CHRA ने सरकार से की मांग- ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने से पहले कर लें रिसर्च
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CHRA ने सरकार से की मांग- ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने से पहले कर लें रिसर्च

ई-सिगरेट जैसी सामग्री की पैरवी करने वाले संगठन सीएचआरए और एवीआई ने इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन आपूर्ति तंत्र (इंड्स) पर प्रतिबंध नहीं लगाने की अपील करते हुए कहा है कि इससे धूम्रपान करने वाले लाखों लोग सुरक्षित विकल्प से वंचित हो जाएंगे. 

दुनिया भर में धूम्रपान संबंधी मौत की मुख्य वजह सिगरेट जलने से पैदा होने वाला जहरीला रसायन और टार है.(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: ई-सिगरेट जैसी सामग्री की पैरवी करने वाले संगठन सीएचआरए और एवीआई ने इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन आपूर्ति तंत्र (इंड्स) पर प्रतिबंध नहीं लगाने की अपील करते हुए कहा है कि इससे धूम्रपान करने वाले लाखों लोग सुरक्षित विकल्प से वंचित हो जाएंगे और लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है. काउंसिल फोर हार्म रिड्यूस्ड आल्टरनेटिव (सीएचआरए) और एसोसिएशन ऑफ वेपर्स इंडिया (एवीआई) ने मांग की है कि सरकार इंड्स और वेपर्स पर प्रतिबंध लगाने के पहले साक्ष्य आधारित अध्ययन करा ले.संगठन ने कहा है कि ई-सिगरेट, तंबाकू सिगरेट की तुलना में कम नुकसानदेह है और निकोटीन की लत से भी छुटकारा दिलाती है.

साथ ही कहा गया है कि वेपिंग से आसपास के लोगों को पैसिव स्मोकिंग की तुलना में कम खतरा होता है. सीएचआरए के निदेशक सम्राट चौधरी ने कहा कि अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन जैसे देशों में ई-सिगरेट के इस्तेमाल के लिए नियामक अनुमति से सकारात्मक परिणाम आया.  हालिया वर्षों में इन देशों में धूम्रपान की दर में गिरावट आयी है. एवीआई ने कहा कि दुनिया भर में धूम्रपान संबंधी मौत की मुख्य वजह सिगरेट जलने से पैदा होने वाला जहरीला रसायन और टार है, निकोटीन नहीं. 

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WHO का दावा: ई-सिगरेट से निकलता है निकोटीन, स्वास्थ्य के लिए हानिकारक
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ई-सिगरेट के स्वास्थ्य संबंधी खतरों पर सभी राज्यों को परामर्श जारी करने की योजना बना रहा है. हालांकि इस बात को लेकर अभी असमंजस बरकरार है कि किन कानूनी प्रावधानों के तहत इसे प्रतिबंधित किया जाना चाहिए. परामर्श में इस बात का उल्लेख है कि ई-सिगरेट, इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम्स (ईएनडीएस), निकोटीन और सुगंध वाले या फ्लेवर्ड हुक्का सेहत के लिए अत्यंत नुकसानदेह हैं और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने किसी स्वरूप में इन्हें मंजूरी नहीं दी है. एक विशेषज्ञ समूह की सिफारिशों के अनुसार नॉनथैरेपॉटिक निकोटीन के किसी सत्च या निचोड़ या इसके रासायनिक स्वरूप का और ई-सिगरेट का किसी भी तरह आयात, उत्पादन, वितरण, बिक्री और ऑनलाइन प्रचार समेत विज्ञापन आदि गैरकानूनी हैं और मौजूदा कानूनों का उल्लंघन हैं.

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘जनता को परामर्श दिया जाएगा कि वे अपने खुद के हित में इस तरह के किसी उत्पाद का किसी भी स्वरूप में और किसी भी नाम या ब्रांड से इस्तेमाल, बिक्री या मार्केटिंग नहीं करें.’’अधिकारी के अनुसार स्वास्थ्य मंत्रालय इस बात को लेकर असमंजस में है कि ई-सिगरेट को सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा) के तहत प्रतिबंधित किया जाए या ड्रग्स और कॉस्मेटिक्स कानून, 1940 अथवा विषैले पदार्थ अधिनियम, 1919 के तहत इन पर पाबंदी लगाई जाए.

इनपुट भाषा से भी 

 

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