यह घटना उस वक्त घटी जब प्रधान न्यायाधीश (CJI) और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ वकीलों द्वारा उल्लेख किए जा रहे मामलों की सुनवाई कर रही थी.
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सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को उस समय हड़कंप मच गया जब अदालत की कार्यवाही के दौरान एक वकील ने कथित रूप से न्यायमूर्ति गवई की ओर जूता उछालने की कोशिश की. घटना के तुरंत बाद, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने इस कार्रवाई को वकील पेशे की गरिमा के खिलाफ बताया और राकेश किशोर को सभी अदालतों में प्रैक्टिस करने से तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया. यह घटना उस वक्त घटी जब प्रधान न्यायाधीश (CJI) और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ वकीलों द्वारा उल्लेख किए जा रहे मामलों की सुनवाई कर रही थी.
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, वकील राकेश किशोर अचानक अदालत में उत्तेजित हो उठे और उन्होंने न्यायमूर्ति गवई की दिशा में जूता फेंकने की कोशिश की. सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत हस्तक्षेप करते हुए उन्हें काबू में कर लिया और अदालत परिसर से बाहर ले जाया गया. बीसीआई ने कहा कि ऐसी घटनाएं न्यायपालिका और वकालत की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाती हैं और इस प्रकार का व्यवहार किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. परिषद ने मामले की विस्तृत जांच के आदेश भी दे दिए हैं. अदालत में हुई इस अप्रत्याशित घटना के बाद कार्यवाही कुछ समय के लिए बाधित रही, लेकिन बाद में पुनः सामान्य रूप से सुनवाई शुरू हो गई.
दिल्ली बार काउंसिल के साथ नामांकित हैं राकेश किशोर
राकेश कुमार के अंतरिम निलंबन आदेश जारी करते हुए, बीसीआई के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि वकील का आचरण प्राइमा फेसी कोर्ट की गरिमा के साथ असंगत था और यह अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के तहत पेशेवर नैतिकता का उल्लंघन करता है. आदेश में कहा गया कि प्राइमा फेसी मैटेरियल के आधार पर ऐसा मालूम होता है कि 6 अक्टूबर 2025 को सुबह करीब 11:35 बजे भारत के सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट नंबर 1 में आपने अपने स्पोर्ट्स शूज उतारे और चल रही कार्यवाही के दौरान चीफ जस्टिस की ओर फेंकने का प्रयास किया. अधिवक्ता राकेश किशोर जो दिल्ली बार काउंसिल के साथ नामांकित हैं.
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बीसीआई ने तत्काल प्रभाव से किया निलंबित
इसके बाद राकेश किशोर को सुरक्षा कर्मियों द्वारा तत्काल प्रभाव से हिरासत में लिया गया. बीसीआई ने निर्देश दिया कि किशोर को तत्काल प्रभाव से प्रैक्टिस से निलंबित किया जाता है और भारत में किसी भी अदालत, ट्रिब्यूनल या प्राधिकरण में पेश होने, कार्य करने, याचिका दायर करने या प्रैक्टिस करने से प्रतिबंधित किया जाता है. काउंसिल ने कहा कि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की जाएगी और उन्हें 15 दिनों के भीतर यह स्पष्ट करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा कि आगे की कार्रवाई क्यों न की जाए.
सभी कोर्ट ने जारी किए गए आदेश
दिल्ली बार काउंसिल को किशोर की स्थिति को अपडेट करने, सभी अदालतों और ट्रिब्यूनलों को सूचित करने और दो दिनों के भीतर अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है. आदेश में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री, सभी उच्च न्यायालयों की रजिस्ट्री, और सभी जिला अदालतें इस आदेश को फाइलिंग और उपस्थिति काउंटरों और संबंधित बार एसोसिएशनों को प्रसारित करेंगी. हालांकि इस व्यवधान के दौरान सीजेआई शांत रहे और उन्होंने कोर्टरूम को बताया, 'इस सब से विचलित न हों. हम विचलित नहीं हैं. ये चीजें मुझे प्रभावित नहीं करतीं.'
इस घटना की चौतरफा हुई निंदा
किशोर ने कोर्ट रूम में चिल्लाते हुए सनातन का अपमान नहीं सहेंगे कह कर चीफ जस्टिस की ओर जूता फेंकने की कोशिश की लेकिन तभी वहां तैनात सुरक्षा कर्मियों ने किशोर को तुरंत रोक लिया. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस कृत्य को "दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय" बताया. इसे "सोशल मीडिया पर गलत सूचना का परिणाम" और "सस्ती लोकप्रियता का प्रयास" करार दिया. वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने इसे "संस्थान पर समग्र रूप से हमला" बताया, जबकि कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे "अभूतपूर्व, शर्मनाक और घृणित" करार देते हुए कहा कि "यह विचारहीन कृत्य दिखाता है कि समाज में नफरत और कट्टरता ने कैसे पैठ बना ली है."
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