सेना प्रमुख बिपिन रावत (Bipin Rawat) शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर (Jammu kashmir) जाएंगे. अनुच्छेद 370 हटने के बाद सेना प्रमुख पहली बार जम्मू कश्मीर की यात्रा पर जाएंगे. इस दौरे के दौरान वह श्रीनगर में सुरक्षा हालात और कश्मीर घाटी में स्थिति से निपटने के लिए सुरक्षाबलों की तैयारियों का जायजा लेंगे.
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श्रीनगर: सेना प्रमुख बिपिन रावत (Bipin Rawat) शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर (Jammu kashmir) जाएंगे. अनुच्छेद 370 हटने के बाद सेना प्रमुख पहली बार जम्मू कश्मीर की यात्रा पर जाएंगे. इस दौरे के दौरान वह श्रीनगर में सुरक्षा हालात और कश्मीर घाटी में स्थिति से निपटने के लिए सुरक्षाबलों की तैयारियों का जायजा लेंगे. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के बाद सेना प्रमुख पहले ऐसे मुख्य सुरक्षा अधिकारी हैं, जो जम्मू कश्मीर पहुंचकर सुरक्षा का जायजा लेंगे. अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से जम्मू कश्मीर के कई इलाकों में फोन और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई थीं, जिसे अब बारी-बारी से खोला जा रहा है.
कश्मीर में कोई मौत नहीं हुई, 50 हजार नई सरकारी नौकरियां जल्द : राज्यपाल
इससे पहले बुधवार को जम्मू एवं कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा था कि नरेंद्र मोदी की सरकार का अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी करने का निर्णय जम्मू-कश्मीर (Jammu kashmir) के लोगों की भलाई के लिए है. उन्होंने कहा कि राज्य प्रशासन कश्मीर घाटी में मौतों का कोई आंकड़ा नहीं छिपा रहा है, यहां किसी की भी मौत नहीं हुई है. उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर (Jammu kashmir) में लगभग 50 हजार नई सरकारी नौकरियां पैदा होंगी.
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मलिक ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "हर कश्मीरी की जिंदगी कीमती है. क्या यह एक उपलब्धि नहीं है? यह सरकार के शांति बनाए रखने का परिणाम है और सब ने दिनरात काम किया है कि किसी को कोई नुकसान पहुंचाए बगैर धीरे-धीरे सामान्य हालात बहाल हो." उन्होंने कहा कि लोगों ने काफी सहयोग किया और वे शांत रहे.
मलिक ने कहा, "प्रतिबंधों के परिणाम आपके सामने हैं. पुलिस की कार्रवाई में अब तक प्रदेश में एक भी व्यक्ति की अब तक मौत नहीं हुई है. 2008 के प्रदर्शन में 50 से अधिक लोग मारे गए थे. 2010 के प्रदर्शन में 100 अधिक लोगों की मौत हो गई थी." उन्होंने कहा कि कोई नागरिक हताहत नहीं हुआ है, केवल कुछ लोग जो हिंसा पर उतर आए थे वे घायल हुए हैं.
उन्होंने कहा, "जो लोग घायल हुए हैं, उन्हें कमर से नीचे ही चोट आई है. उनका प्रशासन मौत का आंकड़ा कैसे छिपा सकता है, जब केंद्र से टीमें रोजाना उनसे मिलने आ रही हैं." मलिक ने घोषणा की कि सरकार कुपवाड़ा और हंदवाड़ा जिलों में मोबाइल फोन कनेक्टिविटी खोलने जा रही है.
इसके अलावा उन्होंने दावा किया कि फोन और इंटरनेट का उपयोग लोगों द्वारा कम किया जाता है, जबकि इसका ज्यादातर इस्तेमाल आतंकवादियों द्वारा किया जाता है. उन्होंने कहा, "यह हमारे खिलाफ इस्तेमाल किया जाने वाला एक प्रकार का हथियार है, इसलिए हमने इसे रोक दिया है. धीरे-धीरे सेवाएं फिर से शुरू की जाएंगी."
जम्मू एवं कश्मीर में अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के निर्णय का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा, "सरकार का निर्णय जम्मू-कश्मीर (Jammu kashmir) और लद्दाख के लोगों की बेहतरी के लिए है."
उन्होंने कहा, "जम्मू-कश्मीर (Jammu kashmir) और लद्दाख में आने वाले दिनों में इतना विकास होगा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में भी लोग उसी तरह का विकास कराने की मांग करेंगे." उन्होंने कहा कि जल्द ही लगभग 50 हजार सरकारी नौकरियों की घोषणा की जाएगी और 50 अतिरिक्त डिग्री कॉलेज खोले जाएंगे.
पीओके में हो रहे मानवाधिकार हनन पर ध्यान दे पाकिस्तान : राजनाथ
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के नागरिकों को मिले मानवाधिकारों का हनन रोकने पर ध्यान देना चाहिए. लेह स्थित डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ हाईयर एल्टीट्यूड रिसर्च द्वारा आयोजित किसान विज्ञान मेले में मुख्य अतिथि के रूप में लद्दाख गए सिंह ने ट्वीट किया, 'देश में इस बात को लेकर कभी कोई आशंका नहीं थी कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. सच्चाई यह है कि पाकिस्तान ने पीओके और गिलगित-बाल्टिस्तान में अवैध कब्जा कर रखा है. पाकिस्तान को पीओके में नागरिकों का हो रहे मानवाधिकार हनन पर ध्यान देना चाहिए.'
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा, 'पाकिस्तान के पास कश्मीर मामले में हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है. दूसरी ओर, वह अवैध रूप से पीओके पर कब्जा किए हुआ है. भारतीय संसद ने 1994 में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया, जिससे भारत की स्थिति बिल्कुल स्पष्ट हो गई थी.'
रक्षामंत्री अपनी यात्रा के दौरान पाकिस्तान से खतरों के मद्देनजर इस क्षेत्र में सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा भी करने वाले हैं.
उन्होंने ट्वीट किया, 'मैं पाकिस्तान से पूछना चाहता हूं कि कश्मीर उसके कब्जे में कब था? और पाकिस्तान खुद भी भारत से अलग होकर ही बना है. हम पाकिस्तान के अस्तित्व का सम्मान करते हैं और इसका मतलब यह नहीं है कि पाकिस्तान लगातार भारत के बारे में विवेकहीन टिप्पणी कर सकता है.'