इस बीच सीएम योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या विवाद के मसले पर बड़ा बयान देते हुए कहा है कि अब इस मसले पर बातचीत का कोई मतलब नजर नहीं आ रहा क्योंकि बहुत देर हो गई है.
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नई दिल्ली: श्री श्री रविशंकर ने अयोध्या विवाद के समाधान की पेशकश के साथ गुरुवार को अयोध्या में सभी पक्षकारों से मुलाकात की. श्री श्री रविशंकर ने सभी पक्षों से मुलाकात के बाद कहा कि एक बार पास होने के लिए 100 बार फेल होने के लिए वह तैयार हैं. इसके साथ ही कहा कि अयोध्या विवाद के समाधान के लिए आशान्वित हैं. इस पर बीजेपी के पूर्व सांसद राम विलास वेदांती ने सख्त ऐतराज जताते हुए कहा है, ''श्री श्री रविशंकर मध्यस्थता करने वाले कौन हैं? उनको अपना एनजीओ चलाना चाहिए और विदेशी फंड को जमा करना चाहिए. मेरा मानना है कि उन्होंने अकूत संपत्ति अर्जित कर ली है और उस जांच से बचने के लिए राम मंदिर मुद्दे में कूद पड़े हैं.'' डॉ. रामविलास दास वेदांती ने कहा कि श्री श्री रविशंकर को इस मामले में नहीं पड़ना चाहिए. वह चाहते हैं कि मंदिर और मस्जिद एक साथ बने, लेकिन उनका फॉर्मूला हमें मंजूर नहीं. वे अपने फायदे के लिए अयोध्या आ रहे हैं. हम श्री श्री रविशंकर से मिलने नहीं जाएंगे.
इस बीच सीएम योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या विवाद के मसले पर बड़ा बयान देते हुए कहा है कि अब इस मसले पर बातचीत का कोई मतलब नजर नहीं आ रहा क्योंकि बहुत देर हो गई है. 5 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होने वाली है. इससे पहले बुधवार को श्री श्री रविशंकर ने लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी. मुलाकात के दौरान अयोध्या में राम मंदिर मुद्दे पर चर्चा की गई.
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Who is Sri Sri Ravi Shankar to mediate? He should continue running his NGO & hoarding foreign funds, I believe he has amassed a lot of wealth & to avoid a probe he has jumped into #RamTemple issue: Former BJP MP Ram Vilas Vedanti pic.twitter.com/OovKekDhW9
— ANI UP (@ANINewsUP) November 16, 2017
वहीं, मुस्लिम संगठनों ने अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का हल आपसी बातचीत के माध्यम से निकालने को लेकर श्री श्री रविशंकर के प्रयासों से ज्यादा उम्मीद ना लगाते हुए कहा कि हिन्दू आध्यात्मिक गुरू पहले अपना फॉर्मूला पेश करें, तभी बात आगे बढ़ सकती है. इन संगठनों ने विवाद को लेकर शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी की सक्रियता और उनके दावों को गैरजरूरी बताते हुए कहा कि उन्हें इस मसले पर फैसला करने का कोई हक नहीं है.
मुस्लिम संगठनों ने अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का हल आपसी बातचीत के माध्यम से निकालने को लेकर श्री श्री रविशंकर के प्रयासों से ज्यादा उम्मीद ना लगाते हुए कहा कि हिन्दू आध्यात्मिक गुरु पहले अपना फॉर्मूला पेश करें, तभी बात आगे बढ़ सकती है. इन संगठनों ने विवाद को लेकर शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी की सक्रियता और उनके दावों को गैरजरूरी बताते हुए कहा कि उन्हें इस मसले पर फैसला करने का कोई हक नहीं है.
ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने कहा कि उन्होंने मुस्लिम पक्ष की रहनुमाई कर रहे ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के शीर्ष नेतृत्व से ही अब तक कोई संपर्क नहीं किया. उन्होंने कहा कि रविशंकर ने करीब 12 साल पहले भी ऐसी पहल करते हुए यह नतीजा निकाला था कि विवादित स्थल हिंदुओं को सौंप दिया जाए. अब वह कौन सा फॉर्मूला लेकर आये हैं, यह तो वही बताएंगे. इस बीच बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जीलानी ने रविशंकर के प्रयासों पर कहा कि उनके सामने संभवतया ऐसा माहौल बनाया गया, कि जैसे सभी पक्ष बातचीत को तैयार हैं.
विहिप का विरोध
मगर अब विहिप ने ही उनका विरोध शुरू कर दिया है. हालांकि उन्होंने कहा कि अगर रविशंकर के पास मुसलमानों की विवादित स्थल से बेदखली के अलावा कोई और प्रस्ताव हो तो पेश करे. अगर वह इस लायक होगा तो कमेटी की बैठक बुलाई जाएगी. शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी द्वारा विवादित स्थल पर मंदिर ही बनाये जाने के एलान पर रहमानी ने कहा कि किसी भी बोर्ड के अध्यक्ष को कोई विवादित स्थल किसी पक्ष के हाथ में सौंपने का कोई हक नहीं है. अगर तर्क यह है कि बाबरी मस्जिद का निर्माण कराने वाले मीर बाकी शिया थे तो उन्होंने बाबरी मस्जिद का निर्माण सभी मुसलमानों के लिये किया था. शिया या सुन्नी के लिये नहीं. इस बीच, शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी द्वारा अयोध्या विवाद मामले में किये जा रहे फैसलों पर टिप्पणी से इनकार किया लेकिन कहा कि इस मसले पर उनका बोर्ड ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ है.
उन्होंने कहा कि जहां तक श्री श्री रविशंकर की मध्यस्थता का सवाल है तो वह चाहेंगे कि यह आध्यात्मिक गुरु अपना फॉर्मूला पेश करें. शिया पर्सनल लॉ बोर्ड उसे अपनी कार्यकारिणी के सामने रखकर विचार करेगा.