेंसी आलोचना का सामना कर रही है।

अनिल कुमार सिन्हा ने सीबीआई निदेशक का पदभार संभाला

नई दिल्ली : केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के नए निदेशक नियुक्त किए गए 1979 बैच के आईपीएस अधिकारी अनिल कुमार सिन्हा ने आज पदभार संभाल लिया। यह जिम्मेदारी उन्होंने ऐसे वक्त संभाली है कि जब कोयला आंवटन और 2जी घोटालों की जांच के तरीके को लेकर जांच एजेंसी आलोचना का सामना कर रही है।

सीबीआई में विशेष निदेशक के तौर पर 21 महीने का अनुभव रखने वाले और सारदा चिटफंड मामले की जांच की निगरानी करने वाले 58 वर्षीय सिन्हा के सामने इस जांच एजेंसी की विश्सनीयता को बहाल करने का मुश्किल काम है।

हाल के महीनों में सीबीआई को उच्चतम न्यायालय तथा दूसरी अदालतों से फटकार का सामना करना पड़ा है। देश की शीर्ष अदालत ने तो एक बार सीबीआई को ‘पिंजड़े में बंद तोता’ करार दिया था। सिन्हा सीबीआई के लगातार तीसरे ऐसे निदेशक बने हैं जिनका ताल्लुक बिहार से है। इससे पहले के निदेशक रंजीत सिन्हा और एपी सिंह भी उसी राज्य से थे।

हार्वर्ड विश्वविद्यालय के केनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट के छात्र रहे सिन्हा मृदुभाषी हैं। उन्होंने अपनी प्राथमिकताओं के संदर्भ में मीडिया से कहा, ‘ऐसी कोई चुनौती नहीं है जो छोटी या बड़ी है। चुनौतियां अच्छा करने का एक अवसर है।’ अनिल कुमार सिन्हा ने एक संक्षिप्त बयान में कहा, ‘मैं पूरी विनम्रता के साथ इस प्रतिष्ठित जांच एजेंसी के प्रमुख की जिम्मेदारी स्वीकार करता हूं। मैं सीबीआई के सामने खड़ी चुनौतियों से अवगत हूं और मैं इंसाफ के मकसद को मजबूती देने के लिए अपनी टीम के साथ मिलकर काम करने का प्रयास करूंगा। मैं संगठन के लक्ष्य से जुड़े मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराता हूं।’

मनोविज्ञान में स्नाकतोत्तर सिन्हा के नाम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एच. एल. दत्तू तथा लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की बैठक में सहमति बनी। लोकपाल कानून के अमल में आने के बाद सीबीआई प्रमुख के नाम का चयन करने के लिए इस तरह की पहली बैठक थी। अपने करियर में सिन्हा कई अहम पदों पर रहे। केंद्रीय सतर्कता आयोग में अतिरिक्त सचिव के पद पर आसीन होने से पहले वह बिहार में भ्रष्टाचार निरोधी एवं सतर्कता शाखा में तैनात थे।

वह मई, 2003 में सीबीआई के साथ जुड़े। इस जांच एजेंसी में रहते हुए उन्होंने कई मामलों की जांच की जिम्मेदारी संभाली, जिनमें सारदा चिटफंड मामला प्रमुख है। उन्हें साल 2000 में उत्कृष्ट सेवा के लिए पुलिस पदक और 2006 में राष्ट्रपति के पुलिस पदक से सम्मानित किया गया। सिन्हा 1979 में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुए और फिर अगले 18 वर्षों तक बिहार में कई जिम्मेदारियां निभाईं। इनमें पुलिस अधीक्षक से लेकर विशेष शाखा के डीआईजी की जिम्मेदारियां शामिल हैं।

वह साल 1998 से 2005 तक केंद्रीय सेवा में भूमिका निभाते हुए विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) में बतौर डीआईजी कार्यरत रहे तथा फिर उन्होंने प्रधानमंत्री एवं एसपीजी सुरक्षा प्राप्त अन्य गणमान्य व्यक्तियों की सुरक्षा में महानिरीक्षक के तौर पर काम किया। साल 2005 में वह बतौर अतिरिक्त महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) बिहार लौटे। बिहार में उन्होंने सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों को मिलाकर एक विशेष सहायता पुलिस बल (एसएपी) तैयार किया। वह राज्य में अतिरिक्त महानिदेशक और सतर्कता जांच ब्यूरो के प्रमुख भी रहे।

इसके बाद वह साल 2010 में सीवीसी में अतिरिक्त सचिव बनकर केंद्रीय सेवा में लौटे तथा अप्रैल, 2013 तक यह जिम्मेदारी निभाई। इस दौरान उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों, सार्वजनिक उपक्रमों, केंद्रीय मंत्रालयों तथा नीतिगत सतर्कता मामलों को देखा। सिन्हा मई, 2013 में सीबीआई में बतौर विशेष निदेशक जुड़े और फिलहाल तक वह भ्रष्टाचार निरोधक, आर्थिक अपराध, विशेष अपराध, एसटीएफ तथा एमडीएमए को देख रहे थे।

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