सुप्रीमकोर्ट में 31वें दिन की सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ़ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी (Zafaryab Jilani) ने कोर्ट में सफाई दी कि बोर्ड ने यह स्वीकार नहीं किया है कि राम चबूतरा (Ram Chabutra) भगवान राम का जन्म स्थान है. उन्होंने कहा कि यह हिंदुओं का विश्वास है और ऐसा कोर्ट ने कहा था.
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नई दिल्ली: अयोध्या (Ayodhya) में राम जन्मभूमि (Ram Janmabhoomi) बनाम बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) में सुप्रीमकोर्ट में 31वें दिन की सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ़ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी (Zafaryab Jilani) ने कोर्ट में सफाई दी कि बोर्ड ने यह स्वीकार नहीं किया है कि राम चबूतरा (Ram Chabutra) भगवान राम का जन्म स्थान है. उन्होंने कहा कि यह हिंदुओं का विश्वास है और ऐसा कोर्ट ने कहा था. वकील जिलानी ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने यह कतई स्वीकार नहीं किया है कि राम चबूतरा (Ram Chabutra) भगवान राम का जन्म स्थान है. हमारा कहना यह है कि यह हिंदुओं का विश्वास है और जिला जज की इस मामले में ऑब्जरवेशन के बाद हमने इस संदर्भ में कोई कदम नहीं उठाया. जज ने कहा था कि ये राम चबूतरा (Ram Chabutra) भगवान राम का जन्मस्थान है. हमने कभी अपनी ओर से नहीं कहा कि ये जन्मस्थान है.
मंगलवार को 30वें दिन की सुनवाई के दौरान जफरयाब जिलानी (Zafaryab Jilani) ने कोर्ट में कहा था कि राम चबूतरा (Ram Chabutra) राम का जन्मस्थान है और इसपर उन्हें कोई ऐतराज नहीं है. जिलानी ने कहा कि मंगलवार को हमने यह नहीं कहा कि 'राम चबूतरा (Ram Chabutra) जन्मस्थान है' हमने कहा था कि 1886 में फैजाबाद कोर्ट के जज ने कहा था कि 'राम चबूतरा (Ram Chabutra)' भगवान राम का जन्मस्थान है. हमने उस फैसले को कभी चुनौती नहीं दी. हमने अपनी ओर से नहीं कहा कि ये जन्मस्थान है.
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जस्टिस अशोक भूषण ने जिलानी से विवादित जगह को श्रीराम जन्मस्थान मानने को लेकर दिए गए बयानों को लेकर सवाल पूछे. जिलानी ने जवाब में कहा कि आप सैकड़ों पेज के इन गवाहियों को समग्र रूप में देखें. एक-दो लाइन को लेकर आप कोई राय नहीं बना सकते.
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जिलानी ने कहा कि 1989 से पहले मध्य गुंबद के नीचे की जगह को कभी श्रीराम का जन्मस्थान नहीं माना गया. 1950 से लेकर 1989 तक इस दावे के समर्थन में हिंदू पक्ष की ओर से कोई मुकदमा दायर नहीं हुआ. जिलानी ने कहा कि 1950 से 1989 के दौर से पहले जन्मस्थान को लेकर यह विवाद नहीं था कि वह मस्जिद के भीतर है.
जफरयाब जिलानी (Zafaryab Jilani) ने कहा कि बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) में पहला गैर हिन्दू का प्रवेश 1858 में हुआ जब एक सिख व्यक्ति ने अंदर के हिस्से में झंडा लगा दिया था. जस्टिस बोबडे ने कहा, 'सिख भी भगवान राम को मानते थे. उनके उपदेशों में भी राम का वर्णन है.'
मुस्लिम पक्ष की ओर से एक और वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने दलीलें शुरू की. मीनाक्षी अरोड़ा ने हिंदू पक्ष के द्वारा जन्मस्थान को लेकर पुरातात्विक सबूतों (ASI)को नकारते हुए कहा कि पुरातत्व विज्ञान, भौतिकी और रसायन की तरह विज्ञान नहीं है. यह एक सामाजिक विज्ञान है और इसपर भरोसा नहीं किया जा सकता.
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