असम में नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है.
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गुवाहाटी: असम में नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है, प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने यहां भाजपा कार्यालय में तोड़फोड़ की. पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. ओइक्या सेना असम से जुड़े प्रदर्शनकारियों ने गुरुवार रात पलाशबाड़ी इलाके में स्थित कार्यालय में तोड़फोड़ की.
पुलिस ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के पुतलों को जलाया और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग को भी जाम कर दिया. पुलिस ने बाद में प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया.
असम में उस समय से विरोध हो रहा है, जब सोमवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उस विधेयक को पारित किया, यह नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन करता है और इसका मकसद अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अवैध हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनों, पारसियों और ईसाईयों को भारत की नागरिकता मिल जाएगी.
जहां एक ओर असम गण परिषद (एजीपी) ने विधेयक को लेकर भाजपा के साथ अपना नाता तोड़ लिया है और इसके तीन मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है, वहीं दूसरी ओर असम समझौते के क्लॉज 6 को लागू करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा उच्च समिति में नामित चार सदस्यों ने भी इसका हिस्सा बनने से इनकार कर दिया है. पूर्वोत्तर राज्य में मंगलवार को पूरी तरह से बंद देखने को मिला.
उल्लेखनीय है कि असम के जिन 6 समुदायों को जनजाति का दर्जा देने का भारत सरकार ने निर्णय लिया है, वे ट्राइबल्स संगठनों के बंद के खिलाफ दिखे और कई जगहों पर ट्राइबल्स संगठनों के समर्थकों और 6 जनजाति दर्जा संभावित समुदायों के समर्थकों के बीच बहस भी हुई.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने असम के छह समुदायों को जनजाति का दर्जा देने की बिल अगले सत्र में पेश करने की घोषणा की है और अमलीजामा अभी तक इस बिल को पहनाना बाकी है, लेकिन संभावित बिल का अभी से विरोध भी शुरू हो गया है. ट्राइबल्स संगठनों के इस विरोध को असम के 6 समुदायों के नेताओं ने राजनीति से प्रेरित करार दिया है.
अखिल असम ट्राइबल्स संगठन और तिया छात्र संघठन के नेताओं ने केंद्र सरकार के असम के 6 समुदायों को एसटी स्टेटस (जनजाति दर्जा) देने के निर्णय का विरोध करते हुए कहा कि जनजातियों के हक़ को छीनकर किसी दूसरे समुदायों को हम अपना हक़ लेने नहीं देंगे, जरूरत पड़ेगी तो पूरे असम में केंद्र सरकार इस निर्णय के विरुद्ध आंदोलन करेंगे और तब तक जारी रखेंगे जब तक सरकार इस निर्णय को वापस नहीं कर लेती.
(इनपुट-आईएएनएस से भी)