'राजनीतिक चंदे की स्वच्छता के लिए सुझावों पर विचार करने को तैयार है सरकार'
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'राजनीतिक चंदे की स्वच्छता के लिए सुझावों पर विचार करने को तैयार है सरकार'

जेटली ने आज (रविवार) फेसबुक पर लिखा है कि अभी तक राजनीतिक दलों को चंदा देने और उनका खर्च दोनों नकदी में होता चला आ रहा है. उन्होंने लिखा है कि चंदा देने वालों के नामों का या तो पता नहीं होता है वे छद्म होते हैं. 

वित्त मंत्री अरुण जेटली (फाइल फोटो- जी बिजनेस)

नई दिल्लीः वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि चुनावी बांड की व्यवस्था देश में राजनीतिक चंदे में परदर्शिता लाने की दिशा में एक बड़ा सुधार है तथा सरकार इस दिशा में किसी भी नए सुझाव पर विचार के लिए तैयार है. जेटली ने आज (रविवार) फेसबुक पर लिखा है कि अभी तक राजनीतिक दलों को चंदा देने और उनका खर्च दोनों नकदी में होता चला आ रहा है. उन्होंने लिखा है कि चंदा देने वालों के नामों का या तो पता नहीं होता है वे छद्म होते हैं. कितना पैसा आया यह कभी नहीं बताया जाता और व्यवस्था ऐसी बना दी गयी है कि अज्ञात स्रोतों से संदिग्ध धन आता रहे.

  1. अरुण जेटली ने चुनावी बांड को लेकर फेसबुक पर लिखा 
  2. 'देश में राजनीतिक चंदे में परदर्शिता लाने की दिशा में एक बड़ा सुधार'
  3. चुनावी बांडों की बिक्री जल्दी ही शुरू की जाएगी

उन्होंने लिखा है, ‘‘यह बिल्कुल अपारदर्शी तरीका है. ज्यादातर राजनीतिक दल और समह इस मौजूदा व्यवस्था से बहुत सुखी दिखते हैं. यह व्यवस्था चलती रहे तो भी उनको कोई फर्क नहीं पड़ेगा.’’ जेटली का कहना है कि उनकी सरकार का प्रयास यह है कि ऐसी वैकल्पिक प्रणाली लायी जाए जो राजनीति चंदे की व्यवस्था में स्वच्छता ला सके.

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गौरतलब है कि वित्त मंत्री ने पिछले सप्ताह राजनीतिक दलों को बांड के जरिए चंदा देने की एक रूपरेखा जारी की. चुनावी बांडों की बिक्री जल्दी ही शुरू की जाएगी. इन बांडों की मियाद केवल 15 दिन की होगी. इन्हें भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) से खरीदा जा सकेगा. चंदा देने वाला उसे खरीद कर किसी भी पार्टी को उसे चंदे के रूप में दे सकेगा और वह दल उसे बैंक के जरिए भुना लेगा. इन बांडों को नकद चंदे के विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है.

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उन्होंने लिखा है कि अब लोगों के लिए सोच समझ कर यह तय करने का विकल्प होगा कि वे संदिग्ध नकद धन के चंदे की मौजूदा व्यवस्था के हिसाब से चलन को अपनाए रखना चाहते हैं या चेक , आन लाइन अंतरण और चुनावी बांड का माध्यम चुनते हैं. वित्त मंत्री ने कहा कि बाद के तीन तरीकों में से दो (चेक और आनलाइन) पूरी तरह पारदर्शी है जब कि बांड योजना मौजूदा अपरादर्शी राजनीतिक चंदे की मौजूदा व्यवस्था की तुलना में एक बड़ा सुधार है.

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उन्होंने कहा ‘‘सरकार भारत में राजनीतिक चंदे की वर्तमान व्यवस्था को स्वच्छ बनाने और मजबत करने के लिए सभी सुझावों पर विचार करने को तैयार है. लेकिन यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि अव्यवहारिक सुझावों से नकद चंदे की व्यवस्था नहीं सुधरेगी बल्कि उससे यह और पक्की ही होगी.’’ जेटली ने लिखा है, ‘‘भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश होने के बावजूद सात दशक बाद भी राजनीतिक चंदे की स्वच्छ प्रणाली नहीं निकाल पाया है. राजनीतिक दलों को पूरे साल बहुत बड़ी राशि खर्च करनी होती है. ये खर्चे सैकड़ों करोड़ रुपये के होते हैं. बावजूद इसके राजनीतिक प्रणाली में चंदे के लिए अभी कोई पारदर्शी प्रणाली नहीं बन पायी है.’’

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