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'हम तो गुलाम हैं...', कड़ी मेहनत के बाद मिली सरकारी नौकरी, अब क्यों कर्मचारी बोला- ये बुरे सपने जैसा है?

Viral News: रेडिट पर एक बैंक कर्मचारी की पोस्ट काफी ज्यादा वायरल हो रही है. ये पोस्ट भारतीय युवा के दिलों तक पहुंच गई जो सरकारी नौकरी को स्थिरता की तरह देखते हैं. जानिए उसने क्या कुछ लिखा?

'हम तो गुलाम हैं...', कड़ी मेहनत के बाद मिली सरकारी नौकरी, अब क्यों कर्मचारी बोला- ये बुरे सपने जैसा है?

Viral News: अक्सर देखा जाता है कि लोग अपने काम वजह से बेहद परेशान रहते हैं, आपके वर्कप्लेस पर आपके आस-पास बहुत सारे ऐसे लोग मिल सकते हैं. ऐसे ही एक स्टोरी से हम आपको रूबरू कराने जा रहे हैं, एक बैंक कर्मचारी ने रेडिट पर एक पोस्ट लिखी और अपनी नौकरी में आने वाली दिक्कतों के बारे में बात की. उसकी ये पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और भारतीय युवा के दिलों तक पहुंच गई जो सरकारी नौकरी को स्थिरता की तरह देखते हैं. जानिए उसने क्या कुछ लिखा. 

पूरी पीढ़ी का दिया गया मिथक है...
नौ महीने से एक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में काम कर रहे इस कर्मचारी ने दावा किया है कि सरकारी बैंकिंग नौकरी सुरक्षित और आसान होने का विचार एक पूरी पीढ़ी को दिया गया एक मिथक है. हमारे माता-पिता, रिश्तेदार, हर कोई वे सरकारी बैंक की नौकरी को अंतिम लक्ष्य जैसा बना देते हैं. वो कहते हैं कि ये 'सुरक्षित', 'सम्मानजनक', 'आसान' है. मैंने इसके लिए बहुत मेहनत की और जब मैं इसमें शामिल हुआ, तो मेरे परिवार को बहुत गर्व हुआ, न तो ग्राहकों की ओर से और न ही प्रबंधन की ओर से कोई सम्मान है. उसने अपने पोस्ट में लिखा कि हम प्रबंधन के लिए, हम गुलाम हैं. 

ये मूर्खता है...
इसके अलावा लिखा कि ग्रामीण शाखाओं में भी अधिकारियों से अक्सर क्रेडिट कार्ड, बीमा और ऋण बेचने की अपेक्षा की जाती है, और व्यावहारिकता पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता. वे चाहते हैं कि हम बीमा, क्रेडिट कार्ड, ऋण बेचें, मानो, मैं बैंकर हूं, रेहड़ी-पटरी वाला नहीं. दबाव लगातार बना रहता है. ग्रामीण शाखा को हर दिन एक करोड़ की एफडी करने के लिए कहना मूर्खता है. 

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ज्यादा करना पड़ता है काम
ऑफिस में लोगों की कमी को रूबरू कराते हुए कहा कि हम तीन लोग छह लोगों का काम कर रहे हैं. आप बाथरूम भी नहीं जा सकते, बिना किसी के गुस्साए. आगे बताया कि कैसे उन्हें तेज़ बुखार होने के बावजूद रात 9 बजे तक काम करने के लिए मजबूर किया जाता था, और फिर कहा जाता था, 'हम सब 10 बजे तक काम करते हैं, तुम शिकायत क्यों कर रहे हो? आगे लिखा कि वे अक्सर नौकरी की सुरक्षा के भ्रम में फंसे हुए महसूस करते हैं, क्योंकि सरकारी नौकरी छोड़ने को अक्सर परिवार और समाज नकारात्मक रूप से देखते हैं.

नौकरी छोड़ने पर कही ये बात
मैं हर रात यह सोचकर सोता हूं, 'मुझे बस नौकरी छोड़ देनी चाहिए लेकिन फिर आपको याद आता है कि यह एक सरकारी नौकरी है, और हर कोई आपको नौकरी छोड़ने के बारे में सोचने पर भी पागल कहता है. मैंने इसके लिए कड़ी मेहनत की है ताकि एक अच्छा जीवन जी सकूं - हर दिन मरने के लिए नहीं. उसकी इस पोस्ट पर एक यूजर्स ने कमेंट करते हुए लिखा कि छोड़ दो, जो ठीक लगे वो करो और बाद में मुझे शुक्रिया अदा करो क्योंकि हमने भी नौकरी छोड़ी है.

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Abhinaw Tripathi

जी न्यूज में न्यूज डेस्क पर बतौर सब एडिटर कार्यरत. देश- विदेश की खबरों को सरल भाषा में लिखते हैं. साहित्य और राजनीति में विशेष दिलचस्पी. यूपी के सुल्तानपुर जिले से ग्रेजुएशन, महात्मा गांधी काशी विद...और पढ़ें

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