लखीमपुर हिंसा मामले में आशीष मिश्र गिरफ्तार, जांच में सहयोग नहीं करने का आरोप
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लखीमपुर हिंसा मामले में आशीष मिश्र गिरफ्तार, जांच में सहयोग नहीं करने का आरोप

आशीष मिश्र शनिवार सुबह करीब 10:38 बजे वकीलों के साथ लखीमपुर खीरी स्थित क्राइम ब्रांच के ऑफिस में पेश हुए थे. यहां उससे करीब 12 घंटे तक पूछताछ की. लेकिन क्राइम ब्रांच के अनुसार, आशीष ने पूछताछ में सहयोग नहीं किया, जिसके चलते उसके गिरफ्तार कर लिया गया. 

लखीमपुर हिंसा मामले में आशीष मिश्र गिरफ्तार, जांच में सहयोग नहीं करने का आरोप

लखनऊ: लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आशीष मिश्र को गिरफ्तार कर लिया गया है. स्पेशल टास्क फोर्स ने करीब 12 घंटे की पूछताछ के बाद केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र का बेटा आशीष मिश्र को गिरफ्तार किया है. आशीष के खिलाफ IPC की धारा 302, 147 और 148 समेत कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज है.

  1. आशीष मिश्र को SIT ने किया गिरफ्तार
  2. मेडिकल जांच के बाद होगी कोर्ट में पेशी
  3. लखीमपुर खीरी हिंसा में आरोपी हैं आशीष

रविवार को होगी कोर्ट में पेशी

एसआईटी चीफ उपेंद्र अग्रवाल ने बताया कि, 'आशीष मिश्र जांच में सहयोग नहीं कर रहा था. इसलिए उसकी गिरफ्तारी की गई है. इस वक्त क्राइम ब्रांच के ऑफिस में भी उसका मेडिकल कराया जा रहा है. रविवार सुबह उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा.' हालांकि अभी तक किस कोर्ट में आशीष की पेशी होगी, इसकी सूचना नहीं मिल पाई है. वहीं जिले के एसडीएम और सीओ समेत तमाम वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं.

हिंसा में कुल 8 लोगों की हुई मौत

3 अक्टूबर को हुई इस हिंसा में कुल 8 लोग मारे गए है, जिनमें 4 किसान हैं, 2 बीजेपी के कार्यकर्ता हैं, एक आशीष मिश्रा का ड्राइवर है और एक वहां के स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप हैं. अब तक इस मामले में दो FIR दर्ज हो चुकी हैं, जिनमें एक एफआईआर अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा के खिलाफ दर्ज हुई है. उन पर हत्या और गैर इरादन हत्या दोनों ही धारा लगाई गई हैं.

FIR में क्या लिखा हुआ है?

FIR की कॉपी में लिखा है कि 3 अक्टूबर को किसान अजय मिश्र टेनी और उप मुख्य मंत्री केशव प्रसाद मौर्य को काले झंडे दिखाने के लिए शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे. लेकिन इसी दौरान आशीष मिश्रा हथियारों से लैस 15 से 20 लोगों के साथ वहां पहुंचे और किसानों को कुचलते हुए निकल गए. इसमें ये भी दावा है कि आशीष मिश्रा ने फायरिंग की थी, जिससे गुरविंदर सिंह नाम के एक किसान की मौत हो गई. हालांकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दावा है कि जो लोग इस हिंसा में मारे गए, उनमें से किसी की भी मौत गोली लगने से नहीं हुई है. जो चार किसान मारे भी गए, उनके शरीर पर चोट के निशान मिले हैं. इसमें ये भी दावा है कि गुरविंदर सिंह पर किसी धारदार हथियार से हमला किया गया, न कि उनकी हत्या गोली मार कर की गई.

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