वैशाखी अमावस्या: पितृ दोष और काल सर्प दोष से मिलेगी मुक्ति, पितरों के लिए जरूर करें ये काम
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वैशाखी अमावस्या: पितृ दोष और काल सर्प दोष से मिलेगी मुक्ति, पितरों के लिए जरूर करें ये काम

वैशाखी अमावस्या (Baisakhi Amavasya 2020) का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है. चूंकि ये अमावस्या वैशाख माह में पड़ती है इसलिए भी इसे वैशाखी अमावस्या कहा जाता है.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: वैशाखी अमावस्या (Baisakhi Amavasya 2020) का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है. चूंकि ये अमावस्या वैशाख माह में पड़ती है इसलिए भी इसे वैशाखी अमावस्या कहा जाता है. इस बार ये अमावस्या 22 और 23 अप्रैल को मनाई जा रही है. दरअसल 22 अप्रैल को पितृकार्य पूरे किए जाएंगे और 23 अप्रैल को देवकार्य पूजन किया जाएगा. हिंदू धर्म में वैशाख मास इसलिए भी बहुत पवित्र माना जाता है क्योंकि ये धारणा है कि त्रेतायुग इसी माह में शुरू हुआ था. 

  1. वैशाखी अमावस्या का हिंदू धर्म में है महत्व
  2. 22 और 23 अप्रैल को मनाई जाएगी अमावस्या
  3. पूजन करने से पितृ दोष और काल सर्प दोष से भी मुक्ति मिलेगी

इस अमावस्या के दिन पूजन करने से पितृ दोष और काल सर्प दोष से भी मुक्ति मिलती है. खास तौर पर इस अमावस्या को व्रत इसलिए रखा जाता है जिससे हमारे पितृ मोक्ष पाएं और हमारे पूजन-दान से प्रसन्न होकर हमें आशीर्वाद दें. 

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इस दिन स्नान वगैरह करने के बाद जल में काले तिल मिलाकर पितरों का तर्पण किया जाता है. इसके बाद गरीबों को दान और भोजन कराया जाता है. सुबह के समय पीपल के पेड़ पर मीठा जल और  दिन के आखिर में सरसों के तेल का दीपक जलाया जाता है. वैशाखी अमावस्या इसलिए भी प्रमुख है क्योंकि तर्पण के अलावा इस दिन पिंडदान भी किया जाता है. विष्णु पुराण में कहा गया है कि गया में पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिलता है और वे स्वर्ग के अधिकारी होते हैं. 

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