असम सहित नॉर्थ ईस्ट के कई राज्यों में नागरिक संशोधन विधेयक का विरोध किया जा रहा है. इसमें कई संगठन भी शामिल हैं.
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गुवाहाटी: असम की राजधानी के हेगराबारी स्थित बीजेपी मुख्यालय में असम भाजपा अध्यक्ष विधायक रंजीत दास ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कुछ फोटोग्राफ्स का हवाला देते हुए दावा किया कि पिछले कई दिनों से राज्य में नागरिकता संशोधन विधेयक का उग्र विरोध कर राज्य में अशांति फ़ैलाने और हिंसात्मक गतिविधियों के पीछे कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेताओं का हाथ रहा है जो ये वारदात के दौरान खींची तस्वीरें साबित करती हैं.
असम भाजपा अध्यक्ष ने कहा, कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ताओं ने हाल ही में नलबारी जिला के एक सरकारी कार्यकम में मुख्यमंत्री के काफिला के सामने अखिल असम छात्र संघठन (आसू) का बैनर का गलत इस्तेमाल कर आसू को बदनाम करने की कोशिश की. नागरिकता संशोधन विधेयक का हिंसात्मक विरोध कर नारेबाजी की थी. काले झंडे दिखलाये और पत्थरबाज़ी कर मुख्यमंत्री के काफिले को बाधित करने की भी कोशिश की थी.
असम भाजपा अध्यक्ष के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में बैठे असम भाजपा उपाध्यक्ष विजय कुमार गुप्ता ने बताया कि पिछले दिनों असम के मुख्यमंत्री सर्बानंदा सोनोवाल और वित्त, स्वास्थ मंत्री डॉ. हिमंता विश्व सरमा जब गुवाहाटी से नलबारी जिला के एक सरकारी कार्यकर्म में हिस्सा लेने जा रहे थे, उस दौरान तक़रीबन 30-35 प्रदर्शनकारियों ने आसू के बैनर तले मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के काफिले को रोकने की कोशिश की थी. नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में नारेबाजी कर, काला झंडा दिखलाया था. पत्थरों की बौछार कर हिंसा फैलाने की कोशिश की थी.
पुलिस ने काफी मशक्कत के बाद प्रदर्शनकारियों को रोका था. इस दौरान तमाम प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के साथ भी धक्का मुक्की की और तो और भाजपा के कार्यकर्ताओं से भी मारपीट की थी. मौके पर भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं और डॉ. हिमंता विस्वा सरमा ने हिंसा कर रहे प्रदर्शनकारियों पर आसू के कार्यकर्ता नहीं होने के संदेह उत्पन्न होने पर प्रदर्शनकारियों के तस्वीरें लेने की हिदायत दी. उसी दौरान ये तस्वीरें खींची गई थी.
बाद में तस्वीरों में हिन्सान्त्मक गतिविधियों में दिखे प्रदर्शनकारियों के पहचान सामने आने पर सरकार और भाजपा कार्यकर्ता दंग रह गए. क्योंकि आसू का बैनर का इस्तेमाल कर हिंसा फ़ैलाने वाले लोग आसू के कार्यकर्ता न होकर नलबारी जिला के कांग्रेसी नेता निकले. जिनकी पहचान भी हो चुकी है.
विजय कुमार गुप्ता ने कहा राज्य में आसू ने कभी भी हिंसात्मक आंदोलन नहीं किया. असम के 6 साल के आसू आंदोलन 1979-1984 का इतिहास भी शांतिपूर्ण था. अब नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध का लहर भी राज्य में थम रहा है. कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता राज्य में आसू का चोला ओढ़े एक तरफ आसू को बदनाम की साज़िश रच रहे हैं, तो दूसरी तरफ राज्य में कानून व्यवस्था को हाथ में लेकर नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध के नाम अशांति और हिंसा फ़ैलाने की गतिविधियां कर रहे हैं.
जब कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई से इस पर प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की तो उन्होंने बात करने से इंकार करते हुए पूरे घटनाकर्म पर हुए चुप्पी साध ली.