DNA: ब्राह्मणों का अपमान...अनुराग कश्यप की पहचान, गौरवगाथा जानते तो ऐसा न कहते!
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DNA: ब्राह्मणों का अपमान...अनुराग कश्यप की पहचान, गौरवगाथा जानते तो ऐसा न कहते!

Anurag Kashyap Brahmin remark: फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप की मुश्किलें बढ़ गई हैं. ब्राह्मणों पर विवादित टिप्पणी के चलते पहले मुंबई और इंदौर में उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है.

DNA: ब्राह्मणों का अपमान...अनुराग कश्यप की पहचान, गौरवगाथा जानते तो ऐसा न कहते!

Anurag Kashyap apologises for Brahmin remark: ब्राह्मण विरोधी मानसिकता फैला रहे बॉलीवुड के फिल्म डायरेक्टर अनुराग कश्यप की जिन्होंने ब्राह्मणों के खिलाफ बेहद अपमानजनक टिप्पणी की है. कबीरदास कहते थे- 'जात न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान'. अनुराग कश्यप जैसे लोगों को ज्ञान नहीं, ब्राह्मण विरोधी एजेंडा शूट करता है. अनुराग कश्यप अपनी फिल्मों की सफलता से ज्यादा ऐसे ही विवादास्पद बयानों की वजह से चर्चा में रहते हैं. ऐसे बोल बोलना शायद अनुराग कश्यप का पब्लिसिटी स्टंट है. अपने इंस्ट्राग्राम अकाउंट से इस फिल्म डायरेक्टर अनुराग कश्यप ने ब्राह्मणों को लेकर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की लेकिन जैसे ही विवाद शुरू हुआ माफी मांग ली. लेकिन माफी मांगने का तरीका और भी ज्यादा खराब था.

क्य़ा आपको इस माफी में कही से विनम्रता दिखती है?

अपनी माफी वाले पोस्ट में अनुराग कश्यप ने लिखा - 'मेरी माफी है, मेरे पोस्ट के लिए नहीं, बल्कि उस एक लाइन के लिए जो मैंने लिखा. आप मुझे गाली दीजिए, लेकिन मेरी फैमिली ने कुछ नहीं कहा. इसलिए अगर आपको माफी चाहिए, तो ये रही मेरी माफी. ब्राह्मणों से बस इतना कहूंगा कि महिलाओं को बख्श दीजिए, इतना संस्कार तो शास्त्रों में भी सिखाया गया है, सिर्फ मनुवाद में नहीं.'

क्या आपको इस माफी में कही से ऐसा दिखता है कि अनुराग कश्यप को पछतावा है? क्या आपको इस माफी में कही से ऐसा दिखता है अनुराग कश्यप अपनी गलती से दुखी है? ऐसा कुछ भी नहीं है, बल्कि अभी भी अनुराग कश्यप के पोस्ट में कई ऐसे शब्द है जो आपत्तिजनक है. क्या संस्कार की दुहाई देकर विवाद से बचने की कोशिश करने वाले अनुराग कश्यप के लिए ब्राह्मणों को गाली देना उनका संस्कार है.

अनुराग कश्यप की समझ को क्या हो गया?

जिस बॉलीवुड में फिल्म बनाकर अनुराग कश्यप ने आज नाम और शोहरत कमाई उसी बॉलीवुड के पिता दादा साहेब फाल्के ब्राह्मण थे. चाणक्य चाहते तो खुद सत्ता पर बैठ सकते थे लेकिन चंद्रगुप्त मौर्य को सत्ता दी और खुद झोपड़ी में रहे. आज भी उनकी लिखी पुस्तक अर्थशास्त्र और चाणक्य नीति कूटनीति का सबसे बड़ा ग्रंथ माना जाता है. सुश्रुत जो प्राचीन भारत के महान चिकित्साशास्त्री एवं शल्यचिकित्सक थे. उन्होंने आयुर्वेद एवं शल्यचिकित्सा का प्राचीन संस्कृत ग्रन्थ सुश्रुतसंहिता लिखी. वो भी एक ब्राह्मण थे. चरक, पाणिनि, महान गणितज्ञ आर्यभट्ट सभी ब्राह्मण थे.

'ब्राह्मणों की गौरवगाथा'

चंद्रशेखर आजाद, 1857 के आजादी के नायक मंगल पांडे और तात्या टोपे, महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरू गोपाल कृष्ण गोखले, तिलक और गणपति महोत्व के जरिए सामाजिक और धार्मिक क्रांति लाने वाले बाल गंगाधर तिलक सभी ब्राह्मण थे.

इस देश में 5 से ज्यादा चीफ जस्टिस ब्राह्मण हुए. इस देश में सर्वपल्ली राधाकृष्णन से लेकर प्रणव मुखर्जी तक 5 राष्ट्रपति ब्राह्मण हुए. इस देश में पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी तक 5 प्रधानमंत्री ब्राह्मण थे. देश के पहले परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा ब्राह्मण थे. सबसे बडा चुनावी सुधार लाने वाले टी एन शेषन भी ब्राह्मण थे. क्या अनुराग कश्यप इन सभी को गाली दे रहे हैं.

'गिनती खत्म न होगी'

इस देश का राष्ट्रगान लिखने वाले रबीन्द्रनाथ टैगौर ब्राह्मण थे. टैगौर पहले भारतीय, पहले एशियाई और पहले गैर-यूरोपीय थे जिन्हें नोबेल पुरस्कार मिला था. नोबेल पुरस्कार पाने वाले सर चंद्रशेखर वेंकटरमन , वेंकी रामकृष्णन, कैलाश सत्यार्थी सभी ब्राह्मण है.

समाज को दिशा देते हैं ब्राह्मण

अनुराग कश्यप को राजतरंगिणी लिखने वाले कल्हण याद नहीं है, हजारी प्रसाद द्विवेदी याद नहीं है, मालगुडी डेज लिखने वाले आर के नारायण याद नहीं है. ये सभी ब्राह्मण थे. हमने आपको अभी तक जितने नाम बताए सबने धर्म और जाति से आगे बढ़कर काम किया. सभी ने समाज को बेहतर बनाया.

अनुराग कश्यप ने अगर बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जीवनी ही पढ़ ली होती तो ऐसी छोटी बातें नहीं करते. दलितों के उत्थान के लिए सबसे ज्यादा काम करने वाले बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की दूसरी पत्नी सविता अंबेडकर ब्राह्मण थीं जिन्होंने बाद में बौद्ध धर्म को अपनाया था. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को अपने ब्राह्मण टीचर महादेव अंबेडकर से खास लगाव था. उनके ब्राह्मण टीचर ने ही उन्हें अपना सरनेम अंबेडकर दिया. 

सड़क छाप भाषा का इस्तेमाल स्वीकार नहीं

देश में अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर अक्सर सड़क छाप भाषा का इस्तेमाल करके किसी धर्म और जाति को टारगेट करने के लिए अक्सर किया जाता रहा है फिर माफी मांगकर बचने की कोशिश होती है. लेकिन इस बार फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप की मुश्किलें इसलिए बढ़ गई हैं क्योंकि उनके खिलाफ मुंबई, इंदौर समेत कई शहरों में FIR हो चुकी है.

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