आर्टिकल 370: पंडिता परिवार ने बयां किया विस्थापन का दर्द, 'स्टोर रूम में छिपकर जान बचाई थी'
Advertisement
trendingNow1562361

आर्टिकल 370: पंडिता परिवार ने बयां किया विस्थापन का दर्द, 'स्टोर रूम में छिपकर जान बचाई थी'

30 साल पहले हुई घटना की टीस अब भी पंडिता परिवार के दिलोदिमाग में है. परिवार कहता है तब से कितनी सरकारें आईं और गईं. किसी ने कश्मीरी पंडितों का दर्द नहीं समझा. 

आर्टिकल 370 खत्म होने पर पंडिता परिवार को उम्मीद जगी है कि वे फिर से वापस कश्मीर जा सकेंगे..

नई दिल्ली: आर्टिकल 370 खत्म होने पर पंडिता परिवार को उम्मीद जगी है कि वे फिर से वापस कश्मीर जा सकेंगे और बेटों को संपति दे सकेंगे. उनके लिए कश्मीर में और ज़मीन लेंगे. साल 1990 में पंडिता परिवार को उनके अपने पैतृक घर से को जबरन निकाला दिया गया था. उस काली रात को पूरा परिवार आज भी नहीं भूल पाया है लेकिन आर्टिकल 370 और 35A खत्म होने के बाद इनके परिवार में कश्मीर दोबारा पूरे हक के साथ जाने की उम्मीद जगी है. 

यह अपनी कश्मीर की संपत्ति ना सिर्फ अपने बेटों को देंगे बल्कि और खरीदेंगे भी. 8वीं कक्षा में पढ़ने वाले नील पंडिता को अपने कश्मीरी पंडित होने पर उतना ही गर्व है जितना किसी भी शख्स को अपनी जड़ों से जुड़े होने पर महसूस होता है. नील ने कश्मीर में उनके घर के सिर्फ किस्से और कहानी अपने माता पिता और दादा से सुना है. साल 2013 में एक बार सिर्फ नील ने अपने पुश्तैनी घर की जली हुई ईंटे देखी थीं. आज 370 आर्टिकल के रद्द होने के बाद अब वो अपने माता-पिता को दोबारा कश्मीर में बसाना चाहते हैं. 

कभी सोचा न था कि ये बूढ़ी आंखें ये दिन भी देख पाएंगी
कश्मीरी पंडित पीएल राज़दान मोनिका के पिता की आंखों ने सिर्फ़ दर्द, मौत, खून-खराबा और विस्थापन देखा है. उन्होंने कभी सोचा न था कि ये बूढ़ी आंखें ये दिन भी देख पाएंगी. राज़दान को साल 1990 की 19 जनवरी को अपना सब कुछ छोड़कर कश्मीर से भागकर जम्मू में शरण लेनी पड़ी थी. पीएल बताते हैं, "उस रात को मस्जिदों से 'यत बनावो पाकिस्तान...' के नारे गूंजे. वो आज भी उस काली रात को याद कर सिहर उठते हैं, जब 19 जनवरी की वो शाम याद आती है. उस वक़्त वो अपने घर मे मौजूद थे. जब मस्जिदों से आवाज़ें सुनाई दीं तो टांगे थर्रा गईं. 

ये भी पढ़ें: पाकिस्तान में हिंदुओं को जीने का हक भी नहीं और कश्मीरियों को बरगलाने की करता है साजिश

 

जब हर ओर से ये ख़बरें आने लगीं कि कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़कर जाना होगा तो उनके दिल में सबसे पहले ये ख्याल आया कि मेरे घरवाले कहां जाएंगे, क्या खाएंगे और घरों का क्या होगा. अपनी बेटियों को 22 घंटे एक स्टोर रूम में छिपाकर रखा था. यहां तक कि चूहे मारने की दवा खोजी की अगर कुछ हुआ तो पूरा परिवार जहर खा लेगा."

 

30 साल पहले हुई घटना की टीस अब भी पंडिता परिवार के दिलोदिमाग में है. परिवार कहता है तब से कितनी सरकारें आईं और गईं. किसी ने कश्मीरी पंडितों का दर्द नहीं समझा. मोदी सरकार ने कश्मीरी हिंदुओं के दर्द को अपना मानकर न्याय दिलाया है. कश्मीर में पंडिता परिवार के कुछ संपत्ति है वो अब उस संपति पर अपना घर बनाना चाहते है और कश्मीर की संपति काम से कम अपने बच्चों के नाम कर सकेंगे.

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news