अयोध्या केस LIVE: मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा, 'मूर्तियों को विवादित ढांचे में रखा गया था'
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अयोध्या केस LIVE: मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा, 'मूर्तियों को विवादित ढांचे में रखा गया था'

बुधवार को 19वें दिन की सुनवाई में वकील राजीव धवन ने कहा था कि विवादित ज़मीन के एक हिस्से में निर्मोही अखाड़ा पूजा करता था. ज़मीन के एक हिस्से में अखाड़ा को पूजा करने का अधिकार है.  राजीव धवन के ऐसा कहने पर सुनवाई करने वाले जजों ने कई सवाल पूछे थे.

अयोध्या केस LIVE: मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा, 'मूर्तियों को विवादित ढांचे में रखा गया था'

नई दिल्लीः अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 20वें दिन की सुनवाई शुरू.इससे पहले बुधवार को 19वें दिन की सुनवाई में वकील राजीव धवन ने कहा था कि विवादित ज़मीन के एक हिस्से में निर्मोही अखाड़ा पूजा करता था. ज़मीन के एक हिस्से में अखाड़ा का पूजा करने को अधिकार है. राजीव धवन के ऐसा कहने पर सुनवाई करने वाले जजों ने कई सवाल पूछे थे.आज (गुरुवार) 20वें दिन की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन की ओर से बहस शुरू की गई.

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- लंच ब्रेक, दोपहर 2 बजे फिर शुरू होगी सुनवाई..

मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन की ओर से बहस शुरू की, राजीव धवन ने राजा राम पांडे और सत्य नारायण त्रिपाठी के बयान में विरोधभास के बारे में सुप्रीम कोर्ट को बताया. धवन ने कहा कि ऐसा लगता है कि कई गवाहों के बयान को प्रभावित किया गया. एक गवाह के बारे के बताते हुए धवन ने कहा कि उसने 14 साल की उम्र में RSS ज्वाइन किया था, बाद में RSS और VHP ने उसको सम्मानित भी किया. धवन ने एक गवाह के बारे में बताते हुए कहा कि गवाह ने 200 से अधिक मामलों में गवाही दी है और विश्वास करता है कि एक झूठ बोलने में कोई नुकसान नही है, जब मंदिर की ज़मीन ज़बरदस्ती छीनी गई है.

वकील राजीव धवन ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा 1734 से अस्तित्व का दावा कर रहे हैं. मैं कह सकता हूं कि निर्मोही अखाड़ा 1855 में बाहरी आंगन थे और वह वहां रहे हैं. राम चबूतरा बाहरी आंगन में है जिसे राम जन्म स्थल के रूप में जाना जाता है और मस्जिद को विवादित स्थल माना जाता है. धवन ने निर्मोही अखाड़ के गवाहों के दर्ज बयानों पर जिरह करते हुए महंत भास्कर दास के बयान का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने माना कि मूर्तियों को विवादग्रस्त ढांचे में रखा गया था. राजीव धवन ने श्री के. के. नायर और गुरु दत्त सिंह,डीएम और सिटी मैजिस्ट्रेट की 1949 की तस्वीरों को कोर्ट को दिखाया.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इन विरोधाभासों के बावजूद भी आप यह मान रहे है. उन्होंने अपनी शेबाइटी के अधिकार स्थापित कर लिए हैं. राजीव धवन ने कहा कि मैं उनको झूठा नहीं कह रहा हूं लेकिन में यह समझना चाह रहा हैं कि वह खुद को शेबेटा तो बता है लेकिन उनको नही मालूम की कब से शेबेट (देवता की सेवा करने वाला) है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर आप निर्मोही अखाड़ा के अस्तित्व को मान रहे है तो उनके संपूर्ण साक्ष्य को स्वीकार किया जाएगा. राजीव धवन ने कहा कि कुछ कहते हैं कि 700 साल पहले, कुछ उससे भी पहले का मानते हैं. मैं निर्मोही अखाड़ा की उपस्थिति 1855 से मानता हूं, 1885 में महंत रघुवर दास ने मुकदमा दायर किया, हम 22-23 दिसंबर, 1949 के बयान पर बात कर रहे हैं.

बुधवार (4 सितंबर) को सबसे पहला सवाल जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने पूछा था कि अगर ज़मीन के एक हिस्से में निर्मोही अखाड़ा के पूजा करने का अधिकार है तो फिर देवता का भी अधिकार हो जाता है और देवता का अधिकार पूरे ज़मीन पर हो सकता है.

पूजा के अधिकार से ज़्यादा अधिकार देवता का होता है. इस बात का धवन ने कोई ठोस जवाब ना देते हुए कहा कि सवाल ये है कि पूजा का अधिकार ज़मीन के किस हिस्से पर है.जस्टिस अब्दुल नज़ीर ने फिर पूछा था कि क्या आपको निर्मोही अखाड़ा के पूजा के अधिकार से कोई आपत्ति नहीं है.इसपर धवन ने कहा था कि कोई आपत्ति नहीं है.जस्टिस अशोक भूषण ने कहा था कि यानी आप मान रहे हैं कि उस विवादित ज़मीन पर मंदिर और मस्जिद दोनों एक साथ मौजूद थे.धवन ने फिर समझाया था कि दरअसल मस्जिद का एक बाहरी हिस्सा है जहां राम चबूतरा स्थित था.

राम चबूतरा के आगे एक दरवाजा हुआ करता था जहां से लोग मस्जिद में नमाज़ पढ़ने जाया करते थे.राम चबूतरा का जो हिस्सा है वहां निर्मोही अखाड़ा को पूजा का अधिकार है. लेकिन पूरे विवादित ज़मीन पर मालिकाना हक नहीं है.पूरे ज़मीन पर मुस्लिम पक्षकारों का ही मालिकाना हक है.हां ये ज़रूर है कि राम चबूतरा पर निर्मोही अखाड़ा पूजा कर सकता है.धवन ने कहा था कि ये समझना होगा कि पूजा का अधिकार और ज़मनीन का मालिकाना हक दोनों अलग अलग चीज है. निर्मोही अखाड़ा को राम चबूतरा पर पूजा का अधिकार हो सकता है लेकिन मालिकाना हक नहीं है.

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