Jauhar Ali Trust Hearing: समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान के लिए आज बड़ा दिन है. दरअसल, आजम खान (Azam Khan) के मौलाना जौहर अली ट्रस्ट की याचिका पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है. बता दें कि रामपुर पब्लिक स्कूल की लीज खत्म किए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर आज सुनवाई होगी. पिछली सुनवाई पर हाईकोर्ट में यूपी सरकार के वकील ने लीज का रिकॉर्ड पेश किया था. ट्रस्ट की तरफ से पेश वकीलों ने लीज रिकॉर्ड का अवलोकन के लिए समय की मांग की थी.


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क्या नियमों को ताक पर रखकर खत्म हुई लीज?


जान लें कि हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई के लिए 11 दिसंबर को दोपहर 2 बजे का समय तय किया है. जौहर ट्रस्ट के वकीलों ने लीज खत्म किए जाने के फैसले को गैर कानूनी बताया है. नियमों को ताक पर रखकर लीज खत्म किए जाने का आरोप लगाया है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस की डिविजन बेंच मामले में सुनवाई कर रही है.


जनवरी में खत्म हो गई थी लीज


बता दें कि जनवरी 2023 में जौहर ट्रस्ट से जुड़े रामपुर पब्लिक स्कूल के भवन की लीज खत्म हो गई थी. जिला प्रशासन की तरफ से लीज की जमीन खाली करने का आदेश दिया गया है. लीज का भवन खाली नहीं होने के चलते जिला प्रशासन ने स्कूल के परिसर को सील कर दिया. जौहर ट्रस्ट की कार्यकारी समिति ने रामपुर जिला प्रशासन के इसी फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है.


जौहर अली ट्रस्ट के खिलाफ एक्शन


बता दें कि 10 नवंबर को आजम खान के मुहम्‍मद जौहर अली ट्रस्ट की तरफ से चलने वाले रामपुर पब्लिक स्‍कूल को प्रशासन ने अपने कब्जे में ले लिया था. प्रशासन ने उसे सील कर दिया था. प्रशासन की तरफ से मौलाना मुहम्मद अली जौहर ट्रस्ट के कब्जे वाली एक बिल्डिंग खाली करने का नोटिस 2 नवंबर को जारी किया था.


क्या है पूरा मामला?


इससे पहले 31 अक्टूबर को यूपी कैबिनेट ने मुहम्‍मद अली जौहर ट्रस्ट को लीज पर दी गई 41 हजार स्क्वायर फुट से ज्यादा की जमीन का स्वामित्व वापस लेने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. बता दें कि रामपुर किले के पास स्थित पुराने मुर्तजा स्कूल की बिल्डिंग में पहले डीआईओएस का दफ्तर हुआ करता था.


आरोप है कि समाजवादी पार्टी सरकार में मोहम्मद आजम खान ने मंत्री रहते इसे मुहम्मद अली जौहर ट्रस्ट के नाम 100 रुपये प्रति वर्ष की दर पर आवंटित कर लिया था. इस बिल्डिंग में रामपुर पब्लिक स्कूल के नाम से जौहर ट्रस्ट एक स्कूल चला रहा था. साथ ही इसे लगा हुआ दारुल अवाम के नाम से आजम खान का दफ्तर था, जिसमें उनकी पॉलिटिकल एक्टिविटीज होती थीं.