शीतकालीन सत्र: आज संसद में लाया जाएगा चिटफंड बिल, ग्राहकों को मिलेगी सुरक्षा
केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण चिटफंड अधिनियम 1982 में संशोधन के लिए विधेयक लाएंगी.
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नई दिल्ली: सरकार संसद के शीतकालीन सत्र (Parliament winter session 2019) के पहले ही दिन यानी आज चिटफंड (संशोधन) विधेयक 2019 (Bill 2019) को पारित करवाने की कोशिश करेगी. इस विधेयक का मकसद चिटफंड सेक्टर के सुचारू विकास को सुगम बनाते हुए उद्योग जिन बाधाओं से जूझ रहा है उसे दूर करना है. विधेयक से चिटफंड योजनाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित होगी और इसके ग्राहकों को सुरक्षा मिलेगी.
चिटफंड (संशोधन) विधेयक 2019 उन 12 लंबित विधेयकों में शामिल है जिन्हें संसद में चर्चा कर पारित करवाने के लिए सूचीबद्ध किया गया है. वर्तमान में संसद में 43 विधेयक लंबित हैं. इनमें से 27 विधेयक पेश करने, विचार करने और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किए गए हैं जबकि सात विधेयक वापस लिए जाने हैं.
केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण चिटफंड अधिनियम 1982 में संशोधन के लिए विधेयक लाएंगी, जिस पर विचार करने के बाद उसे पारित करवाने की कोशिश की जाएगी. संसद के मानसूत्र सत्र में ही लोकसभा में 5 अगस्त को यह विधेयक पेश किया गया था.
संसद में इस विधेयक को पेश करने की मंजूरी केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जुलाई में ही दी थी. इस विधेयक से चिटफंड के क्षेत्र में विनियामक व अनुपालन संबंधी बोझ होगा.
विधेयक में अधिनियम की धारा-2 के अनुबंध (बी) में 'बंधुत्व फंड' और 'आवर्ती बचत व क्रेडिट संस्थान' जोड़ा गया है जो चिट को परिभाषित करता है.
विधेयक में व्यक्ति के लिए निर्धारित कुल चिट राशि की सीमा एक लाख रुपये से बढ़ाकर तीन लाख रुपये और कंपनी के लिए छह लाख रुपये से बढ़ाकर 18 लाख रुपये किया गया है. इसमें 2001 के बाद संशोधन नहीं किया गया है.
विधेयक में खास बात यह है कि इसमें दो ग्राहकों की उपस्थिति या तो व्यक्तिगत रूप से या फोरमैन द्वारा विधिवत रिकॉर्डेड वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से अनिवार्य किया गया है जैसा कि अधिनियम की धारा 16 की उपधारा (2) के तहत आवश्यक है.
देश की घरेलू कारोबार चिटफंड के विनियमन के लिए चिटफंड अधिनियम 1982 लागू किया गया था. चिटफंड परंपरागत रूप से कम आय वाले लोगों की वित्तीय जरूरतों की पूर्ति करता है.
पिछले दिनों चिटफंड कारोबार में गड़बड़ी को लेकर अनके हितधारकों ने चिंता जाहिर की थी जिसके बाद केंद्र सरकार ने चिटफंड पर एक एडवायजरी ग्रुप बनाया था जिसे चिटफंड के मौजूदा कानूनी, विनियामक और संस्थागत फ्रेमवर्क की समीक्षा कर इसे सुचारु करने के लिए सुझाव देने को कहा गया था.
इस एडवायजरी ग्रुप ने चिटफंड कारोबार के विकास के लिए इसके विनियामक संबंधी बोझ को कम करने और ग्राहकों के हितों की रक्षा करने के लिए संस्थागत और कानूनी संरचना में सुधार को लेकर अपनी सिफारिशें दी हैं.
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