अयोध्या केस: मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा- मुझे FB पर मिली धमकी
मुस्लिम पक्षकारों के वकील ने अदालत में कहा, सुनवाई के लिए सही माहौल नहीं है.
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नई दिल्ली: अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले की सुनवाई के 22वें दिन मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने शीर्ष अदालत में कहा कि उनको फेसबुक पर एक मैसज के जरिए धमकी मिली. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या आप सुरक्षा चाहते हैं? तो राजीव धवन ने इनकार कर दिया. गुरुवार को धवन ने सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर से धमकी मिलने का जिक्र करते हुए कहा, ''मुझे फेसबुक पर एक मैसेज मिला, जिसमें लिखा है कि अभी आप कोर्ट में हो, जब कोर्ट में नहीं होंगे तो तुम्हें देख लेंगे.''
मुस्लिम पक्षकारों के वकील ने अदालत में आगे कहा, ''सुनवाई के लिए सही माहौल नहीं है. उत्तर प्रदेश के एक मंत्री कहते हैं कि अयोध्या की ज़मीन हमारी और सुप्रीम कोर्ट भी हमारा है. मेरे दफ्तर के क्लर्क को दूसरे क्लर्क ने धमकी दी है.
इस पर कोर्ट ने कहा कि आपकी सुरक्षा के लिए हम आदेश जारी कर देते हैं. इसको लेकर धवन ने कहा कि मुझे किसी भी प्रकार की सुरक्षा नहीं चाहिए, माहौल बहस का नहीं है. हम बार-बार अवमानना नही दाखिल कर सकते. इस पर अदालत ने कहा, ''आप बिना प्रभावित हुए बहस करिए.''
वकील राजीव धवन ने कहा कि एक ट्रस्ट या ट्रस्टी के विपरीत शेबेट शीर्षक का दावा नहीं कर सकता, वह कहते हैं कि 1934 के बाद से मुस्लिम ने वहां पर प्रवेश नहीं किया, लेकिन जब आप उन्हें प्रवेश नहीं करने देंगे तो वे कैसे प्रवेश करेंगे. सुप्रीम कोर्ट की बेंच लंच के लिए उठी. लंच के बाद 2 बजे मामले की सुनवाई फिर शुरू होगी.
लंच के बाद शुरू हुई सुनवाई में अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि निर्मोही अखड़ा पूर्व परिपक्व कब्ज़ा मांग रहे हैं, मैं अब उनकी इस मांग से परेशान हो चुका हूं.
डीवाई चन्द्रचूड़ ने कहा कि निर्मोही अखाड़े द्वारा प्रस्तुत वाद के चलाए जाने की योग्यता के बारे में प्रश्न उठाया जा सकता है. धवन ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा किस बात को चुनौती दे रहे थे, वह क्या चाहते थे, लेकिन इस मसले को उठाना मेरे लिए सही नहीं होगा.
राजीव धवन ने कहा कि निर्मोही मामले में जो साक्ष्य और गवाही पर्याप्त नहीं है. धवन ने कहा कि आप अवैधता के लिए कोई कार्रवाई नहीं कर सकते और उससे लाभ देने की कोशिश नहीं कर सकते, भले ही आप अवैधता पैदा न करें, फिर भी आप उस पर विश्वास नहीं कर सकते.
दरअसल, बुधवार को राजीव धवन ने हिंदू पक्ष के दावे पर सवाल उठाते हुए कहा था कि क्या रामलला विराजमान कह सकते हैं कि उस जमीन पर मालिकाना हक़ उनका है? नहीं, उनका मालिकाना हक़ कभी नहीं रहा है. राजीव धवन ने कहा था कि दिसंबर 1949 में गैरकानूनी तरीके से इमारत में मूर्ति रखी गई. इसे जारी नहीं रखा जा सकता.