शिवसेना ने बीजेपी पर फिर किया प्रहार, कहा- मांझी का समर्थन करना पाप
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शिवसेना ने बीजेपी पर फिर किया प्रहार, कहा- मांझी का समर्थन करना पाप

सहयोगी भाजपा पर एक और प्रहार करते हुए शिवसेना ने बिहार के मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी का समर्थन करने के मुद्दे पर तंज कसते हुए कहा है कि उनकी हिमायत करना एक पाप होगा क्योंकि यह ‘राजनीति में काले युग’ को समर्थन देना होगा।

शिवसेना ने बीजेपी पर फिर किया प्रहार, कहा- मांझी का समर्थन करना पाप

मुंबई : सहयोगी भाजपा पर एक और प्रहार करते हुए शिवसेना ने बिहार के मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी का समर्थन करने के मुद्दे पर तंज कसते हुए कहा है कि उनकी हिमायत करना एक पाप होगा क्योंकि यह ‘राजनीति में काले युग’ को समर्थन देना होगा।

शिवसेना ने मुखपत्र सामना में एक संपादकीय में कहा है कि किसी को भी अपने राजनीतिक हित के लिए ऐसे पाप में शामिल नहीं होना चाहिए जो सार्वजनिक रूप से कमिशन लेने की बात स्वीकार करता हो। इसमें कहा गया है कि नीतीश कुमार को 130 विधायकों का समर्थन है और इसके बाद भी मांझी भाजपा का समर्थन पाने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा मांझी को नीतीश कुमार के खिलाफ खड़ा कर रही है। भाजपा पर शिवसेना का यह ताजा हमला ऐसे वक्त हुआ है जब दो दिन पहले ही बारामती में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शरद पवार की मुलाकात हुई थी। पिछले वर्ष 15 अक्तूबर को विधानसभा चुनावों में भाजपा के सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरने के बाद राकांपा ने उसे बिना शर्त समर्थन देने का एलान किया था।

इससे पहले शिवसेना ने कहा था कि दिल्ली चुनावों में आप ने ‘झाड़ू चला’ भाजपा को कूड़े में फेंक दिया। शिवसेना ने कहा कि बिहार की राजनीति में फिलहाल जो चल रहा है उसे किसी को उचित नहीं ठहराना चाहिए। शिवसेना ने कहा है कि मांझी ने कहा है कि विकास कार्यों के लिए उन्हें कमीशन मिला। उन्होंने जो कहा है राजनीति में वह एक तथ्य है। एक मुख्यमंत्री जो स्वीकार करता है कि उसे कमीशन मिला वह भाजपा के समर्थन से विधानसभा में बहुमत पाने की कोशिश कर रहा है। शिवसेना ने कहा है कि मांझी ने सरकारी निविदा प्रक्रिया में दलितों और महादलितों को आरक्षण की घोषणा कर अपनी सीमा लांघ दी है। मांझी ने एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा था कि इंजीनियर और तकनीकीकर्मी पुल निर्माण परियोजनाओं की कीमत बढ़ाकर दिखाते हैं और ठेकेदारों तथा मुझे भी कुछ हिस्सा मिलता है।

बाद में उन्होंने कहा कि उच्च स्तर पर धन के इस्तेमाल को रेखांकित करने के लिए उन्होंने प्रतीकात्मक रूप से यह बात कही थी लेकिन हकीकत में उन्होंने मुख्यमंत्री के तौर पर धन नहीं लिया। सुलह के बावजूद, तीखे आरोप प्रत्यारोप भाजपा और शिवसेना के बीच के संबंधों में व्याप्त कटुता दिखाते हैं।

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