ये विपक्ष का महाभियोग नोटिस नहीं, बदले की याचिका है- अरुण जेटली
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ये विपक्ष का महाभियोग नोटिस नहीं, बदले की याचिका है- अरुण जेटली

सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर ‘गलत आचरण’ का आरोप लगाते हुए कांग्रेस के नेतृत्व में सात विपक्षी दलों ने गुरुवार को उनके खिलाफ राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को महाभियोग का नोटिस दिया.

अरुण जेटली ने कहा महाभियोग नोटिस के जरिए राजनीति कर रही कांग्रेस (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर ‘गलत आचरण’ का आरोप लगाते हुए कांग्रेस के नेतृत्व में सात विपक्षी दलों ने गुरुवार को उनके खिलाफ राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को महाभियोग का नोटिस दिया. कांग्रेस ने जहां इसे ‘संविधान और न्यायपालिका की रक्षा’ के लिए उठाया गया कदम बताया, वहीं बीजेपी ने इस बदले की भावना से उठाया गया कदम ठहराया है. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस महाभियोग को राजनीतिक हथियार बना रही है.

  1. कांग्रेस CJI के खिलाफ लाई महाभियोग प्रस्ताव
  2. अरुण जेटली ने की कांग्रेस के कदम की आलोचना
  3. 71 सदस्यों ने किया कांग्रेस के प्रस्तवा पर हस्ताक्षर

कांग्रेस ने सौंपा महाभियोग प्रस्ताव
एम वेंकैया नायडू को सौंपे गए सीजेआई के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर कुल 71 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हैं जिनमें सात सदस्य सेवानिवृत्त हो चुके हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने सीजेआई के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर कहा, 'हम चाहते थे कि ऐसा दिन कभी ना आए, लेकिन कुछ खास केस पर सीजेआई के रवैये की वजह से महाभियोग लाने पर हम मजबूर हुए.' कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर उपराष्ट्रपति ने नोटिस खारिज किया तो और भी कई रास्ते हैं.

अरुण जेटली ने साधा निशाना
वहीं कांग्रेस के इस कदम पर पलटवार करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जमकर आलोचना की है. उन्होंने कहा कि, सीजेआई के अयोग्य होने या गलत आचरण पर महाभियोग चलाया जाता है, लेकिन कांग्रेस महाभियोग को राजनीतिक हथियार बना रही है. उन्होंने कहा कि ये विपक्ष का महाभियोग नोटिस नहीं बल्कि बदले की याचिका है.

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा सीबीआई के विशेष न्यायाधीश बी. एच. लोया की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मृत्यु की जांच के लिए दायर याचिकायें खारिज किए जाने के अगले ही दिन महाभियोग का नोटिस दिया गया है. लोया सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे. शीर्ष अदालत की प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने गुरुवार (19 अप्रैल) को यह फैसला सुनाया था. महाभियोग का नोटिस देने के लिए राज्यसभा के कम से 50 सदस्यों जबकि लोकसभा में कम से कम 100 सदस्यों के हस्ताक्षर की जरूरत होती है.

 

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