राहुल गांधी ने गहलोत की जिम्‍मेदारी बदलकर राजस्‍थान में सचिन पायलट का रास्‍ता साफ‍ किया?
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राहुल गांधी ने गहलोत की जिम्‍मेदारी बदलकर राजस्‍थान में सचिन पायलट का रास्‍ता साफ‍ किया?

अशोक गहलोत गुजरात कांग्रेस के प्रभारी थे. गुजरात चुनावों में कांग्रेस की बेहतर सफलता के लिए राहुल गांधी के साथ उनके योगदान को भी अहम माना जाता है.

सचिन पायलट(39) राजस्‍थान कांग्रेस के प्रदेश अध्‍यक्ष हैं.(फाइल फोटो)

राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्‍यक्ष बनने के बाद पहली बार बड़ा परिवर्तन करते हुए राजस्‍थान के पूर्व मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत को संगठन एवं प्रशिक्षण का प्रभारी महासचिव बनाया है. वह सोनिया गांधी के करीबी रहे जनार्दन द्विवेदी का स्‍थान लेंगे. इससे पहले अशोक गहलोत गुजरात कांग्रेस के प्रभारी थे. गुजरात चुनावों में कांग्रेस की बेहतर सफलता के लिए राहुल गांधी के साथ उनके योगदान को भी अहम माना जाता है. संभवतया इसी के पुरस्‍कार के रूप में राष्‍ट्रीय राजनीति में अहम रोल के लिए कांग्रेस अध्‍यक्ष ने उनका चुनाव किया है.

  1. अशोक गहलोत को संगठन महासचिव बनाया गया
  2. जनार्दन द्विवेदी की जगह पर मिली जिम्‍मेदारी
  3. कांग्रेस अध्‍यक्ष ने पार्टी में किए बड़े बदलाव

हालांकि इसके साथ राजनीतिक विश्‍लेषकों के मुताबिक कांग्रेस अध्‍यक्ष ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं. पहला- राहुल गांधी ने पुरानी पीढ़ी के नेताओं को संकेत दिया है कि वह उनके अनुभव का लाभ लेते रहेंगे. दूसरा- इसके चलते अशोक गहलोत की भूमिका राजस्‍थान की राजनीति में अब सीमित हो जाएगी. इसी साल के अंत में वहां विधानसभा चुनाव होने हैं. इससे पहले अजमेर और अलवर लोकसभा उपचुनाव प्रदेश अध्‍यक्ष सचिन पायलट के नेतृत्‍व में पार्टी ने लड़कर जीता है. उसके बाद से ही राजस्‍थान यूनिट से सचिन पायलट को मुख्‍यमंत्री का चेहरा घोषित करने की मांग दबे स्‍वर में उठती रही है. अब अशोक गहलोत के राष्‍ट्रीय राजनीति में जाने से माना जा रहा है कि राहुल गांधी ने साफ संकेत दे दिए हैं कि पार्टी की तरफ से राजस्‍थान चुनाव में सचिन पायलट(39) ही पार्टी का मुख्‍यमंत्री चेहरा होंगे और उन्‍हीं के नेतृत्‍व में चुनाव लड़ा जाएगा.

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कर्नाटक में प्रयोग
माना जा रहा है कि कर्नाटक चुनावों में राहुल गांधी ने पूरी कमान एक तरह से मुख्‍यमंत्री सिद्दारमैया के हाथों में दे दी है. उनके नेतृत्‍व में ही पार्टी चुनाव लड़ रही है. चुनाव जीतने के लिए उनको अपनी तरफ से निर्णय लेने की पूरी छूट दी गई है. सूत्रों के मुताबिक पंजाब के बाद कर्नाटक में कांग्रेस इसको एक प्रयोग के रूप में देख रही है. यदि यह प्रयोग सफल होता है तो पार्टी 1950-60 के दशक के पुराने फॉर्मूले पर लौट सकती है. उस दौर में कांग्रेस के पास राज्‍यों में जमीनी पकड़ वाले कद्दावर चेहरे थे. इसी की तर्ज पर कांग्रेस राज्‍यों में मजबूत स्‍थानीय नेतृत्‍व को उभरने का भरपूर मौका दे सकती है. यानी राजस्‍थान के साथ ही इसी साल मध्‍य प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनावों में ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया को भी युवा चेहरे के रूप में पार्टी के चेहरे के रूप में पेश किया जा सकता है.

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संगठन में बदलाव
इसके साथ ही कांग्रेस में बड़े बदलाव हुए हैं. राहुल गांधी ने जितेंद्र सिंह को बीके हरिप्रसाद के स्थान पर ओड़िशा का एआईसीसी प्रभारी बनाया है. बयान में यह भी कहा गया कि बीके हरिप्रसाद, ओड़िशा के प्रभारी महासचिव पद से हट गये हैं. कांग्रेस ने पार्टी सांसद राजीव सातव को गुजरात में एआईसीसी का प्रभारी बनाया है. राहुल ने हाल में संपन्‍न पार्टी के दिल्ली महाधिवेशन में स्पष्ट तौर पर यह संदेश दिया था कि संगठन में युवा एवं वरिष्ठ नेताओं के बीच की दीवार को गिराया जाएगा.

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पार्टी अध्यक्ष ने इसी सप्ताह गुजरात प्रदेश कांग्रेस समिति का अध्यक्ष युवा चेहरे और चार बार से विधायक अमित चावड़ा को बनाया है. उन्हें भरत सिंह सोलंकी की जगह यह जिम्मेदारी सौंपी गयी है. कांग्रेस अध्यक्ष ने अखिल भारतीय कांग्रेस सेवा दल के मुख्य संयोजक पद पर लालजी देसाई को नियुक्त किया है. उन्हें महेंद्र जोशी की जगह यह जिम्मेदारी दी गई है.

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