उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को उस याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रखा जिसमें बाबरी मस्जिद ढहाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती सहित वरिष्ठ भाजपा नेताओं के खिलाफ साजिश के आरोप बहाल करने की मांग की गई है.
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नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को उस याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रखा जिसमें बाबरी मस्जिद ढहाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती सहित वरिष्ठ भाजपा नेताओं के खिलाफ साजिश के आरोप बहाल करने की मांग की गई है.
शीर्ष अदालत इस बारे में भी फैसला करेगी कि वीवीआईपी आरोपियों के खिलाफ सुनवाई रायबरेली की एक अदालत से लखनउ स्थानान्तरित की जा सकती है या नहीं.
छह दिसंबर 1992 से जुड़े दो मामले
छह दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिराने से संबंधित दो तरह के मामले हैं. पहला अज्ञात ‘कारसेवकों’ से जुड़ा है जिसमें सुनवाई लखनउ की एक अदालत में चल रही है जबकि दूसरी तरह के मामले रायबरेली की एक अदालत में वीवीआईपी से संबंधित हैं.
रायबरेली से लखनउ की अदालत में भेजा जा सकता है मामला
न्यायमूर्ति पीसी घोष और न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की पीठ ने यह भी संकेत दिये कि वे सुनवाई रायबरेली से लखनउ की एक अदालत में स्थानान्तरित करके दोनों तरह के मामलों की संयुक्त सुनवाई करने का आदेश दे सकते हैं.
पीठ ने कहा कि चूंकि 25 साल गुजर चुके हैं, न्याय के हित में वह रोजाना समयबद्ध तरीके से सुनवाई का आदेश देने पर विचार करेगी ताकि इसे दो साल के भीतर पूरा करने का प्रयास हो.